खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र | 08 Aug 2022
प्रिलिम्स के लिये:खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र, प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र को उधार (PSL), भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI), मेगा फूड पार्क (MFP), निर्दिष्ट खाद्य पार्क (DFP)। मेन्स के लिये:भारत में खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र का महत्त्व। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में राज्य मंत्री (खाद्य प्रसंस्करण उद्योग) ने खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिये सरकार द्वारा शुरू की गई पहलों के बारे में बताया।
खाद्य प्रसंस्करण और भारत में इस क्षेत्र की वर्तमान स्थिति:
- परिचय:
- खाद्य प्रसंस्करण एक प्रकार का विनिर्माण है जिसमें वैज्ञानिक ज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके कच्चे माल को मध्यवर्ती खाद्य पदार्थों या खाद्य वस्तुओं में संसाधित किया जाता है।
- इसके अंतर्गत ज़ल्द ही खराब होने वाले और अखाद्य, खाद्य संसाधनों को विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके अधिक उपयोगी, लंबे समय तक इस्तेमाल किये जा सकने वाले भोजन या पेय पदार्थों में परिवर्तित किया जाता है।
- यह तैयार उत्पाद की भंडारण क्षमता, सुवाह्यता, स्वाद और सुविधा में सुधार करता है।
- इसके अंतर्गत ज़ल्द ही खराब होने वाले और अखाद्य, खाद्य संसाधनों को विभिन्न तकनीकों का उपयोग करके अधिक उपयोगी, लंबे समय तक इस्तेमाल किये जा सकने वाले भोजन या पेय पदार्थों में परिवर्तित किया जाता है।
- खाद्य प्रसंस्करण एक प्रकार का विनिर्माण है जिसमें वैज्ञानिक ज्ञान और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके कच्चे माल को मध्यवर्ती खाद्य पदार्थों या खाद्य वस्तुओं में संसाधित किया जाता है।
- महत्त्व:
- भारतीय खाद्य क्षेत्र पैमाने के मामले में पाँचवें स्थान पर है, जो सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 6%, भारतीय निर्यात का 13% और देश में समग्र औद्योगिक निवेश का 6% योगदान देता है।
- वर्तमान स्थिति:
- चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फल और सब्जियों का उत्पादक है, फिर भी केवल 2% फसल ही संसाधित होती है।
- एक महत्त्वपूर्ण विनिर्माण आधार के बावजूद भारत की प्रसंस्करण क्षमता अत्यंत कम है (10 प्रतिशत से कम)।
- प्रसंस्करण के मामले में लगभग 2% फल और सब्जियाँ, 8% समुद्री उत्पाद, 35% दूध और 6% मुर्गी पालन शामिल है।
- 50% भैंस और 20% मवेशियों के साथ भारत में दुनिया की सबसे बड़ी पशुधन आबादी है, लेकिन पूरी आबादी का केवल 1% ही मूल्यवर्द्धित उत्पादों में परिवर्तित होता है।
सरकार द्वारा उठाए गए विभिन्न नीतिगत कदम:
- अप्रैल, 2015 में प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्र ऋण (PSL) मानदंडों के तहत कृषि गतिविधि के रूप में खाद्य और कृषि आधारित प्रसंस्करण इकाइयों एवं शीत शृंखला को शामिल करना।
- ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस के रूप में भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) ने वर्ष 2016 में अधिसूचनाओं के माध्यम से उत्पाद-दर-उत्पाद अनुमोदन से घटक तथा योज्य-आधारित अनुमोदन प्रक्रिया में स्थानांतरित कर दिया है।
- खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिये स्वचालित मार्ग के तहत 100% प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) की मंज़ूरी की अनुमति दी गई है।
- मेगा फूड पार्क (MFP) के साथ-साथ MFP में प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना में निवेश के लिये किफायती ऋण प्रदान करने हेतु राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (NABARD/नाबार्ड) के साथ 2000 करोड़ रुपए का विशेष खाद्य प्रसंस्करण कोष स्थापित किया गया था।
- वर्ष 2019 में व्यक्तिगत विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के साथ-साथ कृषि-प्रसंस्करण समूहों की स्थापना के लिये कोष का कवरेज बढ़ाया गया था।
- साथ ही नाबार्ड के साथ विशेष निधियों से वहनीय ऋण प्राप्त करने के उद्देश्य से विभिन्न राज्यों में नामित फूड पार्क (DFP) योजना शुरू की जाएगी।
आगे की राह
- वर्तमान में भारत अपने कृषि उत्पादन के 10% से कम का प्रसंस्करण कर रहा है; इस प्रकार प्रसंस्करण स्तर को बढ़ावा देने और इस क्षेत्र में निवेश आकर्षित करने के अपार अवसर हैं। अतः सरकार के उपाय सही दिशा में हैं।
- इसके अलावा खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र की वृद्धि खुदरा क्षेत्र में मांग और स्वास्थ्य के प्रति जागरूक उपभोक्ताओं की वृद्धि के कारण होगी।
- इसलिये पर्याप्त वित्तपोषण और प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के साथ एक मज़बूत फसल मूल्य शृंखला की आवश्यकता है जो MSME क्षेत्र के माध्यम से खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र को बढ़ावा देगी।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा विगत वर्ष के प्रश्न:प्रश्न: भारत सरकार मेगा फूड पार्क की अवधारणा को किस/किन उद्देश्य/उद्देश्यों से प्रोत्साहित कर रही है? (2011)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: B इसका उद्देश्य किसानों, प्रसंस्करणकर्त्ता और खुदरा विक्रेताओं को एक साथ लाकर कृषि उत्पादन को बाज़ार से जोड़ने के लिये एक तंत्र प्रदान करना है ताकि मूल्यवर्द्धन, कम अपव्यय के साथ किसानों की आय को बढ़ाकर रोज़गार के नए अवसर (विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्र में) सुनिश्चित किये जा सकें। अत: विकल्प B सही है। प्रश्न. लागत प्रभावी छोटी प्रक्रमण इकाई की अल्प स्वीकार्यता के क्या कारण हैं? खाद्य प्रक्रमण इकाई गरीब किसानों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को ऊपर उठाने में किस प्रकार सहायक होगी? (मुख्य परीक्षा- 2017) |