एफडीआई नीति : ज़्यादा उदार ज़्यादा प्रगतिशील | 12 Jan 2018
चर्चा में क्यों?
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने एफडीआई नीति में अनेक संशोधनों को अपनी मंजू़री दी है। इन संशोधनों का उद्देश्य एफडीआई नीति को और ज़्यादा उदार एवं सरल बनाना है, ताकि देश में कारोबार करने में आसानी सुनिश्चित हो सके। इसके परिणामस्वरूप प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का प्रवाह बढ़ेगा, जिससे निवेश, आय एवं रोज़गार में उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) आर्थिक विकास का एक प्रमुख वाहक और देश में आर्थिक विकास के लिये गैर-ऋण वित्त का एक महत्त्वपूर्ण स्रोत है।
- भारत सरकार द्वारा एफडीआई के संबंध में एक निवेशक अनुकूल नीति क्रियान्वित की गई है जिसके तहत ज़्यादातर क्षेत्रों/गतिविधियों में स्वत: रूट (automatic route) से 100 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति दी गई है।
- हाल के महीनों में सरकार द्वारा अनेक क्षेत्रों (सेक्टरों) यथा रक्षा, निर्माण क्षेत्र के विकास, बीमा, पेंशन, अन्य वित्तीय सेवाओं, परिसंपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियों (Asset reconstruction Companies), प्रसारण (Broadcasting), नागरिक उड्डयन (Civil Aviation), फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals), ट्रेडिंग इत्यादि में एफडीआई संबंधी नीतिगत सुधार लागू किये गए हैं।
- सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के परिणामस्वरूप देश में एफडीआई के प्रवाह में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
- वर्ष 2014-15 के दौरान कुल मिलाकर 45.15 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रवाह हुआ है, जबकि वर्ष 2013-14 में यह प्रवाह 36.05 अरब अमेरिकी डॉलर का हुआ था।
- वर्ष 2015-16 के दौरान देश में कुल मिलाकर 55.46 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ, जबकि वित्त वर्ष 2016-17 में कुल मिलाकर 60.08 अरब अमेरिकी डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्राप्त हुआ, जो अब तक का सर्वकालिक उच्चतम स्तर है।
क्या संशोधन किये गए हैं?
सरकार द्वारा एफडीआई नीति में अनेक संशोधन करने का निर्णय लिया गया है।
एकल ब्रांड खुदरा कारोबार में एफडीआई के लिये सरकारी मंजू़री की आवश्यकता नहीं
- एसबीआरटी (Single Brand Retail Trading - SBRT) से संबंधित वर्तमान एफडीआई नीति के तहत स्वत: रूट के ज़रिये 49 प्रतिशत एफडीआई और सरकारी मंजू़री वाले रूट के ज़रिये 49 प्रतिशत से अधिक और 100 प्रतिशत तक के एफडीआई की अनुमति दी गई है।
- एकल ब्रांड खुदरा कारोबार करने वाले निकायों को आरंभिक 5 वर्षों के दौरान वैश्विक परिचालनों के लिये भारत से वस्तुओं की अपनी वृद्धिपरक प्राप्ति का समायोजन करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।
- पाँच वर्षों की यह अवधि पूरी होने के बाद एसबीआरटी निकाय के लिये हर साल सीधे अपने भारतीय परिचालन हेतु 30 प्रतिशत की प्राप्ति से जुड़े मानकों को पूरा करना अनिवार्य होगा।
- अनिवासी निकाय अथवा निकायों, चाहे वे ब्रांड के मालिक हों अथवा अन्य, को विशिष्ट ब्रांड के लिये देश में ‘एकल ब्रांड’ वाले उत्पाद का खुदरा कारोबार करने की अनुमति दी गई है।
- यह खुदरा कारोबार या तो सीधे ब्रांड के मालिक अथवा एकल ब्रांड का खुदरा कारोबार करने वाले भारतीय निकाय और ब्रांड के मालिक के बीच हुए कानूनी तर्कसंगत समझौते के ज़रिये किया जा सकता है।
