जलवायु जोखिम सूचकांक 2019 | 06 Dec 2018
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एक स्वतंत्र विकास संगठन जर्मनवॉच द्वारा विकसित जलवायु जोखिम सूचकांक (Climate Risk Index-CRI)- 2019 के आधार पर भारत को पिछले 20 वर्षों में चरम मौसम की घटनाओं से प्रभावित देशों में 14वें स्थान पर रखा गया है।
प्रमुख बिंदु
- इस रैंकिंग में देश के चार पड़ोसियों को भारत की तुलना में और भी उच्च स्थान दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, इस रैंकिंग में म्याँमार तीसरे, बांग्लादेश सातवें, पाकिस्तान आठवें और नेपाल ग्यारहवें स्थान पर है। यह सूचकांक स्पष्ट करता है कि भारत के चारों पड़ोसी देश चरम मौसमी घटनाओं द्वारा अधिक प्रभावित क्यों होते हैं।
- यह सूचकांक मौत और आर्थिक नुकसान के मामले में चरम मौसमी घटनाओं (तूफ़ान, बाढ़, भयंकर गर्मी इत्यादि) के मात्रात्मक प्रभाव का विश्लेषण करता है। साथ ही यह सूचकांक इन प्रभावों का लेखा-जोखा पूर्णरूप में और साथ ही संबंधित शर्तों के साथ रखता है।
- हालाँकि 1998-2017 के दौरान भारत में 73,212 लोग चरम मौसमी घटनाओं के शिकार बने और इसी समयावधि में चरम मौसमी घटनाओं के कारण भारत की वार्षिक औसत मौतों की संख्या 3,660 थी, जो कि म्याँमार की वार्षिक औसत मौतों की संख्या 7,048 के बाद दूसरी सर्वाधिक औसत संख्या है।
- जनसंख्या के समायोजन के कारण बांग्लादेश, पाकिस्तान और नेपाल को सूची में भारत के ऊपर रखा गया है। आर्थिक प्रभाव का आकलन करने के लिये CRI प्रत्येक देश के प्रति इकाई सकल घरेलू उत्पाद की हानि को भी देखता है।
- 1998-2017 के दौरान भारत को ओडिशा में सुपर चक्रवात, अन्य चक्रवात, बाढ़, भूस्खलन एवं भारी बारिश तथा भयंकर गर्मी की घटनाओं का सामना करना पड़ा। केवल वर्ष 2017 के लिये CRI को देखते हुए एक अलग सूची में भारत फिर से 14वें स्थान पर है, जबकि नेपाल चौथे और बांग्लादेश नौवें स्थान पर है।
- रिपोर्ट में वर्ष 2017 में इन तीन देशों में हुई भारी बारिश का भी जिक्र किया गया है, जिसने 4 करोड़ लोगों को प्रभावित किया और जिसके कारण लगभग 1,200 मौतें हुईं। श्रीलंका, जिसकी 20 वर्षों की रैंकिंग 31वीं है, वर्ष 2017 (इस वर्ष भारी बारिश और भूस्खलन से 200 से अधिक मौतें हुईं) में दूसरे रैंक पर है।
- इसके विपरीत म्याँमार और पाकिस्तान जो कि 1998-2017 की सूची में सबसे ज़्यादा प्रभावित होने वाले 15 देशों में शामिल हैं, वर्ष 2017 की सूची में क्रमश: 69वें और 33वें स्थान पर हैं। 20 वर्षों की सूची में म्याँमार की यह स्थिति काफी हद तक वर्ष 2008 में आए चक्रवात नरगिस के कारण है, जिसकी वज़ह से 1.40 लाख लोगों के मारे जाने का अनुमान लगाया गया।
- इस वर्ष विश्लेषण के 14वें संस्करण में जलवायु जोखिम सूचकांक के पहले के परिणामों की पुन: पुष्टि की गई है कि आमतौर पर कम विकसित देश औद्योगिक देशों की तुलना में चरम मौसमी घटनाओं से अधिक प्रभावित होते हैं।
- रिपोर्ट में इस बात का सुझाव दिया गया है कि काटोविस में जलवायु शिखर सम्मेलन में वैश्विक अनुकूलन लक्ष्य और अनुकूलन संचार दिशा-निर्देशों सहित पेरिस समझौते के कार्यान्वयन के लिये आवश्यक 'नियम पुस्तिका' को अपनाया जाना चाहिये।
अन्य संबंधित आँकड़े
- प्यूर्टो रिको (150 मौतें/वर्ष), होंडुरास (302 मौतें/वर्ष) और म्याँमार (7048 मौतें/वर्ष) को इस 20-वर्ष की अवधि में सर्वाधिक 3 जलवायु जोखिम से प्रभावित देशों के रूप में पहचाना गया है। चीन (1240 मौतें/वर्ष) इस सूची में 37वें, जबकि भूटान (1.65 मौतें/वर्ष) 105वें स्थान पर है।
- 2017 की सूची के लिये प्यूर्टो रिको, श्रीलंका और डोमिनिका वर्ष 2017 में चरम मौसमी घटनाओं से सबसे ज्यादा प्रभावित देश थे। इसके बाद नेपाल, पेरू और वियतनाम का स्थान है। प्यूर्टो रिको और डोमिनिका सितंबर 2017 में तूफान मारिया द्वारा गंभीर रूप से प्रभावित हुए थे
- कुल मिलाकर 1998 से 2017 की समयावधि में 5,26,000 से अधिक लोगों की मृत्यु और 3.47 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर मूल्य की हानि (क्रय शक्ति समता में) 11,500 से अधिक चरम मौसमी घटनाओं के प्रत्यक्ष परिणाम के कारण हुई।
- 1998-2017 के दौरान दस सबसे अधिक प्रभावित देशों और क्षेत्रों में से आठ देश कम आय या निम्न-मध्यम आय समूह वाले विकासशील देश थे, एक देश (डोमिनिका) को उच्च-मध्य आय वाले देश के रूप में वर्गीकृत किया गया था और एक अन्य देश (प्यूर्टो रिको) को उच्च आय उत्पन्न करने वाली उन्नत अर्थव्यवस्था के रूप में वर्गीकृत किया गया था।