फिशिंग कैट्स | 06 Jun 2022
प्रिलिम्स के लिये:फिशिंग कैट प्रोजेक्ट, चिल्का झील, IUCN, CITES. मेन्स के लिये:संरक्षण, जैव विविधता और पर्यावरण। |
चर्चा में क्यों?
चिल्का विकास प्राधिकरण द्वारा आयोजित एक जनगणना के अनुसार, चिल्का झील में 176 फिशिंग कैट्स मौजूदगी है।
- यह जनगणना ‘द फिशिंग कैट प्रोजेक्ट (TFCP) के सहयोग से आयोजित की गई थी। यह फिशिंग कैट्स का दुनिया का पहला जनसंख्या अनुमान है, जिसे संरक्षित क्षेत्र नेटवर्क के बाहर आयोजित किया गया है।
- डेटा का विश्लेषण करने के लिये ‘स्पेसियल एक्सप्लिसिट कैप्चर रिकैप्चर’ (SECR) पद्धति का उपयोग किया गया था। SECR का उपयोग 'डिटेक्टरों' की एक सारणी का उपयोग करके एकत्र किये गए कैप्चर-रीकैप्चर डेटा से पशु आबादी के घनत्व का अनुमान लगाने के लिये किया जाता है।
फिशिंग कैट्स:
- वैज्ञानिक नाम: प्रियनैलुरस विवरिनस
- विवरण:
- यह घरेलू बिल्ली के आकार से दोगुनी है।
- फिशिंग कैट्स रात्रिचर (रात में सक्रिय) होती है और मछली के अलावा मेंढक, क्रस्टेशियंस, साँप, पक्षी तथा बड़े जानवरों के शवों पर उपस्थित अपमार्जकों का भी शिकार करती है।
- यह प्रजाति वर्ष भर प्रजनन करती है।
- वे अपना अधिकांश जीवन जल निकायों के पास घने वनस्पतियों के क्षेत्रों में बिताती हैं और उत्कृष्ट तैराक होती हैं।
- आवास:
- पूर्वी घाट के साथ फिशिंग कैट का वितरण बहुत कम है। वे मुहाना, बाढ़ के मैदानों, ज्वारीय मैंग्रोव वनों और अंतर्देशीय मीठे जल के आवासों में प्रचुर मात्रा में पाई जाती हैं।
- पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में सुंदरवन के अलावा फिशिंग कैट ओडिशा में चिल्का लैगून एवं आसपास की आर्द्रभूमि, आंध्र प्रदेश में कोरिंगा तथा कृष्णा मैंग्रोव में निवास करती हैं।
- संकट:
- आवास विनाश: फिशिंग कैट के लिये एक बड़ा खतरा आर्द्रभूमि का विनाश है, जो उनका पसंदीदा आवास है।
- झींगा पालन: झींगा पालन फिशिंग कैट के मैंग्रोव आवासों के लिये एक और बढ़ता खतरा है।
- शिकार: इस अनोखी बिल्ली को माँस और त्वचा के लिये शिकार से संबंधित खतरों का भी सामना करना पड़ता है।
- आनुष्ठानिक प्रथाएंँ: जनजातीय शिकारी वर्ष भर आनुष्ठानिक शिकार प्रथाओं में लिप्त रहते हैं।
- अवैध शिकार: इसकी त्वचा के लिये कभी-कभी इसका अवैध शिकार भी किया जाता है।
- विषाक्तता: जाल में लगाना, जाल से पकड़ना और विषाक्तता।
- संरक्षण की स्थिति:
- IUCN की रेड लिस्ट: कई खतरों के बावजूद फिशिंग कैट को हाल ही में IUCN की रेड लिस्ट प्रजातियों के आकलन में "लुप्तप्राय" से "सुभेद्य" के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।
- साइट्स (CITES): परिशिष्ट II
- भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: अनुसूची I
- संरक्षण के प्रयास:
- इससे पहले चिल्का विकास प्राधिकरण ने चिल्का में फिशिंग कैट के संरक्षण के लिये एक पंचवर्षीय कार्ययोजना अपनाने की अपनी मंशा घोषित की है।
- वर्ष 2021 में फिशिंग कैट संरक्षण अलायंस ने आंध्र प्रदेश के पूर्वोत्तर घाटों के असुरक्षित और मानव-प्रधान परिदृश्य में फिशिंग कैट के जैव-भौगोलिक वितरण का एक अध्ययन की शुूरुआत की है।
- वर्ष 2010 में शुरू की गई फिशिंग कैट परियोजना ने पश्चिम बंगाल में फिशिंग कैट के बारे में जागरूकता बढ़ाने का कार्य शुरू किया।
- वर्ष 2012 में पश्चिम बंगाल सरकार ने आधिकारिक तौर पर फिशिंग कैट को राज्य पशु घोषित किया और कलकत्ता चिड़ियाघर में दो बड़े बाड़ों का निर्माण किया गया है।
- ओडिशा में कई गैर-सरकारी संगठन और वन्यजीव संरक्षण समितियाँ फिशिंग कैट अनुसंधान एवं संरक्षण कार्य में शामिल हैं।
चिल्का झील:
- चिल्का एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा लैगून है।
- वर्ष 1981 में चिल्का झील को रामसर कन्वेंशन के तहत अंतर्राष्ट्रीय महत्त्व का पहला भारतीय आर्द्रभूमि नामित किया गया था।
- चिल्का में प्रमुख आकर्षण इरावदी डॉलफिन (Irrawaddy Dolphins) हैं जिन्हें अक्सर सातपाड़ा द्वीप के पास देखा जाता है।
- लैगून क्षेत्र में लगभग 16 वर्ग किमी. में फैला नलबाना द्वीप (फारेस्ट ऑफ रीडस) को वर्ष 1987 में पक्षी अभयारण्य घोषित किया गया था।
- कालिजई मंदिर: यह मंदिर चिल्का झील में एक द्वीप पर स्थित है।
- चिल्का झील कैस्पियन सागर, बैकाल झील, अरल सागर, रूस के सुदूर हिस्सों, मंगोलिया के किर्गिज़ स्टेप्स, मध्य और दक्षिण-पूर्व एशिया, लद्दाख तथा हिमालय से हज़ारों मील दूर से पलायन करने वाले पक्षियों की मेज़बानी करती है।
- पक्षी यहांँ विशाल मिट्टी के मैदान और प्रचुर मात्रा में मछली के भंडार को संग्रह करने के लिये उपयुक्त पाते हैं।