शासन व्यवस्था
निर्यात तैयारी सूचकांक 2022
- 19 Jul 2023
- 13 min read
प्रिलिम्स के लिये:निर्यात तैयारी सूचकांक, नीति आयोग, निर्यात संवर्द्धन, अनुसंधान और विकास, वैश्विक व्यापार संदर्भ मेन्स के लिये:निर्यात तैयारी सूचकांक |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में नीति आयोग ने भारत के राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के लिये ‘निर्यात तैयारी सूचकांक (Export Preparedness Index- EPI) 2022’ नामक रिपोर्ट का तीसरा संस्करण जारी किया।
- इस रिपोर्ट में वित्त वर्ष 2022 में प्रचलित वैश्विक व्यापार संदर्भ में भारत के निर्यात प्रदर्शन की व्याख्या की गई है और देश के क्षेत्र-विशिष्ट निर्यात प्रदर्शन का अवलोकन किया गया है।
निर्यात तैयारी सूचकांक:
- परिचय:
- EPI एक व्यापक व्यवस्था है जो भारत में राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की निर्यात तैयारियों का आकलन करता है।
- किसी भी राष्ट्र में आर्थिक विकास और प्रगति की संभावनाओं का पता लगाने के लिये निर्यात सफलता को प्रभावित करने वाले कारकों को समझना आवश्यक है।
- यह सूचकांक राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की ताकत और कमज़ोरियों की पहचान करने के लिये निर्यात-संबंधित मापदंडों का व्यापक विश्लेषण करता है।
- मुख्य स्तंभ:
- नीति: निर्यात-आयात के लिये रणनीतिक दिशा प्रदान करने वाली एक व्यापक व्यापार नीति।
- बिज़नेस इकोसिस्टम: एक कुशल बिज़नेस इकोसिस्टम राज्यों को निवेश आकर्षित करने और व्यक्तियों के लिये स्टार्ट-अप शुरू करने हेतु एक सक्षम बुनियादी ढाँचा तैयार करने में मदद करता है।
- निर्यात पारिस्थितिकी तंत्र: निर्यात के लिये विशिष्ट कारोबारी माहौल का आकलन।
- निर्यात प्रदर्शन: यह एकमात्र आउटपुट-आधारित पैरामीटर है जो राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के निर्यात फुटप्रिंट की पहुँच की जाँच करता है।
- उप स्तंभ:
- इस सूचकांक में 10 उप-स्तंभों; निर्यात संवर्द्धन नीति, संस्थागत ढाँचा, व्यापारिक वातावरण, आधारभूत संरचना, परिवहन कनेक्टिविटी, निर्यात अवसंरचना, व्यापार समर्थन, अनुसंधान एवं विकास अवसंरचना, निर्यात विविधीकरण और विकास उन्मुखीकरण को भी शामिल किया गया है।
- विशेषताएँ: EPI उप-राष्ट्रीय स्तर (राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों) में निर्यात प्रोत्साहन के लिये महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों की पहचान करने हेतु एक डेटा-संचालित प्रयास है।
- यह प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश द्वारा किये गए विभिन्न योगदानों की जाँच कर भारत की निर्यात क्षमता का पता लगाता है और उस पर प्रकाश डालता है।
EPI 2022 के प्रमुख बिंदु:
- राज्यों का प्रदर्शन:
- शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता:
- EPI 2022 में तमिलनाडु शीर्ष पर है, उसके बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक का स्थान है।
- EPI 2021 (जो कि वर्ष 2022 में जारी किया गया था) में गुजरात शीर्ष स्थान पर था, लेकिन EPI 2022 में यह चौथे स्थान पर चला गया है।
- निर्यात मूल्य, निर्यात एकाग्रता और वैश्विक बाज़ार फुटप्रिंट सहित निर्यात प्रदर्शन संकेतकों के कारण तमिलनाडु शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता है।
