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विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी

सुपरनोवा निर्माण की वज़ह न्यूट्रिनो दोलन

  • 15 May 2019
  • 5 min read

चर्चा में क्यों?

टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (Tata Institute of Fundamental Research) के एक नए सैद्धांतिक अध्ययन से यह पता चला है कि सुपरनोवा विस्फोट की वज़ह न्यूट्रिनो हो सकते हैं।

प्रमुख बिंदु

  • टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च के इस अध्ययन के अनुसार, ‘तीव्र न्यूट्रिनो दोलन’ (Fast Neutrino Oscillations) की वज़ह से तारों में विस्फोट के पश्चात् सुपरनोवा का निर्माण होता है।
  • न्यूट्रिनो ऐसे उपपरमाण्विक (Subatomic) कण हैं जो एक इलेक्ट्रॉन के समान होते हैं, लेकिन इसमें कोई आवेश नहीं होता है। इसका द्रव्यमान बहुत कम या शून्य भी हो सकता है।
  • न्यूट्रिनो ब्रह्मांड में सबसे प्रचुर मात्रा में पाए जाने वाले कणों में से एक है। चूँकि इनमें द्रव्यमान बहुत कम होता है, इसलिए इनका पता लगा पाना मुश्किल होता है।
  • इसके स्रोत-
  • पृथ्वी के भीतर प्राथमिक तत्त्वों का क्षय
  • सूरज में रेडियोधर्मिता
  • वायुमंडल में ब्रह्मांडीय क्रिया इत्यादि
  • न्यूट्रीनो तीन प्रकार (Flavours) के होते हैं-
  • इलेक्ट्रॉन न्यूट्रिनो (Electron Neutrino)
  • म्यूऑन न्यूट्रिनो (Muon Neutrino)
  • टाऊ न्यूट्रिनो (Tau Neutrino)

Neutrino

  • लेप्टान (Leptons) से न्यूट्रिनो (इलेक्ट्रॉन, म्यूऑन और टाऊ) के जुड़ाव की वज़ह से उन्हें ये नाम दिये गए हैं।

न्यूट्रिनो दोलन

  • सूर्य से आने वाले न्यूट्रिनो की संख्या को मापते हुए कुछ शोधकर्त्ताओं ने पाया था कि सौर न्यूट्रिनो की कुल संख्या का केवल एक तिहाई हिस्सा ही पृथ्वी को प्राप्त हो रहा है।
  • किंतु कुछ समय पश्चात् संख्या में इस कमी की वज़ह न्यूट्रिनो के कम द्रव्यमान को बताया गया है जिसकी सहायता से वे एक से दूसरे रूप में परिवर्तित हो सकते हैं। रूप परिवर्तन की इस घटना को ही न्यूट्रिनो दोलन कहा जाता है।

तीव्र न्यूट्रिनो दोलन

  • जब विभिन्न प्रकार के न्यूट्रिनो विभिन्न-2 दिशाओं (एनिसोट्रॉपी) में अलग-अलग तरीके से उत्सर्जित हों तो एक प्रकार के न्यूट्रिनो से दूसरे प्रकार के न्यूट्रिनो में परिवर्तन या दोलन उच्च आवृत्ति पर होता है। इसे ही ‘तीव्र न्यूट्रिनो दोलन’ (Fast Neutrino Oscillations) कहा जाता है और यह माध्यम में न्यूट्रिनो के घनत्व के समानुपाती होता है, न कि न्यूट्रिनो के द्रव्यमान के।

एनिसोट्रॉपी

  • एनिसोट्रॉपी (Anisotropy) कुछ पदार्थों का ऐसा गुणधर्म है जिसके कारण विभिन्न आणविक अक्षों (Molecular Axes) पर पदार्थों के विभिन्न भौतिक गुण परिलक्षित होते हैं। यह गुणधर्म क्रिस्टल, तरल क्रिस्टल में तो दिखाई देते हैं किंतु आमतौर पर तरल पदार्थों में ऐसा कम ही देखा जाता है।

सुपरनोवा

  • संलयन (Fusion) की समाप्ति (ईंधन खत्म होने पर) के पश्चात् तारे अपने गुरुत्वाकर्षण के कारण नष्ट (विस्फोट) होने लगते हैं जिसे सुपरनोवा (Supernova) कहते हैं। आमतौर पर सूर्य के द्रव्यमान से आठ गुना अधिक बड़े तारों में यह विस्फोटक घटना होती है।
  • तीव्र न्यूट्रिनो दोलन अब नहीं देखे जाते हैं क्योंकि इसके लिये न्यूट्रिनो घनत्व बहुत ज़्यादा और एनिसोट्रॉपी की आवश्यकता होती है। ऐसे हालात जो केवल बड़े तारों, न्यूट्रॉन स्टार टकरावों आदि के केंद्र में ही मिलते हैं।

अध्ययन के निष्कर्ष

 इस अध्ययन से पहले, यह माना जाता था कि उच्च घनत्व और एनिसोट्रॉपी की स्थिति में न्यूट्रिनो बिना टकराए सीधी रेखा में गति करते हैं। किंतु इस अध्ययन से पता चलता है कि टकराव उच्च अनिसोट्रॉपी स्थितियाँ पैदा करता है इसके साथ ही यह भी पता चलता है कि टक्करों की वज़ह से तीव्र न्यूट्रिनो दोलन होते हैं।

स्रोत- द हिंदू

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