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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

ब्रेक्ज़िट और COVID-19

  • 18 Apr 2020
  • 10 min read

प्रीलिम्स के लिये

ब्रेक्ज़िट, COVID-19 

मेन्स के लिये

ब्रेक्ज़िट, वैश्विक राजनीति पर COVID-19 का प्रभाव 

चर्चा में क्यों?

हाल ही में अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund- IMF) प्रमुख ने ब्रिटेन को COVID-19 की अनिश्चितता से उत्पन्न हुई चुनौतियों को कम करने के लिये ‘पोस्ट ब्रेक्ज़िट ट्रांज़िसन पीरियड’ (Post Brexit Transition Period) में वृद्धि करने की सलाह दी है।

मुख्य बिंदु: 

  • IMF प्रमुख के अनुसार, वर्तमान में जब COVID-19 की महामारी के कारण पूरे विश्व की अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है ऐसे समय में ब्रिटेन को इस अनिश्चितता को दूर करने के लिये आवश्यक कदम उठाने चाहिये।
  • ब्रिटेन के लिये यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद ट्रांज़िसन पीरियड 31 दिसंबर, 2020 को समाप्त हो जाएगा, ऐसे में बिना किसी व्यापारिक समझौते के दोनों तरफ से आयात और निर्यात प्रभावित होगा। 
  • वर्तमान COVID-19 की महामारी के कारण यह समस्या और भी जटिल हो गई है।
  • इससे पहले IMF ने चेतावनी जारी की थी कि इस वर्ष वैश्विक अर्थव्यवस्था वर्ष 1930 की मंदी के बाद सबसे तीव्र गिरावट की ओर बढ़ रही है।

पोस्ट ब्रेक्ज़िट ट्रांज़िसन पीरियड

(Post Brexit Transition Period):

  • 31 जनवरी, 2020 को ब्रिटेन के यूरोपीय संघ (European Union -EU) से औपचारिक रूप से अलग होने के बाद ब्रिटेन यूरोपीय संसद और यूरोपीय कमीशन से अलग हो गया है, परंतु वह अगले 11 महीनों (31 दिसंबर, 2020) तक यूरोपीय कस्टम यूनियन और एकल बाज़ार/सिंगल मार्केट (Single Market) का हिस्सा बना रहेगा।  
  • अर्थात् इस दौरान EU और ब्रिटेन के बीच लोगों की आवाजाही और मुक्त व्यापार की अनुमति पूर्व की तरह बनी रहेगी। 
  • इस अवधि के दौरान दोनों पक्षों के बीच व्यापार, वीज़ा और अन्य मामलों पर आवश्यक समझौते किये जाएंगे।  
  • वर्ष 1993 में यूरोपीय संघ की स्थापना के बाद ब्रिटेन इस संगठन से अलग होने वाला पहला सदस्य है।    

ब्रिटेन पर COVID-19 का प्रभाव:

  • वर्तमान में ब्रिटेन विश्व के उन देशों में शामिल है जिनमें COVID-19 का सबसे गंभीर प्रभाव देखने को मिला है।
  • ब्रिटेन में COVID-19 के कारण मृत्यु का पहला मामला 28 फरवरी, 2020 को सामने आया था और वर्तमान में ब्रिटेन में इस वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या 1 लाख से अधिक तथा मृतकों की संख्या 14,000 से अधिक हो गई है।
  • इतने कम समय में बड़ी संख्या में लोगों और कुछ स्वास्थ्य कर्मियों में COVID-19 संक्रमण के फैलने से ब्रिटेन की राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (National Health Service- NHS) पर दबाव बढ़ गया है।
  • COVID-19 का प्रभाव स्वास्थ्य के साथ अन्य क्षेत्रों पर भी देखने को मिला है, 
  • एक अनुमान के अनुसार, वर्तमान वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में ब्रिटेन की GDP में 35% तक गिरावट हो सकती है और बेरोज़गारी में 10% (लगभग 20 लाख) की वृद्धि देखने को मिल सकती है।
  • ब्रिटेन में लागू लॉकडाउन के कारण वर्तमान वित्तीय वर्ष की दूसरी तिमाही में देश के विभिन्न क्षेत्रों में उद्योगों और व्यवसायों में भारी नुकसान होने का अनुमान है, इनमें विनिर्माण (-55%), भवन निर्माण (-70%), होलसेल, खुदरा और वाहनों की बिक्री (-50%), आवास तथा भोजन (-85%) आदि प्रमुख हैं। 
  • साथ ही इस वित्तीय वर्ष में ब्रिटेन के राजकोषीय घाटे में 218 बिलियन पाउंड की वृद्धि का अनुमान है, जो द्वितीय विश्व युद्ध के बाद किसी एक वर्ष का सबसे बड़ा राजकोषीय घाटा होगा।

