इंदौर शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 11 नवंबर से शुरू   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

डेली अपडेट्स


कृषि

कृषि में महिलाओं की भागीदारी

  • 10 Jul 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

10वीं कृषि जनगणना (2015-16) के अनुसार कृषि में महिलाओं का परिचालन स्वामित्त्व वर्ष 2010-11 के 13% से बढ़कर वर्ष 2015-16 में 14% हो गया है।

प्रमुख बिंदु:

  • भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 16% का योगदान देने वाले कृषि क्षेत्र में महिलाओं की गतिविधियाँ बढ़ रही हैं।
  • कृषि क्षेत्र में सक्रिय कुल जनसंख्या में से 80% महिलाएँ कार्यरत हैं जिसमें से 33% कृषि श्रम बल और 48% स्व-नियोजित किसान के रूप में भी शामिल हैं।
  • NSSO की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 18% किसान परिवारों का नेतृत्व महिलाएँ ही करती हैं।
  • आर्थिक सर्वेक्षण 2017-18 के अनुसार, ग्रामीण से शहरी क्षेत्रों में पुरुषों के प्रवास में वृद्धि के परिणामस्वरूप कृषि में महिलाओं की भागीदारी में वृद्धि हुई है।

कृषि जनगणना

  • इसका आयोजन कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग (Department of Agriculture, Cooperation and Farmer Welfare) द्वारा प्रत्येक 5 वर्ष में किया जाता है।
  • कृषि जनसंख्या में परिचालन संपत्ति से संबंधित आँकड़ों को जनगणना के माध्यम से तैयार किया जाता है।
  • पहली बार कृषि जनगणना वर्ष 1970-71 में की गई थी।

परिचालन संपत्ति

(Operational Holding)

  • ऐसी भूमि जो कृषि उत्पादन के लिये पूरी तरह या आंशिक रूप से उपयोग की जाती है और किसी व्यक्ति द्वारा अकेले या दूसरों के साथ मिलकर बिना स्वामित्व के भी इसका संचालन एक तकनीकी इकाई के रूप में किया जाता है, तो यह परिचालन संपत्ति कहलाती है।

महिला किसानों की चुनौतियाँ

  • भूमि पर स्वामित्व का अभाव
  • वित्तीय ऋण तक पहुँच का अभाव
  • संसाधनों और आधुनिक उपकरणों का अभाव
  • कम वेतन के साथ कार्य का अत्यधिक बोझ

सरकार के द्वारा उठाये गए कदम

  • महिला किसान सशक्तीकरण परियोजना
    • ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित विशेष रूप से महिला किसानों के लिये एक कार्यक्रम है।
    • यह दीन दयाल अंत्योदय योजना- यह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का एक उप-घटक है।
    • इसका उद्देश्य कृषि में महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाना है जिससे स्थायी आजीविका का सृजन करके महिलाओं को सशक्त बनाया जा सके।
    • ऐसी परियोजनाओं के लिये 60% (उत्तर पूर्वी राज्यों के लिये 90%) की वित्तीय सहायता सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी।
    • यह किसानों हेतु राष्ट्रीय नीति 2007 के प्रावधानों के अनुरूप है।
  • सभी लाभकारी योजनाओं, कार्यक्रमों और विकास गतिविधियों के बजट आवंटन में से 30% महिला लाभार्थियों के लिये निर्धारित किया गया है।
  • सरकार स्वयं सहायता समूह के माध्यम से वित्त की आपूर्ति करने पर अपना ध्यान केंद्रित कर रही है जिससे महिला किसानों के क्षमता निर्माण और विभिन्न निर्णय लेने वाले निकायों में उनका प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया जा सके।
  • कृषि में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका को स्वीकार करते हुए, कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने प्रत्येक वर्ष के 15 अक्तूबर को महिला किसान दिवस घोषित किया है।

आगे की राह:

  • नाबार्ड (NABARD) की सूक्ष्म वित्तीयन पहल के तहत बिना परिसंपत्ति के बिना भी ऋण देने की प्रक्रिया प्रोत्साहित किया जाए।
  • महिलाओं के अनुकूल उपकरणों और मशीनरी के उत्पादन को निर्माताओं द्वारा प्रोत्साहित किया जाना चाहिये।
  • प्रत्येक जिले में स्थापित कृषि विज्ञान केंद्रों को अन्य सेवाओं के साथ-साथ नवीन प्रौद्योगिकी के बारे में महिला किसानों को शिक्षित और प्रशिक्षित करने का अतिरिक्त कार्य सौंपा जा सकता है।
  • सरकार की प्रमुख योजनाओं जैसे राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, बीज और रोपण सामग्री पर उप-मिशन और राष्ट्रीय कृषि विकास योजना में महिला को केंद्रित करते हुए विशेष रणनीति और समर्पित व्यय को शामिल किया जाना चाहिये।

स्रोत: PIB

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2