- तमिलनाडु ऑटोमोटिव्स, चमड़ा, वस्त्र और इलेक्ट्रॉनिक सामान जैसे क्षेत्रों में लगातार अग्रणी रहा है।
- EPI 2022 में तमिलनाडु शीर्ष पर है, उसके बाद महाराष्ट्र और कर्नाटक का स्थान है।
- पहाड़ी/हिमालयी राज्य:
- EPI 2022 में पहाड़ी/हिमालयी राज्यों में उत्तराखंड ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। इसके बाद हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, सिक्किम, नगालैंड, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश और मिज़ोरम का स्थान है।
- स्थलरुद्ध क्षेत्र:
- EPI 2022 में भूमि से घिरे क्षेत्रों में हरियाणा शीर्ष पर है, यह निर्यात क्षेत्र में उसकी तैयारियों को प्रदर्शित करता है।
- इसके बाद तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, पंजाब, मध्य प्रदेश और राजस्थान का स्थान है।
- केंद्रशासित प्रदेश/छोटे राज्य:
- केंद्रशासित प्रदेशों और छोटे राज्यों में गोवा EPI 2022 में पहले स्थान पर है।
- जम्मू-कश्मीर, दिल्ली, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह तथा लद्दाख क्रमशः दूसरे, तीसरे, चौथे और पाँचवें स्थान पर रहे हैं।
- केंद्रशासित प्रदेशों और छोटे राज्यों में गोवा EPI 2022 में पहले स्थान पर है।
- शीर्ष प्रदर्शनकर्त्ता:
- वैश्विक अर्थव्यवस्था:
- वर्ष 2021 में वैश्विक व्यापार कोविड-19 महामारी के प्रभावों से उबरता पाया गया। वस्तुओं की बढ़ती मांग, राजकोषीय नीतियों, वैक्सीन वितरण और प्रतिबंधों में ढील जैसे कारकों का विगत वर्ष की तुलना में वस्तु व्यापार में 27% की वृद्धि और सेवा व्यापार में 16% की वृद्धि का योगदान रहा।
- फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अर्थव्यवस्था पर बुरा प्रभाव पड़ा जिस कारण अनाज, तेल और प्राकृतिक गैस जैसे क्षेत्र प्रभावित हुए।
- वस्तुओं के व्यापार में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई और वर्ष 2021 की चौथी तिमाही तक सेवा क्षेत्र व्यापार महामारी-पूर्व स्तर पर पहुँच गया।
- भारत का निर्यात रुझान:
- वैश्विक मंदी के बावजूद वर्ष 2021-22 में भारत का निर्यात अभूतपूर्व रूप से 675 बिलियन अमेरिकी डॉलर को पार कर गया, जिसमें वस्तु व्यापार 420 बिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
- वित्त वर्ष 2022 में वस्तु निर्यात मूल्य 400 बिलियन अमेरिकी डॉलर (सरकार द्वारा निर्धारित एक महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य) से अधिक रहा, मार्च 2022 तक यह 422 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँच गया।
- इस प्रदर्शन के कई कारण हैं, वैश्विक स्तर पर वस्तुओं की बढ़ती कीमतें और विकसित देशों से बढ़ती मांग के कारण भारत के वस्तु निर्यात में काफी वृद्धि हुई।
निर्यात तैयारी सूचकांक के मुख्य निष्कर्ष:
- इस सूचकांक में शीर्ष राज्यों में से छह तटीय राज्यों ने सभी संकेतकों में सबसे अच्छा प्रदर्शन किया है।
- तमिलनाडु, महाराष्ट्र, कर्नाटक और गुजरात जैसे राज्य (इन राज्यों द्वारा कम-से-कम एक स्तंभ में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन)।
- जहाँ तक नीतिगत पारिस्थितिकी तंत्र के सकारात्मक पहलुओं का सवाल है, कई सरकारों ने अपनी सीमाओं के भीतर निर्यात को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक उपाय व नीतियाँ लागू की हैं।
