विश्वभर में खाद्य असुरक्षा | 18 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में UN द्वारा जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 2018 में विश्व के लगभग 700 मिलियन लोग गंभीर खाद्य असुरक्षा का सामना कर रहे थे। रिपोर्ट में खाद्य असुरक्षा को विश्व के समक्ष मौजूद सबसे बड़ी समस्या के रूप में चिन्हित किया गया है।
प्रमुख बिंदु
- रिपोर्ट के अनुसार, खाद्य असुरक्षा, भूख और कुपोषण के अतिरिक्त मोटापे का भी एक प्रमुख कारण है। जब पौष्टिक आहार महँगा होता है तो लोग अपनी भोजन संबंधी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये इसे सस्ते आहार के साथ प्रतिस्थापित करने का प्रयास करते हैं, जो सामान्यतः वसा युक्त होता है और लोगों के मोटापे में वृद्धि करता है।
- भोजन की उचित मात्रा के साथ-साथ भोजन की उचित गुणवत्ता भी काफी महत्त्वपूर्ण होती है। रिपोर्ट के मुताबिक, दुनिया भर के दो अरब से भी अधिक लोगों को सुरक्षित और पौष्टिक भोजन उपलब्ध नहीं हो पाता है, जिसके कारण उनमें भोजन से जनित बीमारियाँ उत्पन्न होती हैं।
- रिपोर्ट में लिंग असमानता पर चर्चा करते हुए यह कहा गया है कि विश्व के लगभग सभी देशों में, पुरुषों की तुलना में महिलाओं में खाद्य असुरक्षा का प्रचलन अधिक है।
- निम्न आय वाले देश मध्यम आय वाले देशों की तुलना में 20 प्रतिशत अधिक खाद्य असुरक्षा की स्थिति का सामना करते हैं।
क्या होती है खाद्य असुरक्षा?
खाद्य असुरक्षा का अभिप्राय पौष्टिक और पर्याप्त भोजन तक अनियमित पहुँच से होता है। खाद्य सुरक्षा को मुख्यतः दो भागों में विभाजित किया जा सकता है:
1. मध्यम स्तरित खाद्य असुरक्षा (Moderate Food Insecurity):
मध्यम स्तरित खाद्य असुरक्षा का अभिप्राय उस स्थिति से होता है जिसमें लोगों को कभी-कभी खाद्य की अनियमित उपलब्धता का सामना करना पड़ता हैं और उन्हें भोजन की मात्रा एवं गुणवत्ता के साथ भी समझौता करना पड़ता हैं।
2. गंभीर खाद्य असुरक्षा (Severe Food Insecurity):
गंभीर खाद्य असुरक्षा का अभिप्राय उस स्थिति से है जिसमें लोग कई दिनों तक भोजन से वंचित रहते हैं और उन्हें पौष्टिक एवं पर्याप्त आहार उपलब्ध नहीं हो पाता है। लंबे समय तक यथावत बने रहने पर यह स्थिति भूख की समस्या का रूप धारण कर लेती है।