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सामाजिक न्याय

फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट

  • 22 Mar 2025
  • 8 min read

प्रिलिम्स के लिये :

फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC), FTSC योजना, यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पोक्सो) अधिनियम  2012, निर्भया फंड

मेन्स के लिये :

फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC) योजना और यौन हिंसा से निपटने में इसकी भूमिका।

स्रोत: पी.आई.बी.

चर्चा में क्यों?

फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSC) योजना को मार्च 2026 तक बढ़ाने का निर्णय लिया गया है। इसका उद्देश्य बलात्कार तथा यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (POCSO) अधिनियम, 2012 के तहत मामलों में त्वरित और समयबद्ध न्याय सुनिश्चित करना है।

फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट योजना क्या है?

  • परिचय: यह विधि एवं न्याय मंत्रालय के तहत एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसका उद्देश्य निर्भया कोष के तहत फास्ट ट्रैक कोर्ट स्थापित करना है।
  • शुरुआत: वर्ष 2019 में, सर्वोच्च न्यायालय ने POCSO मामलों के त्वरित निपटान का आदेश दिया, जिसके परिणामस्वरूप 2 अक्तूबर, 2019 को FTSC योजना शुरू की गई।
  • लागत साझाकरण:
    • केंद्र 60% और राज्य 40% का योगदान देते हैं।
    • पूर्वोत्तर, सिक्किम और पहाड़ी राज्यों में यह अनुपात 90:10 है।
    • जिन केंद्रशासित प्रदेशों में विधानसभा है, वहां 60:40 का अनुपात लागू होता है।
    • जिन केंद्रशासित प्रदेशों में विधानसभा नहीं है, उन्हें 100% केंद्र सरकार से वित्तीय सहायता मिलती है।
  • FTSCs की आवश्यकता:
    • लंबित मामलों की संख्या: भारतीय न्यायालयों में POCSO और बलात्कार के मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है— वर्ष 2020 में लंबित मामलों की संख्या 2,81,049 थी जो कि वर्ष 2022 में बढ़कर 4,17,673 हो गयी।
    • समयबद्ध न्याय:  POCSO अधिनियम, 2012 के तहत विशेष न्यायालयों को एक वर्ष के भीतर मुकदमे की सुनवाई पूरी करने का प्रावधान है।
    • निवारण (Deterrence): कठोर दंड अपराधों को रोकने में सहायक होते हैं, लेकिन इनका प्रभाव समय पर सुनवाई और पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिलने पर निर्भर करता है।
  • प्रदर्शन: दिसंबर 2024 तक, 30 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 700 से अधिक FTSC कार्यरत हैं। इनमें से 406 न्यायालय विशेष रूप से POCSO (ePOCSO) मामलों के लिये समर्पित हैं
    • वर्ष 2024 में, FTSCs की मामलों के निपटान दर 96.28% रही है और अब तक 3 लाख से अधिक मामलों का सफलतापूर्वक निपटारा किया जा चुका है।

फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों के समक्ष कौन-सी चुनौतियाँ हैं?

  • FTSCs की अपर्याप्त संख्या: यद्यपि 1,023 FTSCs की स्वीकृति मिली, लेकिन दिसंबर 2024 तक केवल 747 ही कार्यरत हैं।
    • लंबित मामलों को समाप्त करने के लिये भारत को कम-से-कम 1,000 अतिरिक्त FTSCs की आवश्यकता है।
  • मुकदमों का बोझ: न्यायालयों को भारी संख्या में मामलों के चलते त्वरित न्याय सुनिश्चित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
    • महाराष्ट्र और पंजाब में मामलों की निपटान दर अधिक है, जबकि पश्चिम बंगाल में यह सबसे कम है, जिससे न्याय वितरण में असमानताएँ उत्पन्न होती हैं।
  • निर्भया फंड का कम उपयोग: वर्ष 2013 में महिलाओं की सुरक्षा के लिये स्थापित इस कोष के 1,700 करोड़ रुपए अभी भी खर्च नहीं किये गए हैं
  • विशेष सहायता का अभाव: कई FTSCs में पीड़ित-अनुकूल सुविधाओं की कमी है, जैसे कि:
    • पीड़ितों के लिये सहायक वातावरण उपलब्ध कराने के लिये संवेदनशील गवाह बयान केंद्र (Vulnerable Witness Deposition Centers - VWDCs)
    • महिला लोक अभियोजक और परामर्शदाता- पीड़ितों को विधिक प्रक्रिया में सहायता प्रदान करने के लिये।