- सकारात्मक पक्ष को देखें तो नीतिगत पारिस्थितिकी तंत्र एक सकारात्मक दृष्टिकोण प्रदान करती है जिसमें कई राज्य अपने राज्यों में निर्यात को बढ़ावा देने के लिये आवश्यक नीतिगत उपाय अपना रहे हैं।
- ज़िला स्तर पर देश के 73% ज़िलों में निर्यात कार्य योजना के साथ 99% से अधिक 'एक ज़िला एक उत्पाद' योजना के अंतर्गत आते हैं।
- परिवहन कनेक्टिविटी के मामले में राज्य पिछड़े मालूम पड़ते हैं। हवाई कनेक्टिविटी के अभाव के कारण विभिन्न क्षेत्रों में वस्तुओं की आवाजाही में बाधा उत्पन्न होती है, खासकर उन राज्यों में जो चारों तरफ से स्थल से घिरे हुए हैं अथवा भौगोलिक रूप से उतने संपन्न नहीं हैं।
- अनुसंधान और विकास के मामले में देश का निम्न प्रदर्शन निर्यात क्षेत्र में नवाचार की भूमिका पर ध्यान दिये जाने की कमी को स्पष्टतः दर्शाता है।
- राज्य सरकार को संघर्षरत उद्योगों का समर्थन जारी रखने और उन्हें प्रोत्साहित करते रहने की आवश्यकता है।
- देश के 26 राज्यों ने अपने विनिर्माण क्षेत्र के सकल मूल्यवर्द्धन में कमी दर्ज की है।
- 10 राज्यों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश अंतर्वाह में कमी दर्ज की गई है।
- निर्यातकों के लिये क्षमता-निर्माण कार्यशालाओं के आयोजन की कमी के कारण उनका वैश्विक बाज़ारों में प्रवेश करने की क्षमता बाधित होती है, प्राप्त जानकरी के अनुसार, 36 में से 25 राज्यों ने एक वर्ष में 10 से भी कम कार्यशालाएँ आयोजित की हैं।
- राज्यों को समर्थन देने के लिये मौजूदा सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता के लिये परियोजनाओं की समयबद्ध मंज़ूरी काफी अहम है।
EPI को देखते हुए आगामी योजना:
- अच्छी प्रथाओं को अपनाना: राज्यों को अपने समकक्षों से अच्छी प्रथाओं (यदि वे उनकी आवश्यकताओं के अनुरूप हों) को अपनाने के लिये प्रोत्साहित किया जाना चाहिये। सफल राज्यों का अनुकरण करते हुए निम्न प्रदर्शन वाले राज्यों को अपने निर्यात प्रदर्शन में सुधार करने में मदद मिल सकती है।
- अनुसंधान और विकास में निवेश: राज्यों को उत्पाद नवाचार, बाज़ार-विशिष्ट उत्पाद निर्माण, उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार, लागत में कमी लाने और दक्षता में सुधार करने के लिये अनुसंधान एवं विकास में निवेश करने की आवश्यकता है।
- नियमित वित्तपोषण के साथ समर्पित अनुसंधान संस्थानों की स्थापना से राज्य अपने निर्यात में सुधार कर सकते हैं।
- भौगोलिक संकेतक उत्पादों का लाभ उठाना: वैश्विक बाज़ार में उपस्थिति दर्ज करने के लिये राज्यों को अपने अद्वितीय GI उत्पादों का लाभ उठाना चाहिये। GI उत्पादों के विनिर्माण और गुणवत्ता को बढ़ावा देने तथा सुधार करने से निर्यात क्षेत्र को काफी बढ़ावा मिल सकता है।
- उदाहरण के लिये काँचीपुरम सिल्क उत्पाद का निर्यात केवल तमिलनाडु द्वारा किया जा सकता है और वर्तमान स्थिति यह है कि पूरे देश में उससे प्रतिस्पर्द्धा करने वाला कोई नहीं है।
- निर्यात बाज़ारों का विविधीकरण: सूचना प्रौद्योगिकी, फार्मास्यूटिकल्स, ऑटोमोटिव्स, वस्त्र और नवीकरणीय ऊर्जा जैसे उच्च विकास वाले क्षेत्रों की पहचान करने तथा उन्हें प्रोत्साहित कर भारत की निर्यात क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।