जैव विविधता और पर्यावरण
फ्लाई ऐश मैनेजमेंट एंड यूटिलाइज़ेशन मिशन
- 29 Jan 2022
- 11 min read
प्रिलिम्स के लिये:फ्लाई ऐश मैनेजमेंट एंड यूटिलाइज़ेशन मिशन, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, फ्लाई ऐश नोटिफिकेशन, रिहंद जलाशय। मेन्स के लिये:सरकारी नीतियाँ और हस्तक्षेप, पर्यावरण प्रदूषण और गिरावट, फ्लाई ऐश एवं संबंधित मुद्दे, फ्लाई ऐश मैनेजमेंट एंड यूटिलाइज़ेशन मिशन। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (National Green Tribunal - NGT) ने 'फ्लाई ऐश मैनेजमेंट एंड यूटिलाइज़ेशन मिशन' के गठन का निर्देश दिया है।
प्रमुख बिंदु
- परिचय:
- एनजीटी (NGT) कोयला ताप विद्युत स्टेशनों द्वारा फ्लाई ऐश के 'अवैज्ञानिक संचालन और भंडारण' पर ध्यान देता है।
- उदाहरण के लिये रिहंद जलाशय में औद्योगिक अपशिष्टों और फ्लाई ऐश की निकासी।
- फ्लाई ऐश प्रबंधन और उपयोग मिशन (Fly Ash Management and Utilisation Mission), अप्रयुक्त फ्लाई ऐश के वार्षिक स्टॉक के निपटान की निगरानी के अलावा यह सुनिश्चित करेगा की 1,670 मिलियन टन (accumulated) फ्लाई ऐश का कम-से-कम खतरनाक तरीके से कैसे उपयोग किया जा सकता है और बिजली संयंत्रों द्वारा सभी सुरक्षा उपाय कैसे किये जा सकते हैं।
- मिशन कोयला बिजली संयंत्रों में फ्लाई ऐश प्रबंधन की स्थिति का आकलन करने और व्यक्तिगत संयंत्रों द्वारा राख के उपयोग हेतु रोडमैप बनाने तथा कार्य योजना तैयार करने के लिये एक महीने के भीतर अपनी पहली बैठक आयोजित करेगा।
- ये बैठकें एक वर्ष तक प्रत्येक माह आयोजित की जाएंगी।
- लक्ष्य:
- फ्लाई ऐश और इससे संबंधित मुद्दों के प्रबंधन तथा निपटान हेतु समन्वय एवं निगरानी करना।
- प्रमुख और नोडल एजेंसी:
- मिशन का नेतृत्त्व संयुक्त रूप से केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, केंद्रीय कोयला और बिजली मंत्रालय के सचिव तथा मिशन से संबंधित राज्यों के मुख्य सचिव करेंगे।
- MoEF&CC के सचिव समन्वय और अनुपालन के लिये नोडल एजेंसी होंगे।
- फ्लाई ऐश अधिसूचना 2021 से भिन्न:
- फ्लाई ऐश अधिसूचना 2021, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत जारी की गई थी।
- कोयले या लिग्नाइट आधारित ताप विद्युत संयंत्रों से निकलने वाली फ्लाई ऐश के भूमि या जल निकायों में डंप करने और निपटान पर रोक लगाते हुए केंद्र ने ऐसे संयंत्रों हेतु ऐश/राख का 100% उपयोग पर्यावरण अनुकूल तरीके से सुनिश्चित करना अनिवार्य कर दिया है तथा पहली बार 'प्रदूषक भुगतान' सिद्धांत के आधार पर इसका अनुपालन न करने पर दंड व्यवस्था की शुरुआत की है।
- नए नियमों का अनुपालन न करने वाले विद्युत संयंत्रों पर हर वित्तीय वर्ष के अंत में प्रयोग में न आने वाली ऐश पर 1,000 रुपए प्रति टन के हिसाब से पर्यावरणीय मुआवज़े लगाया जाएगा।
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) द्वारा ताप विद्युत संयंत्रों से एकत्र की गई राशि का उपयोग अनुपयोगी राख के सुरक्षित निपटान के लिये किया जाएगा। इसका उपयोग राख आधारित उत्पादों सहित राख के उपयोग पर अनुसंधान को आगे बढ़ाने के लिये भी किया जा सकता है।
- ऐसे मामलों में जहाँ विभिन्न गतिविधियों में फ्लाई ऐश का उपयोग किया जा रहा है, बिजली संयंत्रों को परियोजना स्थलों पर मुफ्त में फ्लाई ऐश पहुँचाना होगा।
- हालाँकि बिजली संयंत्र राख की लागत और परिवहन के लिये पारस्परिक रूप से सहमत शर्तों के अनुसार शुल्क ले सकता है, अगर वह अन्य तरीकों से राख का निपटान करने में सक्षम है।
- दिसंबर 2021 की नई फ्लाई ऐश अधिसूचना में कोयला ताप विद्युत संयंत्रों और उपयोगकर्ता एजेंसियों द्वारा फ्लाई ऐश के उपयोग एवं कार्यान्वयन की प्रगति के 'प्रवर्तन, निगरानी, लेखापरीक्षा और रिपोर्टिंग' का प्रावधान किया गया है।
- यह अधिसूचना CPCB और राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (SPCB)/प्रदूषण नियंत्रण समितियों (PCC) को इसके तहत जनादेश के प्रभावी कार्यान्वयन की निगरानी के लिये ज़िम्मेदार ठहराती है।
- हालाँकि इन वैधानिक नियामकों के साथ ‘मिशन फ्लाई ऐश’ प्रबंधन की ज़िम्मेदारी राज्यों के मुख्य सचिवों को भी देता है।
