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स्पाइनल मस्कुलर एट्रॉपी: एक आनुवंशिक रोग

  • 28 May 2019
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (Food And Drug Administration) ने स्पाइनल मस्कुलर एट्रोपी (Spinal Muscular Atrophy) रोग के उपचार हेतु ज़ोल्गेंस्मा (Zolgensma) उपचार पद्धति को मंज़ूरी प्रदान की है।

प्रमुख बिंदु

  • यह दवा नोवर्टिस (Novertis) नामक कंपनी द्वारा उपलब्ध कराई जा रही है जो आनुवंशिक रूप से होने वाली बीमारी (Spinal Muscular Atrophy) का उपचार एक जीन थेरेपी द्वारा करेगी।
  • इस थेरेपी में बच्चों की मांसपेशियों को कमज़ोर कर उन्हें हिलने-डुलने और साँस   लेने में समस्या पैदा करने वाले जीन को निष्क्रिय किया जाता है। अमेरिका में हर साल जन्म लेने वाले बच्चों में लगभग 400 बच्चे इस रोग से ग्रसित होते हैं।
  • अमेरिकी खाद्य और औषधि प्रशासन (American Food and Drug Administration) ने इस उपचार पद्धति को 24 मई, 2019 को वैधानिक स्वीकृति प्रदान की है, जिसे “Zolgensma” के नाम से जाना जाता है।
  • नोवर्टिस ने कहा कि यदि उपचार के बाद भी बीमारी सही नहीं होती है तो यह बीमाकर्त्ताओं को पाँच वर्ष तक 425,000 डॉलर प्रतिवर्ष भुगतान करेगा और उपचार में आंशिक छूट भी देगा।
  • इससे पूर्व भी इस तरह की महँगी उपचार पद्धतियों को अमेरिकी सरकार द्वारा स्वीकृति मिल चुकी है, जैसे प्रत्येक चार महीने पर रोगी को Spinraza नामक दवा दी जाती है जिसमें पहले वर्ष उपचार शुल्क 7,50,000 अमेरिकी डॉलर और बाद में 3,50,000 अमेरिकी डॉलर प्रतिवर्ष शुल्क लिया जाता है।  
  • विशेषज्ञों के अनुसार, उपचार की लागत को न देखा जाए तो यह दवा रोगियों एवं संपूर्ण स्वास्थ्य जगत के लिये एक सकारात्मक परिणाम सभीत होगी।   

विकृत जीन की पहचान और निवारण

  • Spinal Muscular Atrophy रोग के लिये ज़िम्मेदार जीन शरीर में तंत्रिका तंत्र के सुचारु रूप से कार्य करने के लिये आवश्यक प्रोटीन के निर्माण को बाधित करता है। अन्ततः तंत्रिका तंत्र नष्ट हो जाता है और शिशु की मृत्यु हो जाती है।
  • जिन शिशुओं में इस बीमारी के लक्षण पाए जाते हैं वे धीरे-धीरे अक्षम हो जाते हैं एवं उन्हें साँस लेने के लिये वेंटिलेटर की सहायता लेनी पड़ती है। कभी-कभी ऐसे बच्चे कुछ दशकों तक ही जीवित रह पाते हैं।
  • ज़ोल्गेन्स्मा (Zolegnsma) विकृत जीन की जगह एक स्वस्थ जीन को शरीर में प्रविष्ट करा कर तंत्रिका कोशिकाओं के लिये आवश्यक प्रोटीन का उत्पादन शुरू करता है जिससे बच्चों का शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य रूप से होने लगता है।
  • लेकिन इस उपचार पद्धति के कुछ दुष्प्रभाव भी हैं जैसे- उल्टी आने के साथ ही यकृत को भी नुकसान पहुँचाना। अतः उपचार के बाद कुछ महीनों तक रोगी की बेहतर तरीके से देखभाल की जानी चाहिये, ताकि इस दवा के कारण होने वाले दुष्प्रभावों से  रोगी की देखभाल की जा सकें।
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