सामाजिक न्याय
मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन
- 01 Jan 2022
- 5 min read
प्रिलिम्स के लिये:मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (FSSM), नीति आयोग, स्वच्छ सर्वेक्षण, कायाकल्प तथा शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (AMRUT) एवं स्वच्छ गंगा के लिये राष्ट्रीय मिशन (NMCG), सतत् विकास लक्ष्य (SDG) मेन्स के लिये:भारत की अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली में शामिल मुद्दे और चुनौतियाँ तथा इस संबंध में उठाए गए कदम |
चर्चा में क्यों?
नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार, शहरी क्षेत्रों में मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन, सेवा और व्यवसाय मॉडल के तहत वर्ष 2021 तक 700 से अधिक शहर/कस्बे मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (FSSM) कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं।
प्रमुख बिंदु
- मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (FSSM):
- FSSM के बारे में:
- भारत स्वच्छता कवरेज में अंतराल को पहचानते हुए वर्ष 2017 में FSSM पर राष्ट्रीय नीति की घोषणा करने वाला प्रथम देश बन गया है।
- FSSM मानव मल प्रबंधन वेस्ट स्ट्रीम, जिसमें रोग फैलाने की उच्चतम क्षमता होती है, को प्राथमिकता देता है।
- यह एक कम लागत वाला और आसानी से मापनीय स्वच्छता समाधान है जो मानव अपशिष्ट के सुरक्षित संग्रह, परिवहन, उपचार और पुन: उपयोग पर केंद्रित है।.
- नतीजतन, FSSM एक समयबद्ध तरीके से सभी के लिये पर्याप्त और समावेशी स्वच्छता के सतत् विकास लक्ष्यों (SDG) के लक्ष्य 6.2 को प्राप्त करने में सही है।
- संबंधित पहल:
- भारत ने खुले में शौच-मुक्त (ओडीएफ) + और ओडीएफ ++ प्रोटोकॉल के शुभारंभ के माध्यम से FSSM के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दिखाना जारी रखा है, स्वच्छ सर्वेक्षण में FSSM पर ज़ोर दिया है, साथ ही कायाकल्प और शहरी परिवर्तन के लिये अटल मिशन (अमृत) में FSSM के लिये वित्तीय आवंटन और स्वच्छ गंगा हेतु राष्ट्रीय मिशन (एनएमसीजी) मिशन की शुरुआत की है।
- FSSM के बारे में:
- भारत के सीवेज उपचार संयंत्रों की क्षमता:
- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सीवेज़ ट्रीटमेंट प्लांट (STPs) प्रतिदिन उत्पन्न होने वाले एक-तिहाई से अधिक सीवेज़ का उपचार करने में सक्षम हैं।
- भारत ने 72,368 MLD (मिलियन लीटर प्रतिदिन) का उत्पादन किया, जबकि STPs की स्थापित क्षमता 31,841 MLD (43.9%) थी।
- 5 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (UT) महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और कर्नाटक में देश की कुल स्थापित उपचार क्षमता का 60% हिस्सा है।
- ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के मुद्दे:
- शहरी स्थानीय निकायों (ULB) में अपशिष्ट प्रबंधन के लिये वित्त की कमी।
- तकनीकी विशेषज्ञता और उपयुक्त संस्थागत व्यवस्था का अभाव।
- उचित संग्रह, पृथक्करण, परिवहन और उपचार/निपटान प्रणाली शुरू करने के प्रति यूएलबी की अनिच्छा।
- जागरूकता की कमी के कारण कचरा प्रबंधन के प्रति नागरिकों की उदासीनता।
- अपशिष्ट प्रबंधन और स्वच्छ परिस्थितियों के प्रति सामुदायिक भागीदारी का अभाव
आगे की राह
- FSSM गठबंधन का उपयोग: राष्ट्रीय मल कीचड़ और सेप्टेज प्रबंधन (NFSSM) गठबंधन ने अब तक भारत में FSSM क्षेत्र में एक उत्प्रेरक भूमिका निभाई है और राज्य एवं शहर के अधिकारियों के लिये एक तैयार संसाधन और मंच के रूप में कार्य करता है।
- दीर्घकालिक स्थिरता और गुणवत्ता कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिये राज्यों और शहरों को क्षमता निर्माण, गुणवत्ता आश्वासन और गुणवत्ता नियंत्रण एवं निगरानी सुनिश्चित करनी चाहिये। इसके अलावा यह महत्त्वपूर्ण है कि राज्य संस्थागतकरण के लिये कदम उठाएँ।
- सबसे कमज़ोर, वंचित, महिलाओं और शहरी गरीबों को इस प्रयास के केंद्र में रखते हुए, राज्यों एवं शहरों को अभिनव समाधान पेश करने के लिये तेज़ी से आगे बढ़ना चाहिये।
- इसके साथ ही भारत न केवल खुले में शौच को समाप्त करने के लिये बल्कि सुरक्षित रूप से प्रबंधित समग्र स्वच्छता हेतु भी दुनिया के लिये एक उदाहरण बन सकता है।