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एफडीए ने माइग्रेन को रोकने के लिये डिज़ाइन की गई पहली दवा को मंजूरी दी

  • 22 May 2018
  • 4 min read

चर्चा में क्यों ?

माइग्रेन को रोकने के लिये डिज़ाइन की गई पहली दवा को फ़ूड एंड ड्रग्स एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने मंजूरी दे दी है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नई दवा से माइग्रेन, जो कि सिरदर्द का सबसे गंभीर रूप होता है, से पीड़ित लोगों के उपचार में बड़ी सहायता मिलेगी।

प्रमुख बिंदु 

  • ऐमोविग (Aimovig) नामक इस दवा का निर्माण ऐम्जेन और नोवार्टिस द्वारा किया गया है।
  • यह एक मासिक इंजेक्शन है, जिसे इन्सुलिन पेन जैसे उपकरण की सहायता से इंजेक्ट किया जाएगा।
  • इसका साल भर का मूल्य लगभग $6,900 होगा।
  • ऐमोविग सीजीआरपी नामक प्रोटीन खंड को अवरुद्ध करती है, जो माइग्रेन को उत्तेजित करता है और बनाए रखता है।
  • लिली, तेवा और एल्डर नामक तीन अन्य कंपनियाँ भी इसी प्रकार की दवाओं के अंतिम चरण का परीक्षण कर रही हैं।
  • इस प्रकार की नई दवा विकसित करने का विचार 1980 के दशक में आया था, जब शोधकर्त्ताओं ने पाया कि सीजीआरपी माइग्रेन में भूमिका निभाता है।
  • यह पाया गया कि सीजीआरपी तंत्रिकाओं के मध्य संकेतों का प्रसारण करता है और रक्त वाहिकाओं का विस्तार करता है। अंत में यह पता लगाया गया कि जिन लोगों को माइग्रेन की समस्या थी, उनमें सीजीआरपी की मात्रा अधिक थी।
  • माइग्रेन से संबंधित ये दवाएँ सारे माइग्रेन हमलों को नहीं रोकती, लेकिन इन्हें कम गंभीर जरूर बना सकती हैं और इनकी आवृत्ति को 50 प्रतिशत तक कम कर सकती हैं।
  • अब तक, माइग्रेन को रोकने के लिये उपयोग की जाने वाली दवाओं को उच्च रक्तचाप जैसी अन्य बीमारियों के इलाज के लिये डिजाइन किया गया था। ये दवाएँ बहुत प्रभावी नहीं हैं और केवल अस्थाई रूप से काम कर सकती हैं एवं इनके बड़े साइड इफेक्ट भी होते हैं।
  • नैदानिक परीक्षणों में नई दवाओं का प्रयोग करने वाले लोगों ने पुरानी दवाओं का प्रयोग कर रहे लोगों की अपेक्षा कम साइड इफेक्ट्स महसूस किये हैं।
  • लंबी अवधि के पश्चात् होने वाले साइड इफेक्ट्स का निर्धारण किया जाना अभी बाकी है।
  • नई दवाओं को लेकर चिकित्सा जगत में उत्साह दिखाई दे रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि नई दवाएँ माइग्रेन के उपचार में क्रांतिकारी परिवर्तन ला सकती हैं।
  • आँकड़ों के अनुसार, दुनिया भर में प्रत्येक 7 लोगों में से एक माइग्रेन से पीड़ित है। लगभग 20 प्रतिशत महिलाएँ और 10 प्रतिशत पुरुष इस समस्या से ग्रसित हैं।
  • विश्व की लगभग 2 प्रतिशत जनसंख्या क्रोनिक माइग्रेन से पीड़ित है। 
  • एक अनुमान के अनुसार माइग्रेन दुनिया की तीसरे सबसे आम बीमारी है।
  • माइग्रेन केवल सिरदर्द तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें अक्सर मतली और उल्टी, बोलने में कठिनाई, प्रकाश और शोर के प्रति विकृति जैसी परेशानियाँ भी होती हैं।
  • माइग्रेन कुछ घंटों से लेकर कई दिनों तक जारी रह सकता है।
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