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जैव विविधता और पर्यावरण

स्वालबार्ड:पृथ्वी पर सबसे तेज़ी से गर्म होने वाला क्षेत्र

  • 09 Sep 2019
  • 3 min read

चर्चा में क्यों?

पृथ्वी के सबसे उत्तरी क्षेत्र में स्थित नॉर्वे का स्वालबार्ड (SVALBARD) द्वीपसमूह जलवायु परिवर्तन के चरम परिणामों के कारण तेज़ी से प्रभावित हो रहा है।

प्रमुख बिंदु:

  • ग्लोबल वार्मिंग के कारण आर्कटिक का जल स्तर तेज़ी से बढ़ रहा है जिससे यहाँ पर चरम मौसमी गतिविधियाँ देखने को मिल रही हैं।
  • स्वालबार्ड का, वर्ष 1970 की तुलना में वर्तमान औसत वार्षिक तापमान 4 डिग्री सेल्सियस बढ़ गया है जबकि शीत ऋतु का तापमान सामान्य से 7 डिग्री अधिक हो गया है।
  • क्लाइमेट इन स्वालबार्ड वर्ष 2100 (Climate in Svalbard 2100) रिपोर्ट में यह भी चेतावनी दी गई है कि इस सदी के अंत तक स्वालबार्ड में हवा का वार्षिक स्तर पर औसत तापमान (Annual Mean Air Temperature) 7 से 10 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है।
  • आर्कटिक समुद्री बर्फ के स्तर में वर्ष 1979 की तुलना में प्रति दशक लगभग 12% की गिरावट आई है, जिसके परिणामस्वरूप स्वालबार्ड और बैरेंट्स सागर (Barents Sea) क्षेत्र में तापमान में बढ़ोत्तरी हुई है तथा शीत ऋतु की अवधि में कमी आई है।
  • स्वालबार्ड का मुख्य शहर लॉन्गइयरबेन (Longyearbyen) 2,000 से अधिक लोगों की जनसंख्या वाला पृथ्वी का सबसे उत्तरी शहर है और पृथ्वी पर सबसे तेज़ गति से गर्म होने वाला शहर भी है।

स्वालबार्ड (Svalbard)

  • स्वालबार्ड आर्कटिक महासागर में स्थित एक द्वीपसमूह है। यह यूरोप की मुख्य भूमि से करीब 400 मील दूर नार्वे और उत्तरी ध्रुव के बीच स्थित है। स्पिट्सबर्गन (Spitsbergen) इस समूह का सबसे बड़ा द्वीप है।
  • अट्ठारहवीं शताब्दी में डच और डेनमार्क के कैदियों को सज़ा देने के लिये एक विकल्प के तौर पर स्वालबार्ड भेजा जाता था। उन्हें व्हेल मछली के शिकार में उपयोग की जाने वाली बड़ी नौकाओं को चलाने की सज़ा दी जाती थी।
  • स्वालबार्ड बाद के वर्षों में एक पर्यटन स्थल के तौर पर विकसित हो गया। स्वालबार्ड में ग्लोबल सीड वॉल्ट (Global Seed Vault) और ग्लोबल वार्मिंग तथा ध्रुवीय तकनीक पर एक शोध संस्थान स्थित है।
  • वर्तमान में इस द्वीपसमूह के दो-तिहाई क्षेत्र को 7 राष्ट्रीय उद्यानों और 23 प्राकृतिक संरक्षित क्षेत्रों में बाँटकर संरक्षण प्रदान किया जा रहा है। यहाँ ध्रुवीय भालू, रेनडियर, और कुछ समुद्री स्तनधारी पाए जाते हैं। इसका 60 प्रतिशत भू-भाग ग्लेशियर से ढका हुआ है।

स्रोत: इंडियन एक्सप्रेस

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