शासन व्यवस्था
बिहार में पहला ई-कलेक्ट्रेट
- 30 Nov 2022
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मेन्स के लिये:लाल फीताशाही और इसके परिणाम |
चर्चा में क्यों?
भारतीय लालफीताशाही को समाप्त करने के उद्देश्य से सहरसा बिहार का पहला ज़िला बन गया जिसे पेपरलेस (ई-ऑफिस) घोषित किया गया।
ई-ऑफिस पहल
- ई-ऑफिस, ई-गवर्नेंस पहल के हिस्से के रूप में एक मिशन-मोड परियोजना है।
- ई-ऑफिस पहल वर्ष 2009 में शुरू हुई थी, लेकिन कागजी कार्रवाई के विशाल ढेर एक बाधा थी और अभी भी है यह ऐसी बाधा है जिसे पार करना बहुत कठिन है।
- केरल में इडुक्की वर्ष 2012 में और हैदराबाद वर्ष 2016 में पेपरलेस हो गया था।
- इसका उद्देश्य कार्यप्रवाह तंत्र और कार्यालय प्रक्रिया नियमावली में सुधार के माध्यम से सरकारी मंत्रालयों और विभागों की परिचालन दक्षता में उल्लेखनीय सुधार करना है।
लालफीताशाही
- यह अत्यधिक विनियमन या औपचारिक नियमों के कठोर अनुपालन हेतु उपहासपूर्ण शब्द है जिसे अनावश्यक या नौकरशाही माना जाता है, यह कार्रवाई या निर्णय लेने में बाधा डालता है या रोकता है।
- यह आमतौर पर सरकार पर लागू होता है लेकिन निगमों जैसे अन्य संगठनों पर भी लागू किया जा सकता है।
- इसमें आम तौर पर प्रतीत होने वाली अनावश्यक कागजी कार्रवाई को भरना, अनावश्यक लाइसेंस प्राप्त करना, कई लोगों या समितियों द्वारा निर्णय तथा विभिन्न निम्न-स्तरीय नियम शामिल होते हैं जो किसी भी मामले को धीमा और/या अधिक जटिल बनाते हैं।
लालफीताशाही के परिणाम:
- व्यापार करने की लागत में वृद्धि:
- फॉर्म भरने में लगने वाले समय और धन के अलावा लालफीताशाही व्यवसायों में उत्पादकता और नवाचारों को कम करती है।
- छोटे व्यवसाय विशेष रूप से इससे बोझिल होते हैं, जो लोगों को एक नया व्यवसाय शुरू करने से हतोत्साहित कर सकता है।
- खराब शासन:
- लालफीताशाही के कारण अनुबंधों को लगातार लागू नहीं किया जाता है और प्रशासन में देरी होती है जिसके परिणामस्वरूप विशेष रूप से गरीबों के लिये न्याय में देरी होती है। विलंबित शासन और कल्याणकारी उपायों के वितरण में देरी के कारण लालफीताशाही आवश्यकताओं का बोझ कई लोगों को अपने अधिकारों के उपयोग से रोकता है।
- नागरिक असंतोष:
- सरकारी प्रसंस्करण के कारण होने वाली देरी और उनसे जुड़ी लागतें नागरिकों के बीच असंतोष का स्रोत बनी हुई हैं। लालफीताशाही ज़्यादातर समय सरकार की प्रक्रिया में विश्वास की कमी की भावना उत्पन्न करती है, जिससे नागरिकों को अनसुलझी समस्याएँ होती हैं।
- योजना के कार्यान्वयन में विलंब:
- लालफीताशाही से प्रभावित योजनाएँ अंततः उस बड़े उद्देश्य को खत्म कर देती है जिसके लिये उन्हें लॉन्च किया गया था।
- उचित निगरानी की कमी, धन जारी करने में देरी, आदि लालफीताशाही से जुड़े सामान्य मुद्दे हैं।
- भ्रष्टाचार:
- विश्व बैंक के एक अध्ययन के अनुसार लालफीताशाही बढ़ने के साथ भ्रष्टाचार बढ़ता है।
- व्यवसायों के सामान्य प्रवाह को जटिल करके, नौकरशाही भ्रष्टाचार को जन्म देती है और विकास को कम करती है।
लालफीताशाही को खत्म करने की ज़रूरत:
- दक्षता बढ़ाना:
- डिजिटलीकरण दक्षता, पारदर्शिता और जवाबदेही लाने में मदद कर सकता है।
- कर्मचारी की उत्पादकता में वृद्धि:
- इसने कर्मचारी के उत्पादन में वृद्धि की है और एक दस्तावेज़ को संसाधित करने के लिये आवश्यक श्रमिकों की संख्या को कम कर दिया है क्योंकि दस्तावेज़ एक दिन के भीतर संसाधित होते हैं।
- सरकारी सिस्टम में कहा जाता है कि कोई फाइल जितनी तेज़ी से आगे बढ़ेगी, उतनी ही तेज़ी से कोई पॉलिसी लागू होगी।
- जवाबदेही बढ़ाना:
- ऑनलाइन प्रणाली अधिक जवाबदे और कर्मचारी सदस्य अंत में उन्हीं दस्तावेजों के इंतजार में नही बैठ सकते।
- सुशासन की दिशा में एक कदम:
- सुशासन और भ्रष्टाचार मुक्त व्यवस्था की दिशा में प्रौद्योगिकी का उपयोग अच्छा कदम है।
- जितनी अधिक तकनीक हम लागू करेंगे, हमारी सेवा वितरण जनता के लिये उतनी ही आसान होगी।
आगे की राह:
- अलग-अलग शहरी-ग्रामीण स्तर के सामाजिक-आर्थिक डेटाबेस के माध्यम से नियोजन के निम्न से ऊपर स्तर के दृष्टिकोण के साथ, सरकारी मंत्रालयों द्वारा एक समग्र और एकीकृत दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें जल्द से जल्द जनसंख्या की ज़रूरतों को पूरा करने के लिये डेटा संचालित नीतियों की पहचान करना, मूल्यांकन करना, लागू करना और निवारण करना शामिल है। ।
- ई-गवर्नेंस के माध्यम से सरकार के सभी स्तरों पर बदलाव की ज़रूरत है, लेकिन इस संदर्भ में स्थानीय सरकारों पर ध्यान ज़्यादा केंद्रित होना चाहिये क्योंकि स्थानीय सरकारें नागरिकों के सबसे करीब होती हैं।
- बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी के साथ-साथ विशेषकर ग्रामीण क्षेत्रों में डिजिटल अवसंरचना में सुधार पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये।
- क्षेत्रीय भाषाओं के माध्यम से ई-गवर्नेंस भारत जैसे देशों के लिये सराहनीय है जहाँ कई भाषाई पृष्ठभूमि के लोग साथ रहते हैं।