ECGC तथा NEIA में पूंजी निवेश को मंत्रिमंडल की मंजूरी | 28 Jun 2018

संदर्भ

हाल ही में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति द्वारा छोटे निर्यातकों की मदद के उद्देश्य से एक्‍सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन लिमिटेड (ECGC) तथा राष्‍ट्रीय निर्यात बीमा खाता ट्रस्‍ट (NEIA) को मज़बूती देने के लिये क्रमशः 2,000 करोड़ रुपए 1,040 करोड़ रुपए की निधि को मंज़ूरी दी गई है। ये पूंजी निवेश 3 वित्त वर्षों (2017-18, 2018-19 तथा 2019-20) के दौरान किये जाएंगे।

ECGC के लिये पूंजी निवेश का आवंटन

  • वित्त वर्ष 2017-18 में 50 करोड़ रुपए 
  • वित्त वर्ष 2018-19 में 1,450 करोड़ रुपए 
  • वित्त वर्ष 2019-20 में 500 करोड़ रुपए 

NEIA के लिये पूंजी निवेश का आवंटन

  • वर्ष 2017-18 के लिये NEIA को 440 करोड़ रुपए की रकम पहले ही प्राप्‍त हो चुकी है।
  • वर्ष 2018-19 और 2019-20 में प्रत्‍येक वर्ष के लिये NEIA को 300 करोड़ रुपए दिये जाएंगे। 
  • इस निधि से NEIA रणनीतिक एवं राष्‍ट्रीय महत्त्व की निर्यात परियोजनाओं को मदद देने में समर्थ होगा। 

ECGC को पूंजी निवेश से होने वाले लाभ

  • इस पूंजी निवेश से MSME क्षेत्र में निर्यात के लिये बीमा कवरेज में सुधार होगा और अफ्रीका, कामनवेल्थ इंडिपेंडेंट स्टेट्स (Commonwealth Independent States-CIS) तथा लैटिन अमेरिकी देशों के उभरते एवं चुनौतीपूर्ण बाज़ारों में भारत के निर्यात को मज़बूती मिलेगी। 
  • इस निवेश से पूंजी अनुपात के मुकाबले ECGC की बट्टेखाते में डालने की क्षमता व जोखिम में उल्‍लेखनीय सुधार होगा। 
  • बट्टेखाते (Bad Debt Account) में डालने की मज़बूत क्षमता होने से ECGC नए एवं उभरते बाज़ारों में भारतीय निर्यातकों को मदद देने के लिये बेहतर स्थिति में होगी। 
  • अधिक पूंजी निवेश से ECGC को अपने उत्‍पाद पोर्ट फोलियो में विविधता लाने और निर्यातकों को सस्ता बीमा उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी जिससे वे चुनौतीपूर्ण बाज़ारों में भी स्वयं को स्थापित करने में समर्थ होंगे। 

ECGC के तहत बीमा कवर से लाभ

  • ECGC के तहत बीमा कवर से भारतीय निर्यातकों को अंतर्राष्‍ट्रीय बाज़ारों में प्रतिस्पर्द्धात्‍मक स्थिति सुधारने में भी मदद मिलेगी। 
  • ECGC के तहत बीमा कवर से लाभान्वित होने वाले 85 फीसदी से अधिक ग्राहक MSME के हैं। ECGC विश्‍व के करीब दो सौ देशों के लिये निर्यात बीमा मुहैया कराती है। 

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (MSME)

सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के संवर्द्धन एवं विकास को सरल एवं सुविधाजनक बनाने हेतु 2 अक्तूबर, 2006 को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास अधिनियम (MSMED Act), 2006 विनियमित किया गया था। इस अधिनियम के तहत MSMEs को निम्नलिखित दो भागों में वर्गीकृत किया गया है:

  • विनिर्माण क्षेत्र के उद्यम- इसमें उद्यमों को संयंत्र और मशीनरी (Plant & Machinery) में किये गए निवेश के संदर्भ में परिभाषित किया गया है। 
उद्यम का प्रकार संयंत्र एवं मशीनरी में किया गया निवेश (रुपए में)
सूक्ष्म (Micro) 25 लाख तक
लघु (Small) 25 लाख से अधिक किंतु 5 करोड़ से कम
मध्यम (Medium) 5 करोड़ से अधिक किंतु 10 करोड़ से कम
  • सेवा क्षेत्र के उद्यम- सेवाएँ प्रदान करने में लगे उद्यमों को उपकरणों (Equipment) में निवेश के संदर्भ में परिभाषित किया जाता है।
उद्यम का प्रकार उपकरणों में किया गया निवेश (रुपए में)
सूक्ष्म (Micro) 10 लाख तक
लघु (Small) 10 लाख से अधिक किंतु 2 करोड़ से कम
मध्यम (Medium) 2 करोड़ से अधिक किंतु 5 करोड़ से कम

एक्‍सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन लिमिटेड (ECGC)

  • ECGC भारत से निर्यात को बढ़ावा देने के लिये निर्यात ऋण बीमा सेवा मुहैया कराने वाली भारत सरकार की प्रमुख निर्यात ऋण एजेंसी है। 
  • ऋण पर निर्यात करने के जोखिम को कवर कर निर्यात संवर्द्धन अभियान को मज़बूत करने के उद्देश्‍य से भारत सरकार द्वारा वाणिज्‍य और उद्योग मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण में एक्‍सपोर्ट क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन लिमिटेड (ECGC) की स्‍थापना की गई। 
  • इसमें निर्यातकों को वस्‍तुओं और सेवाओं के निर्यात में होने वाली हानि के बदले ऋण जोखिम बीमा कवर प्रदाब करने का प्रावधान है तथा यह बैंकों और वित्तीय संस्‍थाओं को गारं‍टी भी प्रदान करती है जिसमें जिससे निर्यातक उनसे बेहतर सुविधाएँ प्राप्‍त कर सकें। 
  • इसका उद्देश्‍य निम्‍नलिखित के लिये बीमा कवर प्रदान करना है- 

♦ निर्यातकों को राजनैतिक और वाणिज्यिक जोखिमों के लिये
♦ निर्यातकों को विनिमय दर में उतार-चढ़ाव के लिये 
♦ बैंकों को उनके द्वारा प्रदत्त निर्यात ऋण और गारंटियों के लिये 
♦ विदेशों में भारतीय निवेशकों को राजनैतिक जोखिमों के लिये।

राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (NEIA)

  • राष्ट्रीय निर्यात बीमा खाता (NEIA) वाणिज्य मंत्रालय द्वारा स्थापित एक ट्रस्ट है| इसका प्रशासन ECGC लिमिटेड के अंतर्गत किया जाता है| 
  • भारत के परियोजना निर्यात को परंपरागत और विकासशील देशों के नए बाजारों में बढ़ावा देने के लिये NEIA के तहत क्रेता को ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं| 
  • इस वित्तपोषण कार्यक्रम के तहत संप्रभु विदेशी सरकारों और सरकारी स्वामित्व वाली संस्थाओं को भारतीय माल एवं सेवाओं के आयात के लिये आस्थगित ऋण शर्तों पर मध्यम तथा लंबी अवधि के लिये ऋण उपलब्ध कराए जाते हैं|