सुपरनोवा विस्फोट के प्रमाण | 27 Jun 2019
चर्चा में क्यों?
भारतीय खगोलविदों की एक टीम ने G351.7-1.2 नामक अंतरिक्ष क्षेत्र में सुपरनोवा विस्फोट के प्रमाण प्राप्त किये है। यह सुपरनोवा परमाणु हाइड्रोजन के एक उच्च वेग वाली धारा के रूप में प्राप्त हुआ है। अंतरिक्ष विज्ञान की दृष्टि से यह बहुत ही महत्त्वपूर्ण है, क्योंकि इस प्रकार का विस्फोट कई शताब्दियों से खगोलविदों को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है।
सुपरनोवा
सामान्य शब्दों में सुपरनोवा का अर्थ अंतरिक्ष में किसी भयंकर और चमकीले विस्फोट से होता है। खगोलविदों के अनुसार जब एक सितारा अपना जीवन-चक्र समाप्त करके अपने जीवनकाल के अंतिम चरण में होता है तो वह एक भयंकर विस्फोट के साथ समाप्त हो जाता है जिसे सुपरनोवा कहते हैं।
मुख्य बिंदु :
- खगोलविदों ने G351.7-1.2 क्षेत्र में बड़ी संख्या में गैस के बादल पाए तथा अधिक आवृति पर जाँच के बाद इसके सुपरनोवा होने की पुष्टि हुई।
- परमाणु हाइड्रोजन के एक उच्च वेग वाला यह सुपरनोवा स्कोर्पियस (Scorpius) तारामंडल की दिशा में है।
- परमाणु हाइड्रोजन के एक उच्च वेग वाली धारा 20 प्रकाश वर्षों की गति से विस्तारित हो रही है और 50 किमी. प्रति सेकंड की गति से यात्रा कर रही है।
- इस विस्फोट के परिणामस्वरूप किसी ब्लैक होल (black hole) या पल्सर (अत्यधिक चुम्बकीय न्यूट्रॉन तारा) का निर्माण हो सकता है, हालाँकि इससे संबंधित कोई भी प्रमाण खगोलविदों को अब तक नही मिला है।
- खगोलविदों के समूह ने इस सुपरनोवा का पता लगाने और G351.7-1.2 क्षेत्र की जाँच करने के लिये पुणे स्थित नेशनल सेंटर ऑफ़ रेडियो एस्ट्रोफिज़िक्स (National Centre of Radio Astrophysics) से संचालित होने वाले वृहत मीटरवेव रेडियो दूरबीन (Giant Metrewave Radio Telescope - GMRT) का प्रयोग किया था।
- सूर्य के 8-10 गुना अधिक द्रव्यमान वाले बड़े सितारे सुपरनोवा विस्फोट के रूप में समाप्त होते हैं। यह विस्फोट कुछ दिनों के लिये बहुत अधिक चमकीला प्रकाश छोड़ता है और फिर धीरे-धीरे यह प्रकाश समाप्त हो जाता है।