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सामाजिक न्याय

‘कैदी महिलाएँ और न्याय के लिये पहुँच’ विषय पर पहला क्षेत्रीय सम्मेलन

  • 06 Oct 2018
  • 6 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में गृह मंत्रालय के अधीन पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (Bureau of Police Research and Development- BPR&D) ने हिमाचल प्रदेश के जेल विभाग के सहयोग से शिमला में ‘कैदी महिलाएँ और न्याय के लिये पहुँच’ (Women in Detention & Acces to Justice) विषय पर अब तक का पहला क्षेत्रीय सम्मेलन आयोजित किया।

सम्मेलन का उद्देश्य

  • सभी दर्जे के जेल कार्मिकों को राष्ट्रीय स्तर पर विभिन्न संचालनात्मक और प्रशासनिक मुद्दों पर न केवल उनके अपने समकक्षों के साथ बल्कि इस क्षेत्र में राष्ट्रीय स्तर पर प्रख्यात अन्य विशेषज्ञों के साथ महत्वपूर्ण विचारों को साझा करने के लिये एक मंच उपलब्ध कराना।
  • जेल सुधारों के संदर्भ में वर्तमान नई चुनौतियों के समाधान के लिये प्रशासनिक कार्यप्रणाली में सुधार हेतु श्रेष्ठ परंपराओं और मानदंडों को चिह्नित करना।

सम्मेलन के अंतर्गत विचारणीय विषय

इस सम्मेलन में विचार-विमर्श के लिये मुख्य रूप से निम्नलिखित विषयों को चुना गया था-

  1. महिला कैदियों के लिये प्रजनन स्वास्थ्य अधिकार : राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय वैधानिक मानदंड।
  2. महिला कैदियों की स्वास्थ्य संबंधी आवश्यकताएँ।
  3. महिला कैदियों और उनके बच्चों का स्वास्थ्य, कौशल, पुनर्वास और पुनर्मिलन।
  4. महिला कैदियों पर केंद्रित जेल सुधार, संरचनात्मक, प्रबंधकीय और वैधानिक मुद्दे तथा वैश्विक मानदंडों से तुलना।
  5. अपराधियों के लिये न्यूरो-अपराध विज्ञान कार्यक्रम।
  6. जेल सुधार।

सम्मेलन से होने वाले लाभ

  • इस आयोजन से देश भर में प्रशासन से संबंधित सुधारात्मक अनुसंधान और विकासात्मक क्रियाकलापों को बढ़ावा मिलेगा।
  • विभिन्न सुधारात्मक कार्यों द्वारा प्रशासन के बीच वैज्ञानिक पहुँच विकसित करने की दिशा में मार्ग प्रशस्त होगा।

इस तरह के सम्मेलनों की आवश्यकता

  • हालाँकि ‘कैदी महिलाएँ और न्याय के लिये पहुँच’ विषय पर महिला सशक्तीकरण से संबंधित संसदीय समिति ने कई संस्तुतियाँ की हैं लेकिन महिला कैदियों की स्थिति में सुधार और उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिये रणनीति और कार्यक्रम तैयार करने हेतु की गई कुछ संस्तुतियों पर चर्चा करना आवश्यक है।

‘महिला एवं बाल विकास मंत्रालय’ का प्रयास

  • अप्रैल, 2018 में महिला और बाल विकास मंत्रालय ने ‘जेलों में महिलाएँ’ विषय पर एक रिपोर्ट जारी की थी जिसका उद्देश्‍य महिला बंदियों के विभिन्‍न अधिकारों के बारे में जानकारी प्रदान करना, उनकी समस्‍याओं पर विचार करना और उनका संभव समाधान करना है।

‘जेलों में महिलाएँ' (Women in Prison) रिपोर्ट

  • इस रिपोर्ट में 134 सिफारिशें की गई हैं, ताकि जेल में बंद महिलाओं के जीवन में सुधार लाया जा सके।
  • गर्भवती तथा जेल में बच्‍चे का जन्‍म, मानसिक स्‍वास्‍थ्‍य, कानूनी सहायता, समाज के साथ एकीकरण और उनकी देखभाल आदि ज़िम्‍मेदारियों पर विचार के लिये ये सिफारिशें की गई हैं।
  • रिपेार्ट में राष्‍ट्रीय आदर्श जेल मैन्‍युअल 2016 में विभिन्‍न परिवर्तन किये जाने का सुझाव दिया गया है ताकि इसे अंतर्राष्‍टीय मानकों के अनुरूप बनाया जा सके।

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा संकलित सूचना के अनुसार

  • 31 दिसंबर, 2016 की स्थिति के अनुसार, देश की विभिन्न जेलों में 18,498 महिला कैदी बंद थीं।
  • इनमें से 1649 महिला कैदी बच्चों के साथ बंद थीं।
  • छत्तीसगढ़, गोवा, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पश्चिम बंगाल और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली की जेलों में महिला कैदियों की संख्या क्षमता से अधिक थी।

(नोट : उपरोक्त आँकड़े गृह मंत्रालय में राज्य मंत्री द्वारा गैर-तारांकित प्रश्नों के जवाब में उपलब्ध कराए गए थे)

निष्कर्ष

  • यह सम्मेलन महिला कैदियों की स्थितिय में सुधार लाने के साथ ही न्याय तक उनकी पहुँच बढ़ाने के क्रम में जेल सुधार और पुनर्वास कार्यक्रम का बेहतर कार्यान्वयन सुनिश्चित करने में मददगार होगा।

इस विषय पर और अधिक जानकारी के लिये पढ़ें

जेलों में महिलाएँ : वर्तमान स्थिति, समस्याएँ एवं चुनौतियाँ

http://www.drishtiias.com/hindi/pib-prs-articles/report-on-women-in-prisons-launched-by-the-ministry-of-women-and-child-development

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