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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कृषि विज्ञान केंद्रों पर कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रमों हेतु सहमति पत्र

  • 21 Mar 2018
  • 7 min read

चर्चा में क्यों?
हाल ही में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय और कौशल विकास तथा उद्यमिता मंत्रालय के बीच नई दिल्‍ली में एक समझौता ज्ञापन पर हस्‍ताक्षर किये गए। इसके तहत कृषि विज्ञान केंद्रों पर नियमित रूप से कौशल विकास प्रशिक्षण के कार्यक्रमों को आयोजित किया जाएगा। ये प्रशिक्षण कार्यक्रम कृषि एवं संबंधित विषयों पर ही आधारित होंगे। इसके अलावा, अन्‍य कृषि विज्ञान केंद्र जो अन्‍य कौशल विकास केंद्र चला रहे हैं, वे उसी रूप में जारी रहेंगे।

प्रमुख बिंदु

  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘कौशल भारत से कुशल भारत’ के स्‍वप्‍न को साकार करने की दिशा में कृषि एवं किसान कल्‍याण मंत्रालय द्वारा तेज़ी से कदम बढ़ाए गए हैं।
  • केंद्र सरकार का मानना है कि कृषि को एक निजी उद्यम के रूप में विकसित करने की आवश्‍यकता है और इस दिशा में युवाओं को आकर्षित किये जाने की ज़रूरत है।
  • केंद्रीय कृषि मंत्रालय द्वारा इसके लिये मुख्‍य रूप से चार स्‍तरों पर कार्य किये जा रहे हैं- 
    ♦ उत्‍पादकता में वृद्धि।
    ♦ कटाई उपरांत फसल प्रबंधन तथा किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्‍य दिलाया जाना।
    ♦ कृषि में जोखिम कम करने से संबंधित योजनाओं का संचालन।
    ♦ किसानों की आमदनी के अन्‍य साधनों जैसे बागवानी, पशु पालन, मधुमक्‍खी पालन, डेयरी तथा मत्‍स्‍य पालन जैसी गतिविधियों को विकसित करने पर बल।
  • कृषि क्षेत्र में हुए नवीनतम विकास के मद्देनज़र युवाओं के लिये कई नए आयाम उभर कर सामने आए हैं। इनमें एग्री-वेयरहाउसिंग, कोल्‍ड–चेन, सप्‍लाई-चेन, डेयरी, पोल्‍ट्री, मत्‍स्‍य पालन, बागवानी, कृषि यंत्रीकरण तथा सूक्ष्‍म सिंचाई जैसे आयाम शामिल हैं।
  • वर्ष 2016-17 में 100 कृषि विज्ञान केंद्रों तथा 8 राष्‍ट्रीय प्रशिक्षण संस्‍थानों में 200 घंटे की अवधि के 203 कौशल विकास कार्यक्रम आयोजित किये गए। इन कार्यक्रमों के माध्‍यम से 3,549 युवाओं को प्रशिक्षित किया गया।
  • राष्‍ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत इस पर 3.53 करोड़ रुपए खर्च किये गए।वर्ष 2017-18 में 94 प्रशिक्षण संस्‍थाओं ने 116 कौशल विकास प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करके 2,320 युवाओं को प्रशिक्षण प्रदान किया।
  • वर्ष 2017-18 में कौशल विकास प्रशिक्षण के लिये 2 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है, जबकि वर्ष 2018-19 में इस राशि को बढ़ाकर 17 करोड़ रुपए करने का प्रस्‍ताव है।
  • ग्रामीण क्षेत्र में कृषि आधारित उद्योग का नेटवर्क कम होने के कारण स्‍वरोज़गार और रोज़गार का अनुपात शत-प्रतिशत किये जाने की आवश्‍यकता है।
  • भारत कृषि कौशल परिषद (एएससीआई) द्वारा कृषि क्षेत्र में कौशल संबंधी अंतर के विश्‍लेषण पर राष्‍ट्रीय तथा राज्‍य स्‍तर पर अध्‍ययन किये जाने की आवश्‍यकता है।

प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना

  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (Pradhan Mantri Kaushal Vikas Yojana -PMKVY) युवाओं के कौशल प्रशिक्षण के लिये एक प्रमुख योजना है। इसके तहत पाठ्यक्रमों में सुधार, बेहतर शिक्षण और प्रशिक्षित शिक्षकों पर विशेष ज़ोर दिया गया है।
  • प्रशिक्षण में अन्य पहलुओं के साथ व्यवहार कुशलता और व्यवहार में परिवर्तन भी शामिल है।

प्रमुख बिंदु

  • इस योजना को राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के माध्यम से क्रियान्वित किया जा  रहा है।   इसके तहत 24 लाख युवाओं को प्रशिक्षण के दायरे में लाया जाएगा।
  • कौशल प्रशिक्षण नेशनल स्किल क्वालिफिकेशन फ्रेमवर्क (एनएसक्यूएफ) और उद्योग द्वारा तय मानदंडों पर आधारित होगा। 
  • कौशल विकास का लक्ष्य निर्धारित करते समय लागू किये गए प्रमुख कार्यक्रमों जैसे- मेक इन इंडिया, डिजिटल इंडिया, राष्ट्रीय सौर ऊर्जा मिशन और स्वच्छ भारत अभियान की मांगों को भी ध्यान में रखा जाएगा। 
  • प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत मुख्य रूप से श्रम बाज़ार में पहली बार प्रवेश कर रहे लोगों पर ज़ोर दिया जाएगा और विशेषकर कक्षा 10 व 12 के दौरान स्कूल छोड़ गए छात्रों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
  • योजना का क्रियान्वयन एनएसडीसी के प्रशिक्षण साझेदारों द्वारा किया जाएगा। वर्तमान में लगभग 2,300 केंद्रों के एनएसडीसी के 187 प्रशिक्षण साझेदार हैं।  केंद्र व राज्य सरकारों से संबंधित प्रशिक्षण प्रदाता संस्थाओं को भी इस योजना के तहत प्रशिक्षण के लिये जोड़ा जाएगा।  
  • सभी प्रशिक्षण प्रदाताओं को इस योजना के योग्य होने के लिये एक जाँच प्रक्रिया से गुज़रना होगा।   इस योजना के तहत सेक्टर कौशल परिषद व राज्य सरकारें भी कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रमों की निगरानी करेंगी। 
  • इस दिशा में उठाए गए सभी उपायों को शामिल करने के लिये एक नई राष्ट्रीय कौशल व उद्यम विकास नीति भी तैयार की गई है। इस नीति के ज़रिये उच्च गुणवत्ता वाले कार्यबल के साथ विकास को बढ़ावा देने की रूपरेखा तैयार की जा रही है। इसके तहत वर्ष 2022 तक 50 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है।
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