नवजात शिशुओं का अस्तित्व: भारत का रैंक सोमालिया से नीचे | 22 May 2017
सन्दर्भ
मेडिकल जर्नल ‘द लांसेट’ में प्रकाशित एक नवीनतम अध्ययन “ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़” (Global Burden of Disease- GBD) के अनुसार, भारत में जन्में शिशुओं के जीवित रहने की संभावना सोमालिया और अफगानिस्तान में जन्में शिशुओं की अपेक्षा कम होती है| इस पत्रिका में प्रकाशित लेख के अनुसार, स्वास्थ्य देखभाल एवं गुणवत्ता के लिये डी.जी.बी. रैंकिंग में भारत 11 पायदान नीचे खिसक गया है| गौरतलब है कि इस रिपोर्ट की रैंकिंग में भारत 195 देशों की सूची में 154वें स्थान पर है|
किसने किया है यह अध्ययन?
उल्लेखनीय है कि “द ग्लोबल बर्डन ऑफ डिज़ीज़, इंजरीस, एंड रिस्क फैक्टर्स” अध्ययन 'इंस्टिट्यूट ऑफ हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवोल्यूशन’ (आई.एच.एम.ई.) द्वारा किया गया है| वस्तुतः यह एक स्वतंत्र जनसंख्या स्वास्थ्य शोध केंद्र है जो वाशिंगटन विश्वविद्यालय के साथ जुड़ा हुआ है| इसके संघ में 130 से भी अधिक देशों के 2300 शोधकर्ता शामिल हैं|
स्वास्थ्य देखभाल एवं गुणवत्ता के लिये डी.जी.बी. रैंकिंग
- स्वास्थ्य देखभाल पहुँच एवं गुणवता सूची (हेल्थकेयर एक्सेस एंड क्वालिटी इंडेक्स), उन 32 बीमारियों के कारण होने वाली मृत्यु दर पर आधारित है, जिन्हें समय पर चिकित्सकीय हस्तक्षेप से बचाया जा सकता है|
- स्वास्थ्य देखभाल एवं गुणवता के लिये डी.जी.बी. रैंकिंग में भारत 11 पायदान नीचे खिसका है| इस समय भारत 195 देशों में 154वें स्थान पर है| गौरतलब है कि पिछले साल भारत का रैंक 188 देशों में 143 था|
- भारत का स्वास्थ्य देखभाल इंडेक्स 44|8 है जो दक्षिण एशिया के देशों में सबसे कम है| इस उप-महाद्वीप के अन्य देशों का इंडेक्स इस प्रकार है:
→ श्रीलंका 72|8 → बांग्लादेश 51|7 → भूटान 52|7 → नेपाल 50|8 → भारत 44|8 |
- इस सूची में शामिल देशों में सबसे शीर्ष पर अंडोरा है जिसका समग्र स्कोर 95 है तथा सबसे निम्नतम रैंक वाला देश केंद्रीय अफ़्रीकी गणराज्य है, जिसका स्कोर 29 है|
- इस रैंकिंग में भारत का नीचे खिसकना इस बात का संकेत है कि भारत स्वास्थ्य देखभाल लक्ष्यों को हासिल करने में असफल रहा है, विशेष रूप से नवजात शिशु विकार, मातृत्व स्वास्थ्य, यक्ष्मा एवं संधिशोध ह्रदय रोग के संबंध में|
- नवजात मृत्यु के मामले में, 1 से 100 तक के पैमाने में, स्वास्थ्य देखभाल तक पहुँच एवं गुणवत्ता सूचकांक में भारत का स्कोर 14 है, जबकि अफगानिस्तान का स्कोर 100 में से 19, वहीं सोमालिया का स्कोर 100 में से 21 है|
- भारत में यक्ष्मा के उपचार तक पहुँच का स्कोर 100 में से 26 है जो कि पाकिस्तान (29), कांगो (30) एवं जिबूती (29) से भी कम है|
- मधुमेह, जीर्ण गुर्दा रोग एवं जन्मजात ह्रदय रोग के मामले में भारत का स्कोर क्रमशः 38, 20, 45 है|
- नवजात शिशु विकारों एवं जीर्ण गुर्दा रोगों के मामलों में भारत की रैंकिंग विश्व के सबसे बदतर देशों जैसी है|
निम्नलिखित बीमारियों के सन्दर्भ में 195 देशों में भारत का रैंक
→ स्वास्थ्य देखभाल पहुँच एवं गुणवता में 154 → नवजात शिशु विकार 185 → गुर्दे की पुरानी बिमारी 176 → यक्ष्मा 166 → मधुमेह में डिप्थीरिया 133 |
मृत्य अथवा चोट लगने के पाँच प्रमुख कारण
→ 15 केमिक ह्रदय रोग 15|65%
→ रक्त धमनी रोग 7|8%
→ डायरिया (दस्त) 4|75%
→ मधुमेह 3|37%
→ नवजात अपरिपक्व जन्म जटिलताएँ 2|99%
मज़बूत अर्थव्यवस्था होना ही अच्छे स्वास्थ्य देखभाल की गारंटी नहीं
- आई.एच.एम.ई. के निदेशक एवं इस अध्ययन के वरिष्ठ लेखक डॉक्टर क्रिस्टोफर मरे का कहना है कि उन्होंने स्वास्थ्य देखभाल तथा गुणवत्ता के बारे में जो पाया है वह काफी परेशान करने वाला है| उनका कहना है कि न तो केवल मज़बूत अर्थव्यवस्था होना ही अच्छे स्वास्थ्य देखभाल की गारंटी है, और न ही अत्यधिक चिकत्सा तकनीक ही| उनके अनुसार, लोगों को रोगों के इलाज़ के लिये जिस तरह का उपचार मिलना चाहिये था, वैसा नहीं मिल पा रहा है|
- इस अध्ययन में भाग लेने वाले लन्दन स्कूल ऑफ हाईजिन एंड ट्रोपिकल मेडिसिन के प्रोफ्रेसर मार्टिन मेक्की के अनुसार, इस अध्ययन को जो इतना महत्त्वपूर्ण बनाता है, वह है इसका दायरा| दरअसल, जी.बी.डी. अध्ययन टीम द्वारा व्यापक डाटा संग्रहण किया गया था, और इस अध्ययन के आँकड़े भी वहीं से लिये गए हैं| इन आँकड़ों को इकट्ठा करने में जी.बी.डी. टीम ने इस बार धनी देशों के अलावा पूरे विश्व को विस्तार से कवर किया है|
- जैसे-जैसे विश्व की सरकारें सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज के लक्ष्य (जिनके बारे में उन्होंने सतत् विकास लक्ष्यों में प्रतिबद्धता व्यक्त की है) को लागू करने के लिये आगे बढ़ती हैं, ये आँकड़े उनको एक आवश्यक आधार रेखा प्रदान करेंगे, जहाँ से वे इनकी प्रगति पर नज़र रख सकेंगी|