ब्रेक्ज़िट का ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव:   

  • ब्रिटेन 31 जनवरी, 2020 को औपचारिक रूप से यूरोपीय संघ से अलग हो गया है ऐसे में 31 दिसंबर, 2020 को ट्रांज़िसन पीरियड के समाप्त होने से पहले ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच किसी व्यापार समझौते का लागू होना बहुत आवश्यक होगा।  
  • वर्तमान में ब्रिटेन के कुल निर्यात में से 46% की खपत यूरोपीय बाज़ार में होती है ऐसे में ट्रांज़िसन पीरियड के बाद बिना किसी व्यापार समझौते के ब्रिटिश निर्यात को बड़ा नुकसान हो सकता है। 
  • संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन’ (United Nations Conference on Trade and Development- UNCTAD) के अनुमान के अनुसार, बिना किसी समझौते की स्थिति में ब्रिटेन को व्यापार कर के रूप में 32 बिलियन अमेरिकी डॉलर का नुकसान हो सकता है।
  • UNCTAD के अनुमान के अनुसार, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच मुक्त व्यापार समझौते की स्थिति में भी ब्रिटेन के निर्यात में 9% की गिरावट देखी जा सकती है।  
  • यूरोपीय संघ से अलग होने पर ब्रिटेन को कई अन्य चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा जिसका प्रभाव अप्रत्यक्ष रूप से देश की अर्थव्यवस्था में दिखाई देगा। जैसे- ब्रिटेन के नागरिकों को अन्य यूरोपीय देशों में नौकरी या व्यापार करने में कठिनाई, अन्य EU देशों के कम वेतन पर कार्य करने वाले कुशल श्रमिकों की कमी आदि।  
  • EU देशों के बीच आवाजाही की छूट के कारण कई ब्रिटिश कंपनियों ने अपने  कारखाने कम उत्पादन लागत वाले अन्य EU देशों में खोल रखे थे, EU से अलग होने पर इनके उत्पादन की लागत में वृद्धि होगी। 
  • बिना किसी मज़बूत व्यापार समझौते के ब्रिटेन में विदेशी निवेश को बढ़ावा देना एक बड़ी चुनौती होगी। ब्रेक्ज़िट के बाद अन्य EU देशों की कई बड़ी कंपनियों ने ब्रिटेन में अपने कार्यालय बंद करने शुरू कर दिये है, जिससे ब्रिटेन में बड़ी मात्रा बेरोज़गारी में वृद्धि होगी।
  • उत्तरी आयरलैंड (यूनाइटेड किंगडम का हिस्सा) और आयरलैंड गणराज्य सीमा समाधान के लिये ब्रिटेन और EU के बीच मुक्त व्यापार समझौता ही सबसे उपयुक्त उपाय होगा परंतु ऐसा न होने पर ब्रिटेन के लिये इस समस्या का समाधान करना एक बड़ी चुनौती होगी।

ब्रेक्ज़िट और COVID-19:

  • COVID-19 की अनिश्चितता ने ब्रिटिश अर्थव्यवस्था पर ब्रेक्ज़िट के प्रभावों को कई गुना बढ़ा दिया है।   
  • ब्रेक्ज़िट के कारण EU से वापस आकर ब्रिटेन में नौकरियों की तलाश कर रहे युवाओं को COVID-19 के कारण रोज़गार न मिलने से देश में बेरोज़गारी की वृद्धि होगी। 
  • EU से अलग होने के बाद ब्रिटेन में कई तरह की योजनाओं की शुरुआत भी की गई थी परंतु COVID-19 के कारण इनमें देरी के साथ ही इनकी लागत भी बढ़ने का अनुमान है। 
  • ब्रिटिश सरकार की पूर्व योजना के अनुसार, ब्रेक्ज़िट के बाद उद्योगों की मदद के लिये कई तरह के राहत पैकेज जारी करने का अनुमान था परंतु वर्तमान राजकोषीय घाटे और अर्थव्यवस्था की गिरावट को देखते हुये, किसी बड़े राहत पैकेज की संभावना बहुत कम हो गई है।
  • हाल ही में EU और ब्रिटेन के द्वारा जारी एक साझा बयान में दोनों पक्षों के भविष्य के संबंधों पर चर्चा के लिये सप्ताह भर चलने वाली तीन बैठकों की घोषणा की गई, ये क्रमशः 20 अप्रैल, 11 मई और 1 जून को प्रारंभ होंगी।

स्रोत: द हिंदू

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