आंतरिक सुरक्षा
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल और पाकिस्तान
- 19 Oct 2019
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प्रीलिम्स के लिये :
वित्तीय कार्र्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force)
मेन्स के लिये:
आतंकी फंडिंग से संबंधित मुद्दे
चर्चा में क्यों:
हाल ही में आतंकवाद के प्रसार के लिये मुहैया कराए जाने वाले धन की निगरानी करने वाली अंतर्राष्ट्रीय निगरानी संस्था वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (Financial Action Task Force-FATF) ने पाकिस्तान को फरवरी 2020 तक ‘ग्रे’ लिस्ट में बरकरार रखा है।
मुख्य बिंदु:
- FATF ने पेरिस में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह (International Co-operation Review Group) की बैठक में पाकिस्तान को कठोर चेतावनी देते हुए कहा कि उसे फरवरी 2020 तक वैश्विक मानकों को अपनाते हुए आतंकवाद के लिये धन मुहैया कराना रोकना होगा अन्यथा उसे FATF की ‘ग्रे’ लिस्ट से निकालकर ‘ब्लैक’ लिस्ट में डाल दिया जाएगा।
- पाकिस्तान जून 2018 से मनी लॉड्रिंग और आतंकवाद के लिये धन मुहैया कराने के संदर्भ में FATF की ‘ग्रे लिस्ट’ में अर्थात् FATF की कड़ी निगरानी में है।
- FATF के अनुसार, पाकिस्तान ने आतंकवाद के लिये धन मुहैया कराने और मनी लॉड्रिंग जैसी कमज़ोरियों को दूर करने की प्रतिबद्धता नहीं दिखाई है, हालाँकि पाकिस्तान की नई सरकार द्वार उठाए गए कुछ स्पष्ट कदमों का FATF ने स्वागत किया है।
- FATF के अनुसार, आतंकवाद के लिये धन मुहैया कराने और मनी लॉड्रिंग के खिलाफ पाकिस्तान की अधिकांश कार्य योजनाएँ अधूरी हैं, पाकिस्तान को इन विषयों पर और अधिक कार्य करने की आवश्यकता है। FATF के वैश्विक मानकों को पूरा करने में पाकिस्तान की विफलता एक ऐसा मुद्दा है जिसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिये।
- चूँकि पाकिस्तान FATF की 'ग्रे लिस्ट' में बना हुआ है, इसलिये पाकिस्तान के लिये अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष, विश्व बैंक, एशियाई विकास बैंक और यूरोपीय संघ से वित्तीय सहायता प्राप्त करना मुश्किल होगा।
- FATF ने उल्लेख किया कि पाकिस्तान ने लश्करे-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद और हिजबुल मुजाहिद्दीन जैसे आतंकवादी समूहों को धन मुहैया कराने से रोकने के लिये FATF द्वारा दिये गए 27 कार्यों में से केवल 5 कार्यों पर ध्यान दिया।
वित्तीय कार्रवाई कार्य बल
(Financial Action Task Force-FATF)
- FATF की स्थापना वर्ष 1989 में एक अंतर-सरकारी निकाय के रूप में हुई थी।
- FATF का उद्देश्य मनी लॉड्रिंग, आतंकवादी वित्तपोषण जैसे खतरों से निपटना और अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय प्रणाली की अखंडता के लिये अन्य कानूनी, विनियामक और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
- FATF की सिफारिशों को वर्ष 1990 में पहली बार लागू किया गया था। उसके बाद 1996, 2001, 2003 और 2012 में FATF की सिफारिशों को संशोधित किया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे प्रासंगिक और अद्यतन रहें, तथा उनका उद्देश्य सार्वभौमिक बना रहे।
- किसी भी देश का FATF की ‘ग्रे’ लिस्ट में शामिल होने का अर्थ होता है कि वह देश आतंकवादी फंडिंग और मनी लॉड्रिंग पर अंकुश लगाने में विफल रहा है।
- किसी भी देश का FATF की ‘ब्लैक’ लिस्ट में शामिल होने का अर्थ होता है कि उस देश को अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं द्वारा वित्तीय सहायता मिलनी बंद हो जाएगी।
- वर्तमान में FATF में भारत समेत 39 सदस्य देश हैं। भारत FATF का 2010 से सदस्य है।
- पाकिस्तान FATF का सदस्य नहीं है।
निष्कर्ष:
FATF द्वारा पाकिस्तान को फरवरी 2020 तक आतंकवादी फंडिंग और मनी लॉड्रिंग जैसे कार्यों पर अंकुश लगाने की कठोर चेतावनी दी गई है अन्यथा उसे FATF की ‘ब्लैक’ लिस्ट में शामिल किया जाएगा। इससे अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं से पाकिस्तान के लिये वित्तीय सहायता के दरवाजे बंद हो जाएंगे।