फास्ट ट्रैक विशेष न्यायालयों को कैसे मजबूत किया जा सकता है?

  • न्यायिक मानदंडों में सुधार : राज्यों को POCSO मामलों के लिये विशेष न्यायाधीशों की नियुक्ति करनी चाहिए, संवेदीकरण प्रशिक्षण प्रदान करना चाहिए और महिला लोक अभियोजकों की उपस्थिति सुनिश्चित करनी चाहिए।
  • संवेदनशील गवाह बयान केंद्र (VWDCs): सभी ज़िलों में VWDCs स्थापित किये जाएँ, ताकि पीड़ितों की गवाही दर्ज करने और अप्रत्यक्ष तरीके से बाल-अनुकूल सुनवाई की सुविधा मिल सके।
    • पूर्व-परीक्षण और परीक्षण सहायता के लिये FTSC में बाल मनोवैज्ञानिकों की नियुक्ति की जानी चाहिये।
  • तकनीकी उन्नयन: न्यायालय कक्षों को ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग सिस्टम, LCD प्रोजेक्टर और इलेक्ट्रॉनिक केस फाइलिंग तथा डिजिटल रिकॉर्ड के लिये उन्नत IT सिस्टम से सुसज्जित किया जाए।
  • फॉरेंसिक प्रयोगशालाएँ: लंबित मामलों के शीघ्र निपटान और समय पर DNA रिपोर्ट सुनिश्चित करने के लिये फॉरेंसिक प्रयोगशालाओं की संख्या बढ़ाई जानी चाहिये और आवश्यक मानव संसाधन को प्रशिक्षित किया जाना चाहिये ताकि निष्पक्ष एवं त्वरित न्याय सुनिश्चित हो सके।

निष्कर्ष

फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSCs) ने मामलों के निपटान दर में उल्लेखनीय सुधार किया है, जिससे यौन अपराधों के पीड़ितों को शीघ्र न्याय मिल रहा है। हालाँकि, सीमित संख्या में न्यायालयों की उपलब्धता, निधियों का पूर्ण उपयोग न होना और पीड़ित-अनुकूल बुनियादी ढाँचे की कमी जैसी चुनौतियाँ अब भी बनी हुई हैं। समय पर न्याय और प्रभावी कानूनी रोकथाम सुनिश्चित करने के लिये आवश्यक है कि FTSCs को अधिक न्यायालयों, आधुनिक तकनीकी संसाधनों तथा मजबूत पीड़ित सहायता तंत्र के साथ सशक्त किया जाए।

दृष्टि मुख्य परीक्षा प्रश्न:

प्रश्न: फास्ट ट्रैक स्पेशल कोर्ट (FTSCs) योजना क्या है? कौन-सी चुनौतियाँ उनकी प्रभावशीलता में बाधा डालती हैं?

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, पिछले वर्ष के प्रश्न (PYQ)  

मेन्स

प्रश्न. राष्ट्रीय बाल नीति के मुख्य प्रावधानों का परीक्षण कीजिये तथा इसके कार्यान्वयन की स्थिति पर प्रकाश डालिये। (2016)

प्रश्न. हमें देश में महिलाओं के प्रति यौन-उत्पीड़न के बढ़ते हुए दृष्टांत दिखाई दे रहे हैं। इस कुकृत्य के विरुद्ध विद्यमान विधिक उपबंधों के होते हुए भी ऐसी घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इस संकट से निपटने के लिये कुछ नवाचारी उपाय सुझाइये। (2014)

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