पहला मानव न्यूरालिंक प्रत्यारोपण | 06 Feb 2024
प्रिलिम्स के लिये:ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस, न्यूरालिंक, एपिलेप्सी (मिर्गी), पार्किंसंस रोग, आभासी और संवर्द्धित वास्तविकता, लॉक-इन सिंड्रोम, ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस के संभावित अनुप्रयोग। मेन्स के लिये:ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस से संबंधित नैतिक विचार |
स्रोत: द हिंदू
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एलन मस्क ने एक मानव में न्यूरालिंक उपकरण के सफल प्रत्यारोपण की घोषणा की।
- यह उपकरण मुख्य रूप से एक बड़े सिक्के के आकार का है, जिसे विशेष रूप से ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस के लिये खोपड़ी (skull) में प्रत्यारोपित करने के लिये निर्मित किया गया है।
- न्यूरालिंक ने "अन्वेषणात्मक उपकरण से छूट" के तहत अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (US Food and Drug Administration - FDA) से मंज़ूरी प्राप्त कर ली है।
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस क्या है?
- यह एक ऐसी तकनीक है जो नसों और माँसपेशियों जैसे पारंपरिक न्यूरोमस्कुलर मार्गों का उपयोग किये बिना, ब्रेन तथा कंप्यूटर या प्रोस्थेटिक्स जैसे बाहरी उपकरणों के बीच सीधे संचार को सक्षम बनाती है।
- इसमें आम तौर पर ब्रेन की गतिविधियों का पता लगाने के लिये सेंसर का उपयोग किया जाता है, जिसे बाद में आदेशों या कार्यों में परिवर्तित किया जाता है जिससे व्यक्तियों को उपकरणों को नियंत्रित करने या अपने विचारों का उपयोग करके बाहरी दुनिया के साथ संपर्क होता है।
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस के संभावित अनुप्रयोग क्या हैं?
- चिकित्सकीय उपचार:
- तंत्रिका संबंधी विकार: यह प्रत्यक्ष रूप से ब्रेन से संपर्क कर मिर्गी, पार्किंसंस रोग तथा न्यूरोडीजेनेरेटिव विकारों जैसी स्थितियों की निगरानी तथा उपचार करने में सहायता प्रदान करेगा।
- स्ट्रोक संबंधी सहायता: स्ट्रोक के बाद पेशीय प्रकार्य की रिकवरी तथा सुधार में सहायता करता है।
- सहायक प्रौद्योगिकी: यह पक्षाघात अथवा पेशीय विकारों से पीड़ित व्यक्तियों को अपने ब्रेन का उपयोग करके प्रोस्थेटिक्स, व्हीलचेयर अथवा रोबोटिक अंगों जैसे उपकरणों को नियंत्रित करने में सक्षम बनाता है।
- लॉक-इन सिंड्रोम (नेत्रों की गति को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों के अतिरिक्त लकवाग्रस्त) से पीड़ित व्यक्तियों के लिये संचार में सुविधा प्रदान करता है।
- मानसिक स्वास्थ्य निगरानी: इसके उपयोग से अवसाद अथवा चिंता जैसी मानसिक स्वास्थ्य स्थितियों की निगरानी एवं प्रबंधन के लिये वास्तविक समय डेटा प्राप्त किया जा सकता है।
- आभासी तथा संवर्द्धित वास्तविकता इंटरेक्शन: उपयोगकर्त्ताओं को अपने ब्रेन का उपयोग करके डिजिटल वातावरण से जुड़ने में सहायता प्रदान कर आभासी तथा संवर्द्धित वास्तविकता अनुभवों को बढ़ाने में सहायता प्रदान करेगा।
ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCI) से संबंधित नैतिक विचार क्या हैं?
- गोपनीयता संबंधी चिंताएँ: BCI संभावित रूप से ब्रेन के विचारों तथा भावनाओं को डिकोड कर सकते हैं। इस जानकारी तक अनधिकृत पहुँच संज्ञानात्मक गोपनीयता से संबंधित चिंता उत्पन्न करती है।
- किसी भी अन्य तकनीक के समान जिसमें संवेदनशील डेटा का संग्रह एवं भंडारण शामिल होता है, BCI के उपयोग में हैकिंग तथा ब्रेन के डेटा तक अनधिकृत पहुँच संबंधी जोखिम होते हैं जिससे उपयोगकर्त्ता के पहचान की चोरी अथवा अन्य दुर्भावनापूर्ण उपयोग की संभावना होती है।
- न्यूरोसिक्योरिटी: किसी व्यक्ति के विचारों अथवा कार्यों पर अनधिकृत नियंत्रण अथवा हेरफेर करने के लिये BCI के उपयोग करने का जोखिम है।
- समानता और पहुँच: आलोचकों का तर्क है कि यदि केवल विशिष्ट सामाजिक-आर्थिक समूह ही इसकी उच्च लागत के कारण प्रौद्योगिकी का खर्च उठा सकते हैं तो BCI मौजूदा सामाजिक असमानताओं को बढ़ा सकता है और इससे "संज्ञानात्मक विभाजन" की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
- चिकित्सा और चिकित्सीय अनुप्रयोग: BCI के चिकित्सीय उपयोग और सामान्य संज्ञानात्मक कार्य के लिये खतरों के बीच अंतर करना व्यक्तिपरक है।
आगे की राह
- न्यूरोएथिक्स और न्यूरोप्राइवेसी: BCI के चिकित्सीय और सहायक अनुप्रयोगों को परिभाषित करने वाले नैतिक ढाँचे की स्थापना करना और इससे जुड़ी गोपनीयता, सुरक्षा तथा सहमति के मुद्दों में सुधार करना।
- पारदर्शिता और सूचित सहमति: उपयोगकर्त्ताओं के बीच जागरूकता सुनिश्चित करनेके लिये BCI की क्षमताओं, सीमाओं और संभावित जोखिमों के बारे में पारदर्शिता को बढ़ावा दिया जाना चाहिये।
- न्यायसंगत पहुँच: डिजिटल और संज्ञानात्मक विभाजन को समाप्त करने की पहल को लागू करना ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि BCI विविध पृष्ठभूमि के व्यक्तियों, विशेष रूप से शारीरिक और मानसिक विकलांगताओं का सामना करने वाले लोगों के लिये पहुँच सुलभ हो।
- शिक्षा और जागरूकता: नैतिक प्रथाओं को सुनिश्चित करने के लिये शोधकर्त्ताओं, स्वास्थ्य देखभाल पेशेवरों और आम जनता हेतु शिक्षा तथा प्रशिक्षण प्रदान करना।