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भारतीय अर्थव्यवस्था

FDI वृद्धि 5 वर्षों के न्यूनतम स्तर पर

  • 02 Jul 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (Foreign Direct Investment - FDI) वृद्धि दर पिछले पाँच वर्षों के न्यूनतम स्तर पर आ गई है। औद्योगिक नीति और संवर्द्धन विभाग (Department of Industrial Policy and Promotion - DIPP) द्वारा जारी नवीनतम आँकड़ों के अनुसार, वित्तीय वर्ष 2017-18 मार्च के दौरान देश में FDI की आवक महज़ तीन प्रतिशत वृद्धि दर के साथ 44.85 बिलियन डॉलर रही। जबकि वित्तीय वर्ष 2016-17 में यह 8.67 प्रतिशत, 2015-16 में 29 प्रतिशत, 2014-15 में 27 प्रतिशत तथा 2013-14 में 8 प्रतिशत थी। हालाँकि, वर्ष 2012-13 में FDI प्रवाह में 38% की नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई थी।

महत्त्वपूर्ण तथ्य

  • आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, एफडीआई आवक की स्थिति में सुधार करने के लिये ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस संबंधी नियमों में काफी सुधार किया जाने की ज़रूरत है।
  • इसके साथ ही सरकार को घरेलू निवेश में वृद्धि करने संबंधी उपायों की दिशा में भी प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है, ताकि देश में FDI के प्रवाह में वृद्धि की जा सके।
  • वस्तुतः उपभोक्ता और खुदरा क्षेत्र में FDI की कम वृद्धि दर का मुख्य कारण इन क्षेत्रों में FDI नीतियों में निहित अनिश्चितता और जटिलता रही है।
  • हालाँकि इस संदर्भ में सरकार की ओर से काफी प्रयास किये जा रहे हैं (बहुत से नियमों को सरल बनाया गया है तथा पहले से मौजूद व्यवस्थाओं में निहित अस्पष्टताओं में भी सुधार किया गया है), लेकिन अभी भी अंतर्राष्ट्रीय उपभोक्ता और रिटेल कंपनियाँ भारत में निवेश करने से घबरा रही हैं।
  • व्यापार नियमों में सुधार का प्रभाव देश की ईज़ ऑफ डूइंग बिज़नेस रैंकिंग में नज़र आता है, इसके बावजूद विदेशी निवेशकों को भारत में निवेश के लिये आकर्षित करने हेतु और प्रयास किये जाने की आवश्यकता है।
  • विशेषज्ञों के अनुसार, किसी भी देश के FDI के आकार में उस देश की अर्थव्यवस्था की वास्तविक तस्वीर नज़र आती है। पिछले कुछ वर्षों में देश में घरेलू निवेश के स्तर पर उदासीनता की स्थिति देखने को मिली है, जिसका प्रभाव अब एफडीआई के प्रवाह पर भी दिखाई देने लगा है।

UNCTAD की रिपोर्ट

  • हाल ही में UNCTAD की एक रिपोर्ट में भी भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में नकारात्मक वृद्धि दर्ज की गई है। इस रिपोर्ट के अनुसार, भारत में FDI प्रवाह वर्ष 2016 के 44 बिलियन डॉलर से घटकर वर्ष 2017 में 40 बिलियन डॉलर के स्तर पर पहुँच गया है।
  • आँकड़ों के अनुसार, देश में सबसे ज़्यादा FDI सेवा क्षेत्र (670 करोड़ डॉलर) में हुआ है। इसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर (615 करोड़ डॉलर), टेलीकॉम (621 बिलियन डॉलर), ट्रेडिंग (434 करोड़ डॉलर), कंस्ट्रक्शन (273 करोड़ डॉलर), ऑटोमोबाइल (200 करोड़ डॉलर) और ऊर्जा (162 करोड़ डॉलर) का स्थान है।
  • इसी क्रम में यदि सबसे अधिक निवेश करने वाले देशों की बात करें तो इसमें मॉरीशस (1594 करोड़ डॉलर) शीर्ष स्थान पर है। इसके बाद सिंगापुर (1218 करोड़ डॉलर), नीदरलैंड्स (280 करोड़ डॉलर), अमेरिका (210 करोड़ डॉलर) और जापान (161 करोड़ डॉलर) का नंबर आता है।
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