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पहली मलेरिया वैक्सीन: मॉसक्विरिक्स

  • 07 Oct 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

मॉसक्विरिक्स

मेन्स के लिये:

मलेरिया से संबंधित मुद्दे 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस उम्मीद में दुनिया की पहली मलेरिया वैक्सीन का समर्थन किया है कि यह परजीवी बीमारी के प्रसार को रोकने के प्रयासों को बढ़ावा देगी।

मलेरिया एक जानलेवा बीमारी है जो परजीवी के कारण होती है और संक्रमित मादा एनोफिलीज मच्छरों के काटने से लोगों में फैलती है। यह रोकथाम और इलाज योग्य है।

प्रमुख बिंदु:

  • वैक्सीन के बारे में:
    • RTS,S/AS01, व्यावसायिक नाम मॉसक्विरिक्स, अफ्रीका में सबसे प्रचलित मलेरिया स्ट्रेन पी. फाल्सीपेरम को लक्षित करने वाली एक वैक्सीन है। यह छोटे बच्चों को आंशिक सुरक्षा प्रदान करने वाला पहला और एकमात्र टीका है।
      • इसे 1987 में ब्रिटिश दवा निर्माता ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा विकसित किया गया था।
    • मॉसक्विरिक्स में सक्रिय पदार्थ, प्लास्मोडियम फाल्सीपेरम परजीवी (PFP) की सतह पर पाए जाने वाले प्रोटीन से बना होता है।
      • RTS,S का उद्देश्य मलेरिया मच्छर के काटने से मानव रक्तप्रवाह में इसके प्रवेश करने और यकृत कोशिकाओं को संक्रमित करने के पहले चरण से ही  बचाव के लिये प्रतिरक्षा प्रणाली तैयार करना है ।
    • यह हेपेटाइटिस B वायरस से लीवर के संक्रमण से बचाने में भी मदद करता है।
  • क्षमता:
    • बच्चों में मलेरिया के गंभीर मामलों को रोकने में टीके की प्रभावशीलता लगभग 30% है, लेकिन यह एकमात्र स्वीकृत टीका है।
      • यूरोपीय संघ के औषधि नियामक ने वर्ष 2015 में यह कहते हुए इसे मंज़ूरी दी थी कि इसके जोखिमों की तुलना में लाभ कहीं अधिक हैं।
    • इसके दुष्प्रभाव दुर्लभ हैं, लेकिन कभी-कभी इसमें बुखार भी शामिल होता है जिसके परिणामस्वरूप अस्थायी आक्षेप (Temporary Convulsions) हो सकता है।
  • चुनौतियाँ:
    • असुविधाजनक: एक बच्चे को 2 साल की उम्र से पहले चार इंजेक्शन लगते हैं जो अधिकांश अन्य बीमारियों के लिये नियमित टीके शेड्यूल से मेल नहीं खाते।
    • आंशिक रूप से प्रभावी: 2009 से 2014 के बीच 10000 से अधिक अफ्रीकी बच्चों में किये गए परीक्षण से पता चला कि चार खुराक लेने के बाद भी यह टीका लगभग 40% ही मलेरिया संक्रमणों को रोक सका।
    • दीर्घकालिक नहीं: यह स्पष्ट नहीं है कि टीका लगने के बाद प्रतिरोध कितने समय तक सक्रिय रहेगा; पिछले परीक्षणों में चार साल तक के बच्चों का टीकाकरण किया गया था। विशेषज्ञों को यह भी चिंता है कि जिन माता-पिता के बच्चों को टीका लगाया गया है, वे मच्छरदानी का उपयोग करने के मामले में कम सतर्क रहेंगे और बुखार की स्थिति में उनके द्वारा बच्चों को चिकित्सा देखभाल प्रदान करने की संभावना कम होती है।
    • अविकसित प्रतिरोध: टीके ने गंभीर मलेरिया की घटना को लगभग 30% और गंभीर एनीमिया की घटना को कम कर दिया। यह परजीवी उपभेदों के खिलाफ पर्याप्त रक्षा नहीं प्रदान करता था। परजीवी टीका का प्रतिरोध विकसित कर सकते हैं, इसलिये टीका को और विकसित किये जाने की आवश्यकता है।
  • मलेरिया का भार:
    • वैश्विक:
      • वर्ष 2019 में दुनिया भर में मलेरिया के अनुमानित 229 मिलियन मामले थे और उस वर्ष मलेरिया से अनुमानित 4,09,000 मौतें हुई थीं।
        • 5 वर्ष से कम आयु के बच्चे वर्ष 2019 में मलेरिया से प्रभावित सबसे कमज़ोर समूह हैं, दुनिया भर में मलेरिया से होने वाली मौतों में इनका 67 प्रतिशत (2,74,000) हिस्सा है।
    • भारत:
      • WHO के अनुसार, भारत में वर्ष 2019 के लगभग 20 मिलियन मामलों की तुलना में वर्ष 2020 में मलेरिया के अनुमानित 5.6 मिलियन अधिक मामले थे।
  • मलेरिया उन्मूलन वाले देश:
    • पिछले दो दशकों में WHO के महानिदेशक द्वारा 11 देशों को मलेरिया मुक्त के रूप में प्रमाणित किया गया है: संयुक्त अरब अमीरात (2007), मोरक्को (2010), तुर्कमेनिस्तान (2010), आर्मेनिया (2011), श्रीलंका (2016), किर्गिज़स्तान (2016), पराग्वे (2018), उज़्बेकिस्तान (2018), अल्जीरिया (2019), अर्जेंटीना (2019) और अल सल्वाडोर (2021)
      • उन देशों में जहाँ पिछले तीन साल से मलेरिया के कोई स्थानिक मामले नहीं पाए जाते हैं उन्हें मलेरिया उन्मूलन के WHO प्रमाणीकरण के लिये आवेदन करने का पात्र माना जाता है।

आगे की राह

  • WHO-अनुशंसित मलेरिया वैक्सीन के लिये अगले कदमों में स्थानिक देशों में व्यापक रोलआउट हेतु वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय से वित्तीयन संबंधी और राष्ट्रीय मलेरिया नियंत्रण रणनीतियों के हिस्से के रूप में वैक्सीन को अपनाने के बारे में देश का निर्णय शामिल होगा।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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