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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

अति तरल हीलियम गैस में फ्यू-इलेक्ट्रॉन बबल्स

  • 14 Jul 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

हीलियम गैस, क्वथनांक, अतिचालकता, फ्यू-इलेक्ट्रॉन बबल्स, इलेक्ट्रॉन

मेन्स के लिये:

फ्यू-इलेक्ट्रॉन बबल्स का महत्त्व

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय विज्ञान संस्थान (Indian Institute of Science- IISc), बंगलूरू के वैज्ञानिकों ने पहली बार अति तरल हीलियम गैस (Superfluid Helium Gas) में फ्यू-इलेक्ट्रॉन बबल्स (Few-Electron Bubbles- FEBs) की दो प्रजातियों की खोज की है।

हीलियम:

  • हीलियम एक रासयनिक तत्त्व है जिसका प्रतीक (Symbol) He तथा परमाणु क्रमांक 2 है। वर्ष 1895 में फ्रांँसीसी खगोलशास्त्री पियरे जानसेन (Pierre Janssen) द्वारा पृथ्वी पर हीलियम के अस्तित्व की खोज की गई थी।
  • यह एक रंगहीन, गंधहीन, स्वादहीन, नॉन टॉक्सिक, अक्रिय तथा एकल परमाण्विक नोबल गैस (Noble Gas) है जो आवर्त सारणी (Periodic Table) में नोबल गैस समूह में प्रथम गैस है।
  • इसका क्वथनांक (Boiling Point) सभी तत्त्वों में सबसे कम है।

इलेक्ट्रॉन:

  • पदार्थ (Matter) परमाणुओं से मिलकर बना है, जो हाइड्रोजन, हीलियम या ऑक्सीजन जैसे रासायनिक तत्त्वों की मूल इकाइयाँ हैं।
  • परमाणु तीन कणों से बने होते हैं: प्रोटॉन (Protons), न्यूट्रॉन (Neutron) और इलेक्ट्रॉन (Electron)।
  • अत: इलेक्ट्रॉन सब एटोमिक पार्टिकल्स (Subatomic Particles) होते हैं जो एक परमाणु के नाभिक की परिक्रमा करते हैं। सामान्यत: ये ऋणात्मक आवेश वाले होते हैं और परमाणु के नाभिक से बहुत छोटे होते हैं।

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प्रमुख बिंदु

  • इलेक्ट्रॉन बबल्स:

    • एक इलेक्ट्रॉन बबल्स/बुलबुला एक क्रायोजेनिक गैस या तरल जैसे- नियॉन या हीलियम में एक मुक्त इलेक्ट्रॉन के समीप निर्मित खाली स्थान है। ये सामान्यत: वायुमंडलीय दाब में लगभग 2 एनएम व्यास के बहुत छोटे कण के रूप में पाए जाते हैं।
    • हीलियम के अति तरल (Superfluid) रूप में जब इलेक्ट्रॉन को प्रेषित किया जाता है तो यह सिंगल इलेक्ट्रॉन बबल्स (SEB) बनाता है, यह एक गुहा होती है जो हीलियम परमाणुओं से मुक्त होती है और इसमें सिर्फ इलेक्ट्रॉन होते हैं। बबल्स का स्वरूप इलेक्ट्रॉन की ऊर्जा स्थिति पर निर्भर करता है।
      • उदाहरण के लिये जब इलेक्ट्रॉन का ऊर्जा स्तर न्यूनतम (ग्राउंड स्टेट) होता है तो बबल्स गोलाकार होंगे। इसके अलावा मल्टीपल इलेक्ट्रॉन बबल्स (MEB) भी होते हैं जिनमें हज़ारों इलेक्ट्रॉन रहते हैं।
      • अति तरलता (Superfluidity) , तरल हीलियम में परम शून्य (-273.15 डिग्री सेल्सियस) के तापमान पर घर्षण रहित प्रवाह और अन्य बाह्य प्रभावों से युक्त है तथा अतिचालकता (Superconductivity) ठोस में इलेक्ट्रॉनों के समान घर्षण रहित प्रभाव है। प्रत्येक मामले में असामान्य प्रतिक्रिया क्वांटम यांत्रिक प्रभावों से उत्पन्न होती है।
  • फ्यू-इलेक्ट्रॉन बबल्स (FEB):
    • दूसरी ओर FEB तरल हीलियम में नैनोमीटर के आकार की गुहाएँ होती हैं, जिनमें केवल कुछ मुट्ठी भर मुक्त इलेक्ट्रॉन होते हैं। मुक्त इलेक्ट्रॉनों के बीच की संख्या, अवस्था और परस्पर क्रिया सामग्री के भौतिक तथा रासायनिक गुणों को निर्धारित करती है।
      • FEB एक ऐसी प्रणाली बनाता है जिसमें इलेक्ट्रॉन-इलेक्ट्रॉन इंटरैक्शन और इलेक्ट्रॉन-सरफेस इंटरैक्शन दोनों होते हैं।
      • FEB कम-से-कम 15 मिलीसेकंड के लिये स्थिर पाए गए (क्वांटम परिवर्तन आमतौर पर बहुत कम समय के पैमाने पर होते हैं) जो शोधकर्त्ताओं को इन्हें ट्रैप करने और उनका अध्ययन करने में सक्षम बनाता है।
  • महत्त्व:

    • अध्ययन संपत्ति:
      • FEB यह अध्ययन करने के लिये एक उपयोगी मॉडल के रूप में काम कर सकता है कि किसी सामग्री में इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा स्थिति और उनके बीच की अंतःक्रिया उसके गुणों को कैसे प्रभावित करती है।
    • घटनाओं को समझना:
      • ऐसी कई घटनाएँ हैं जिन्हें समझने में FEB वैज्ञानिकों को मदद कर सकता है, जैसे:
        • अधिक तरल और चिपचिपे पदार्थों में तीव्र प्रवाह या अतितरल हीलियम में ऊष्मा का प्रवाह।
        • जिस तरह बहुत कम तापमान पर अतिचालक सामग्री में बिना प्रतिरोध के धारा प्रवाहित होती है, उसी तरह अति तरल हीलियम भी बहुत कम तापमान पर कुशलता से उष्मा का संचालन करता है।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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