नागरिक उड्डयन (Civil Aviation)
- वर्तमान नीति के अनुसार, विदेशी एयरलाइनों को शेड्यूल्ड एवं नॉन-शेड्यूल्ड (scheduled and non-scheduled) हवाई परिवहन सेवाओं का संचालन करने वाली भारतीय कंपनियों की पूंजी में सरकारी मंजू़री रूट के तहत निवेश करने की अनुमति दी गई है।
- यह निवेश इन कंपनियों की चूकता पूंजी के 49 प्रतिशत की सीमा तक किया जा सकता है। हालाँकि, यह प्रावधान वर्तमान में एयर इंडिया के लिये मान्य नहीं था। परंतु, अब इस पाबंदी को समाप्त करते हुए विदेशी एयरलाइनों को एयर इंडिया में मंजू़री रूट के तहत 49 प्रतिशत तक निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।
- हालाँकि इस संदर्भ में निम्नलिखित शर्तें भी रखी गई हैं-
⇒ विदेशी एयरलाइन या एयरलाइंस के विदेशी निवेश सहित एयर इंडिया में विदेशी निवेश (न तो प्रत्यक्ष और न ही अप्रत्यक्ष रूप से) 49 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा।
⇒ भविष्य में भी एयर इंडिया के संबंध में व्यापक स्वामित्व एवं प्रभावकारी नियंत्रण का अधिकार भारतीयों के पास ही रहेगा।
निर्माण क्षेत्र (Construction Development)
- चूँकि रियल एस्टेट ब्रोकिंग सेवा का वास्ता अचल परिसंपत्ति (रियल एस्टेट) व्यवसाय से नहीं है, इसलिये इसमें स्वत: रूट के तहत 100 प्रतिशत एफडीआई को मंजू़री दी गई है।
पावर एक्सचेंज (Power Exchanges)
- विस्तृत नीति में केन्द्रीय विद्युत नियामक आयोग (Central Electricity Regulatory Commission) नियमन, 2010 के तहत पंजीकृत पावर एक्सचेंजों में स्वत: रूट के ज़रिये 49 प्रतिशत एफडीआई की अनुमति दी गई है।
- हालांकि, पहले एफआईआई/एफपीआई (Foreign Portfolio Investors - FPI/Foreign Institutional Investors – FII) के निवेश को केवल द्वितीयक बाज़ारों तक ही सीमित रखा गया था।
- परंतु अब इस प्रावधान को समाप्त करते हुए एफआईआई/एफपीआई को प्राथमिक बाज़ार के ज़रिये भी पावर एक्सचेंजों में निवेश करने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है।
फार्मास्यूटिकल्स (Pharmaceuticals)
- फार्मास्यूटिकल्स क्षेत्र से जुड़ी एफडीआई नीति में अन्य बातों के अलावा इस बात का उल्लेख किया गया है कि एफडीआई नीति में चिकित्सा उपकरणों की जो परिभाषा दी गई है वह दवा एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम में किये जाने वाले संशोधन के अनुरूप होगी।
- चूँकि, इस नीति में दी गई परिभाषा अपने आप में पूर्ण है, इसलिये एफडीआई नीति से दवा एवं कॉस्मेटिक्स अधिनियम का संदर्भ समाप्त करने का निर्णय लिया गया है।
- इसके अलावा, एफडीआई नीति में दी गई ‘चिकित्सा उपकरणों’ की परिभाषा में संशोधन करने का भी निर्णय लिया गया है।
ऑडिट कंपनियों के संबंध में प्रतिबंधात्मक शर्तों का निषेध
- वर्तमान एफडीआई नीति में उन ऑडिटरों के विनिर्देश के संबंध में कोई भी प्रावधान नहीं किया गया है जिनकी नियुक्ति विदेशी निवेश प्राप्त करने वाली भारतीय निवेश प्राप्तकर्त्ता (Indian investee companies) कंपनियों द्वारा की जा सकती है।
- एफडीआई नीति में इस बात का उल्लेख करने का निर्णय लिया गया है कि कोई विदेशी निवेशक यदि भारतीय निवेश प्राप्तकर्त्ता कंपनी के लिये अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क वाले किसी विशेष ऑडिटर/ऑडिट फर्म को निर्दिष्ट करना चाहता है, तो वैसी स्थिति में इस तरह की निवेश प्राप्तकर्त्ता कंपनियों का ऑडिट ऐसे संयुक्त ऑडिट के तहत किया जाना चाहिये जिसमें कोई एक ऑडिटर समान नेटवर्क का हिस्सा न हो।