सरकारी क्षेत्र के बैंकों के मूल्यांकन की योजना | 12 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
भारतीय बैंकिंग प्रणाली में सरकारी क्षेत्र के बैंकों (Public Sector Banks-PSBs) की हिस्सेदारी में जारी गिरावट को दूर करने के लिये वित्त मंत्रालय ने एक विस्तृत कार्रवाई की योजना तैयार की है जिसके तहत वित्त मंत्रालय शाखा, क्षेत्र, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कुल 16 प्रदर्शन संकेतकों के माध्यम से PSBs की निगरानी करेगा।
PSBs का बाज़ार हिस्सा घट रहा है जबकि निजी क्षेत्र के बैंक बढ़ रहे हैं:
- दिसंबर 2018 के अंत तक PSBs अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों के कुल बकाया ऋण के 63 प्रतिशत हिस्से के लिये उत्तरदाई थे।
- इसके अलावा गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियाँ (Non-Banking Financial Companies-NBFCs) उच्च ब्याज़ दरों के बावजूद बैंकों से उधार लेकर ग्राहकों को आकर्षित करने में सक्षम हैं।
- 16 प्रदर्शन संकेतक:
आधारभूत संरचना के लिये ऋण | कृषि क्षेत्र |
नीली अर्थव्यवस्था या ब्लू इकॉनमी | हाउसिंग सेक्टर |
सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्यम | स्टैंड-अप इंडिया योजना |
शिक्षा | निर्यात |
ग्रीन इकॉनमी | स्वच्छता गतिविधियाँ |
वित्तीय समावेशन | महिला सशक्तीकरण |
प्रत्यक्ष लाभ अंतरण | डिजिटल अर्थव्यवस्था |
ATM का उपयोग और प्रदर्शन | कॉर्पोरेट सोशल रेस्पोंसिबिलिटी |
- इसके बाद बैंकों का 18 सार्वजनिक बैंकों के औसत के आधार पर मूल्यांकन किया जाएगा और यदि उन्हें इसमें सुस्त पाया गया तो उनके प्रदर्शन में सुधारने करने के लिये विभिन्न स्तरों पर परामर्श के बाद विशिष्ट कार्रवाई की जाएगी।