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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

कृषि ऋण की माफी से मुद्रास्फीति में वृद्धि संभव

  • 23 Sep 2017
  • 4 min read

चर्चा में क्यों?

  • भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) का मानना है कि कृषि ऋण की माफी से मुद्रास्फीति स्थायी रूप से 0.2 प्रतिशत बढ़ेगी। आरबीआई के एक दस्तावेज़ में कहा गया है कि वित्त वर्ष 2017-18 में उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सहित सात राज्यों में 88,000 करोड़ रुपए की कृषि ऋण माफी को लागू किया जाना है और इससे मुद्रास्फीति में इज़ाफा होगा।
  • दरअसल, देश में केंद्र और राज्य सरकारों दोनों द्वारा कृषि कर्ज़ को माफ करने की घोषणा की जाती है और इसका उद्देश्य प्राकृतिक आपदा-फसल नुकसान से संकट झेल रहे किसानों को राहत प्रदान करना होता है। आरबीआई की ओर से जारी एक दस्तावेज़ में कहा गया है कि ऋण माफी से मध्यम अवधि में राजकोषीय बोझ बढ़ेगा।

कृषि ऋण माफी की चिंताएँ

  • किसानों की आय बढ़ाने के लिये समन्वित और निरंतर प्रयासों का अभाव है और किसान जब भी विरोध दर्ज़ कराता है तो कर्ज़ माफी को त्वरित उपाय के रूप में अमल में लाया जाता है।
  • उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र सहित कई राज्यों ने चालू वित्त वर्ष में 1.3 ट्रिलियन रुपए के कर्ज़ माफी को मंज़ूरी दी है जो कि जीडीपी के 0.8% के बराबर है। ऋण माफी के कारण ज़रूरतमंद लोगों तक पहुँच बनाना मुश्किल हो जाता है।
  • महाराष्ट्र सरकार ने जहाँ सभी किसानों की ऋण माफी की योजना बनाई है, वहीं उत्तर प्रदेश में छोटे और सीमांत किसानों को यह छूट दी गई है। इन परिस्थितियों में यह चुनाव करना कठिन हो जाता है कि कौन ज़्यादा ज़रूरतमंद है, क्योंकि सभी ऋण माफी के लिये प्रयास कर रहे होते हैं।
  • ऐसे किसान जो ऋण चुकाने का खर्च वहन कर सकते हैं, ऋण माफी की उम्मीद में वे भी अपना ऋण नहीं चुकाते हैं। इससे होता यह है कि भविष्य में बैंक किसानों को उधार देने के लिये अनिच्छुक हो जाते हैं।
  • साथ ही ऋण माफी सरकार की वित्तीय प्रणाली को अव्यवस्थित कर देती है। दरअसल, ऋण माफी भी चुनावी जीत के लिये एक रणनीति बन गई है, जिसमें राजनीतिक दलों और बड़े किसानों को फायदा होता है जबकि छोटे और सीमांत किसानों के हालात स्थिर रहते हैं। इसके अलावा, चयनात्मक ऋण माफी को भी ठीक ढंग से परिभाषित नहीं किया गया है।

क्या होना चाहिये? 

  • इसमें कोई शक नहीं है कि ऋण माफी से किसानों को काफी राहत मिली है, लेकिन इस तरह की माफी का कोई दीर्घकालिक प्रभाव अभी तक देखने को नहीं मिला है।
  • हालाँकि कर्ज़ माफी से किसानों को अस्थायी राहत मिल सकती है, फिर भी कृषि को स्थायी बनाने के लिये एक दीर्घकालिक प्रभावी उपाय की आवश्यकता है। दीर्घकालिक उपायों में शामिल हैं: 

→ तकनीक उन्नयन से अक्षमता में कमी लाना।
→ कृषि लागत में कमी लाना।
→ किसानों की आय में वृद्धि का प्रयास करना।
→ बीमा योजनाओं के माध्यम से फसल सुरक्षा सुनिश्चित करना।
→ सिंचाई क्षमता को बढ़ाना।
→ कोल्ड स्टोरेज चेन का निर्माण करना।
→ कृषि क्षेत्र को सीधे बाज़ार से जोड़ना।

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