एफएटीएफ ने पाकिस्तान के लिये 10 बिंदुओं की योजना बनाई | 30 Jun 2018
चर्चा में क्यों?
फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) ने प्रतिबंधित आतंकी संगठनों की फंडिंग के खिलाफ ठोस कार्रवाई में नाकाम रहने के कारण पाकिस्तान को निगरानी सूची (ग्रे-लिस्ट) में रखने के संबंध में फरवरी में लिये गए अपने फैसले को सर्वसम्मति से लागू करने की सहमति व्यक्त की है। इसके दिशा-निर्देशों के अनुपालन के लिये 10-बिंदुओं की कार्य-योजना तैयार की गई है। उल्लेखनीय है कि फरवरी में आयोजित बैठक में पाकिस्तान को तीन महीने के लिये निगरानी सूची में शामिल करते हुए आतंकी फंडिंग रोकने के लिये ज़रूरी कदम उठाने की चेतावनी दी गई थी।
महत्त्वपूर्ण बिंदु
- आतंकवाद के खिलाफ विस्तृत कार्य योजना को लागू करने में पाकिस्तान की विफलता के परिणामस्वरूप अगले वर्ष इसे ब्लैक लिस्ट में शामिल किया जा सकता है।
- पाकिस्तान को दूसरी बार ग्रे-सूची में सूचीबद्ध किया गया है। पाकिस्तान को यह निर्देश दिया गया है कि वह संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादियों हफीज सईद और मसूद अजहर की आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाए, साथ ही तालिबान और हक्कानी नेटवर्क, जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और उनके सहयोगी आतंकवादी संगठनों पर प्रतिबंध लगाए तथा उनके फंडिंग के स्रोतों को बंद करे।
राजनीतिक प्रतिबद्धता
- FATF के अनुसार पिछले हफ्ते समाप्त हुए पेरिस प्लेनरी में पाकिस्तान ने एंटी-मनी लांड्रिंग और आतंक के विरुद्ध फंडिंग पर लगाम लगाने हेतु वैश्विक निगरानी और एशिया प्रशांत समूह (जिसका वह एक सदस्य है) के साथ काम करने के लिये उच्च स्तरीय राजनीतिक प्रतिबद्धता दिखाई थी।
उपचारात्मक उपाय
- पाकिस्तान को यह सुनिश्चित करने के लिये कदम उठाने होंगे कि आतंकवाद के फंडिंग संबंधी जोखिमों की पहचान कर ली गई है और जोखिम की संवेदनशीलता को देखते हुए पर्यवेक्षण कर मूल्यांकन रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है।
- उसे यह भी सुनिश्चित करने की आवश्यकता होगी कि वित्तीय संस्थानों को मनी लांड्रिंग और आतंक के वित्तपोषण में शामिल होने से रोकने के लिये उसकी तरफ से उपचारात्मक उपाय किये जा रहे हैं।
- पाकिस्तान को अवैध वित्तीय परिचालनों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी, नकदी हस्तांतरण की पहचान करनी होगी और मुद्रा के अवैध संचलन पर नियंत्रण पाना होगा।
- एफएटीएफ ने सभी नामित आतंकवादियों और उनके लिये कार्य करने वाले लोगों के खिलाफ लक्षित वित्तीय प्रतिबंधों (एक व्यापक कानूनी दायित्व द्वारा समर्थित) के प्रभावी कार्यान्वयन की मांग की है।
क्या है FATF?
- फाइनेंसियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) 1989 में इसके सदस्य देशों द्वारा स्थापित एक अंतर-सरकारी निकाय है।
- इसका उद्देश्य मनी लांड्रिंग, आतंकवाद के वित्तपोषण और अन्य संबंधित खतरों का मुकाबला करने के लिये कानूनी, नियामकीय और परिचालन उपायों के प्रभावी कार्यान्वयन को बढ़ावा देना है।
- अतः FATF "नीति बनाने वाला निकाय" है जो इन क्षेत्रों में राष्ट्रीय, विधायी और नियामक सुधार लाने के लिये आवश्यक राजनीतिक इच्छाशक्ति उत्पन्न करने का काम करता है।
- इसमें 37 स्थायी सदस्य हैं। इज़राइल और सऊदी अरब पर्यवेक्षक की भूमिका में हैं।