- अधिसूचना व्यक्तिगत थर्मल पावर प्लांट के लिये अपने वेब पोर्टल पर राख उत्पादन और उपयोग के बारे में मासिक जानकारी अपलोड करना अनिवार्य करती है।
- दूसरी ओर NGT द्वारा निर्देशित मिशन सभी हितधारकों को जानकारी प्रदान करने के लिये तिमाही आधार पर MoEF&CC की वेबसाइट पर सभी ताप विद्युत संयंत्रों और उनके समूहों हेतु फ्लाई ऐश उपयोग में रोडमैप और प्रगति उपलब्ध कराएगा।
- फ्लाई ऐश अधिसूचना 2021, पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम 1986 के तहत जारी की गई थी।
फ्लाई ऐश
- परिचय:
- फ्लाई ऐश (Fly Ash) प्राय: कोयला संचालित विद्युत संयंत्रों से उत्पन्न प्रदूषक है, जिसे दहन कक्ष से निकास गैसों द्वारा ले जाया जाता है।
- इसे इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर या बैग फिल्टर द्वारा निकास गैसों से एकत्र किया जाता है।
- इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर (ESP) को एक फिल्टर उपकरण के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसका उपयोग प्रवाहित होने वाली गैस से धुएँ और धूल जैसे महीन कणों को हटाने के लिये किया जाता है।
- इस उपकरण को प्रायः वायु प्रदूषण नियंत्रण संबंधी गतिविधियों के लिये प्रयोग किया जाता है।
- संयोजन: फ्लाई ऐश में पर्याप्त मात्रा में सिलिकॉन डाइऑक्साइड (SiO2), एल्युमीनियम ऑक्साइड (Al2O3), फेरिक ऑक्साइड (Fe2O3) और कैल्शियम ऑक्साइड (CaO) शामिल होते हैं।
- गुण:
- यह पोर्टलैंड सीमेंट के समान दिखता है परंतु रासायनिक रूप से अलग है।
- पोर्टलैंड सीमेंट का निर्माण एक महीन पाउडर के रूप में संयोजनकारी सामग्री है जो चूना पत्थर और मिट्टी के मिश्रण को जलाने तथा पीसने से प्राप्त होता है।
- इसकी रासायनिक संरचना में कैल्शियम सिलिकेट, कैल्शियम एल्युमिनेट और कैल्शियम एल्युमिनोफेराइट शामिल हैं।
- यह पोर्टलैंड सीमेंट के समान दिखता है परंतु रासायनिक रूप से अलग है।
- प्रमुख विशेषता:
- एक सीमेंट युक्त सामग्री वह है जो जल के साथ मिश्रित होने पर कठोर हो जाती है।
- अनुप्रयोग: इसका उपयोग कंक्रीट और सीमेंट उत्पादों, रोड बेस, मेटल रिकवरी और मिनरल फिलर आदि में किया जाता है।
- हानिकारक प्रभाव: फ्लाई ऐश के कण ज़हरीले वायु प्रदूषक हैं। वे हृदय रोग, कैंसर, श्वसन रोग और स्ट्रोक को बढ़ा सकते हैं।
- ये जल के साथ मिलने पर भूजल में भारी धातुओं के निक्षालन का कारण बनते हैं।
- ये मृदा को भी प्रदूषित करते हैं और पेड़ों की जड़ विकास प्रणाली को प्रभावित करते हैं।
- राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) द्वारा गठित संयुक्त समिति द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2020-2021 के दौरान फ्लाई ऐश उत्पादन और उपयोग की सारांश रिपोर्ट के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में इस उप-उत्पाद के सकल अल्प-उपयोग के कारण 1,670 मिलियन टन फ्लाई ऐश का संचय हुआ है।
- संबंधित पहलें:
- वर्ष 2021 में ‘नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन’ (NTPC) लिमिटेड ने फ्लाई ऐश की बिक्री के लिये ‘एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट’ (EOI) आमंत्रित किया था।
- ‘नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरेशन’ ने फ्लाई ऐश की आपूर्ति के लिये देश भर के सीमेंट निर्माताओं के साथ भी गठजोड़ किया है।
- प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के तहत नई निर्माण प्रौद्योगिकियों (उदाहरण के लिये फ्लाई ऐश ईंटों का उपयोग) पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है जो अभिनव, पर्यावरण के अनुकूल और आपदा के प्रति लचीले हैं।
- यहाँ तक कि राज्य सरकारों ने भी अपनी फ्लाई ऐश उपयोग नीतियाँ प्रस्तुत की हैं जैसे- इस नीति को अपनाने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य था।
- सरकार द्वारा फ्लाई ऐश उत्पादन और उपयोग की निगरानी के लिये एक वेब पोर्टल और "ऐश ट्रैक" (ASHTRACK) नामक एक मोबाइल आधारित एप लॉन्च किया गया है।
- फ्लाई ऐश और उसके उत्पादों पर जीएसटी की दरों को घटाकर 5% कर दिया गया है।
स्रोत: डाउन टू अर्थ