भारतीय अर्थव्यवस्था
वित्त आयोग द्वारा राजकोषीय घाटे का दायरा निर्धारण के लिये सिफारिश
- 08 Sep 2020
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प्रिलिम्स के लिये:FRBM कानून, मौद्रिक नीति समिति मेन्स के लिये:COVID-19 महामारी का अर्थव्यवस्था पर प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
वित्त आयोग के सलाहकार पैनल के कई सदस्यों ने COVID-19 महामारी के कारण वैश्विक अनिश्चितताओं में वृद्धि को देखते हुए केंद्र और राज्यों के राजकोषीय घाटे का एक सीधा लक्ष्य रखने के बजाय एक सीमा (Range) निर्धारण पर विचार करने का सुझाव दिया है।
प्रमुख बिंदु:
- यह सुझाव राजकोषीय घाटे और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की तुलना में ऋण के अनुपात के लक्ष्य का एक दायरा निर्धारित करने के लिये दिया गया है।
- उदाहरण के लिये राजकोषीय घाटे का लक्ष्य 3 प्रतिशत न होकर 3.5 से 5 प्रतिशत के बीच हो सकता है। यह मौद्रिक नीति समिति द्वारा निर्धारित खुदरा मुद्रास्फीति (4%+-2) के समान होगा।
- राजकोषीय घाटे को सीधे लक्ष्य की बजाय एक दायरे में रखने के लिये राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (FRBM) कानून में संशोधन करना होगा।
- वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में सरकार द्वारा FRBM कानून में प्रदान की गई 0.5 प्रतिशत की छूट के लिये पिछले वर्ष और चालू वित्त वर्ष के लिये राहत का प्रावधान किया गया था। इससे राजकोषीय घाटे का लक्ष्य इन दो वर्षों में GDP का क्रमशः 3.8 प्रतिशत एवं 3.5 प्रतिशत रखा गया।
- 15वाँ वित्त आयोग वर्ष 2021-22 से लेकर 2025-26 के लिये अपनी रिपोर्ट 30 अक्तूबर, 2020 तक सौपेंगा।
क्या है FRBM कानून?
- उल्लेखनीय है कि देश की राजकोषीय व्यवस्था में अनुशासन लाने के लिये तथा सरकारी खर्च तथा घाटे जैसे कारकों पर नज़र रखने के लिये राजकोषीय जवाबदेही एवं बजट प्रबंधन (FRBM) कानून को वर्ष 2003 में तैयार किया गया था तथा जुलाई 2004 में इसे प्रभाव में लाया गया था।
- यह सार्वजनिक कोषों तथा अन्य प्रमुख आर्थिक कारकों पर नज़र रखते हुए बजट प्रबंधन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। FRBM के माध्यम से देश के राजकोषीय घाटों को नियंत्रण में लाने की कोशिश की गई थी, जिसमें वर्ष 1997-98 के बाद भारी वृद्धि हुई थी।
- केंद्र सरकार ने FRBM कानून की नए सिरे से समीक्षा करने और इसकी कार्यकुशलता का पता लगाने के लिये एन. के. सिंह के नेतृत्व में एक समिति का गठन किया था।
मौद्रिक नीति समिति
- मौद्रिक नीति समिति (MPC) का गठन ब्याज दर निर्धारण को अधिक उपयोगी एवं पारदर्शी बनाने के लिये 27 जून, 2016 को किया गया था।
- वित्त अधिनियम, 2016 द्वारा रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया अधिनियम, 1934 (RBI अधिनियम) में संशोधन किया गया, ताकि मौद्रिक नीति समिति को वैधानिक और संस्थागत रूप प्रदान किया जा सके।
- भारतीय रिज़र्व बैंक अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, मौद्रिक नीति समिति के छह सदस्यों में से तीन सदस्य RBI से होते हैं और अन्य तीन सदस्यों की नियुक्ति केंद्रीय बैंक द्वारा की जाती है।
- रिज़र्व बैंक का गवर्नर इस समिति का पदेन अध्यक्ष होता है, जबकि भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर मौद्रिक नीति समिति के प्रभारी के तौर पर काम करते हैं।
आगे की राह
- आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2020-21 के पहले तीन महीनों (अप्रैल-जून) के लिये केंद्र का राजकोषीय घाटा 6.62 लाख करोड़ रुपए पहुँच गया, जो कि इस वर्ष के लिये बजटीय लक्ष्य रूपए 7.96 लाख करोड़ का 83% है।
- COVID-19 जैसी महामारी में राजकोषीय अनिश्चितताओं का बढ़ना स्वाभाविक है। अतः राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को एक दायरे में रखना केंद्र और राज्य सरकारों को राजकोषीय लक्ष्यों की प्राप्ति के क्रम में लचीलापन प्रदान करेगा।