खाद्य मुद्रास्फीति | 13 May 2019
चर्चा में क्यों?
पिछले कुछ महीनों के दौरान कृषि वस्तुओं की कीमतों में काफी उतार-चढ़ाव देखने को मिला। गौरतलब है कि इसकी वज़ह पश्चिम और दक्षिण भारत के हिस्सों में सूखे की मार और समयपूर्व ग्रीष्मकालीन परिस्थितियाँ रही हैं।
प्रमुख बिंदु
- प्रभाव:
- खाद्य मुद्रास्फीति से किसानों को लाभ हो सकता है क्योंकि उन्हें उपज के बदले अच्छी कीमतें प्राप्त होंगी, जबकि उपभोक्ताओं को नुकसान उठाना पड़ेगा क्योंकि पिछले साल की तुलना में उच्च कीमतों का भुगतान करना होगा।
खाद्य मुद्रास्फीति
- खाद्य और ईंधन मुद्रास्फीति भारत में हेडलाइन मुद्रास्फीति के घटकों में से एक है।
- हेडलाइन इन्फ्लेशन, जैसा कि नाम से ही पता चलता है, किसी विशिष्ट अवधि के लिये कुल मुद्रास्फीति होती है, जिसमें कई वस्तुएँ शामिल होती हैं।
- कोर मुद्रास्फीति में अस्थिर वस्तुएँ शामिल नहीं होती हैं। इन अस्थिर वस्तुओं में मुख्य रूप से खाद्य और पेय पदार्थ (सब्जियाँ सहित) तथा ईंधन एवं बिजली (कच्चे तेल) शामिल होते हैं।
- कोर मुद्रास्फीति= हेडलाइन मुद्रास्फीति- खाद्य तथा ईंधन मुद्रास्फीति
मुद्रास्फीति नियंत्रण के उपाय
- सरकार ने मुद्रास्फीति के नियंत्रण हेतु कई उपाय किये हैं-
- अनिवार्य वस्तुओं, खासकर दालों के मूल्य में अस्थिरता को नियंत्रित करने हेतु बजट में मूल्य स्थिरता कोष में बढ़ा हुआ आवंटन।
- बाज़ार में समुचित दखल हेतु 20 लाख टन दालों का अफार स्टॉक रखने का अनुमोदन।
- अनिवार्य वस्तु अधिनियम के अंतर्गत दालों, प्याज, खाद्य तेलों और खाद्य तेल के बीजों हेतु स्टॉक सीमा लागू करने के लिये राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को अधिकृत करना।
- उत्पादन को प्रोत्साहित कर खाद्य पदार्थों की उपलब्धता बढ़ाने हेतु, ताकि मूल्यों में सुधार हो।
- उच्चतर मूल्य की घोषणा।