मालदीव संकट का घटनाक्रम | 06 Feb 2018
चर्चा में क्यों?
- मालदीव के राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन ने 5 फरवरी को 15 दिन के आपातकाल की घोषणा कर दी है जिससे मालदीव का राजनीतिक संकट और गहरा गया है। स्पष्ट है कि आपातकाल में नागरिकों के कुछ अधिकार सीमित हो जाते है।
- भारतीय विदेश मंत्रालय ने अपने नागरिकों को मालदीव की अनावश्यक यात्रा टालने का सुझाव दिया है और मालदीव में भारतीय प्रवासियों के लिये भी अलर्ट जारी किया गया है।
पृष्ठभूमि
- 2008 में मोहम्मद नशीद लोकतांत्रिक तरीके से चुने जाने वाले मालदीव के पहले राष्ट्रपति थे जिन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल गयूम को चुनाव में हराया था।
- किंतु 2012 में एक न्यायाधीश पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर उन्हें जेल में डालने पर मोहम्मद नशीद को अपदस्थ कर दिया गया।
- मालदीव के वर्तमान राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन 2013 में हुए चुनाव में विजयी होने के बाद से सत्ता पर काबिज़ हैं। हालाँकि इस चुनाव के परिणाम पर अभी भी विवाद बना हुआ है।
- अब्दुल्ला यामीन ने अपदस्थ राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद को हराया था। मोहम्मद नशीद को 2015 में आतंकवाद के आरोप में 13 साल की सज़ा सुनाई गई थी। मोहम्मद नशीद वर्तमान में निर्वासित हैं।
हालिया घटनाक्रम
- 1 फरवरी को अपने एक आदेश में मालदीव के सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद के खिलाफ चली सुनवाई को असंवैधानिक बताया और अन्य राजनीतिक कैदियों को रिहा करने का आदेश दिया था।
- इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 12 सांसदों की सदस्यता बहाल करते हुए मालदीव की संसद (मजलिस) के सत्र को बुलाने का भी आदेश दिया था।
- चूँकि इन सांसदों के रिहा होते ही विपक्षी पार्टियाँ मज़बूत हो जाती, इसलिये राष्ट्रपति द्वारा मजलिस को बुलाने की अनुमति देने की बजाय 3 फरवरी को संसद को अनिश्चितकाल के लिये स्थगित कर दिया गया।
- सांसदों को परिसर में प्रवेश करने से रोकने के लिये सेना भेज दी गई और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन की बजाय सांसदों को रिहा करने से इनकार कर दिया।
- इसके अतिरिक्त सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुपालन की मांग करने वाले पुलिस प्रमुखों और जेल प्रमुखों सहित कई अधिकारियों को या तो बर्खास्त कर दिया गया है या उनका इस्तीफ़ा ले लिया गया है।
- इस बीच मालदीव के अटॉर्नी जनरल ने घोषणा कर दी कि न्यायालय के अवैध आदेश की बजाय संविधान का अनुपालन ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।
- आपातकाल की घोषणा के साथ ही पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल गयूम और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को गिरफ्तार कर लिया गया। राजधानी माले में नागरिकों का विरोध प्रदर्शन भी उग्र तरीके से बढ़ रहा है।
भारतीय संदर्भ
- भारत सहित अमेरिका, यूरोपीय संघ और कई अन्य देशों ने अब्दुल्ला यामीन से सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करने की मांग की है। लेकिन वर्तमान में भारत मालदीव में एक प्रभावी भूमिका निभाने की स्थिति में नहीं है।
- तीन साल पहले भारतीय प्रधानमंत्री द्वारा मालदीव की यात्रा रद्द करने से यह संकेत गया कि मालदीव पूरे दक्षिण एशिया और हिंद महासागर क्षेत्र में एकमात्र ऐसा देश है जहाँ की भारतीय नेतृत्व द्वारा यात्रा नहीं की गई।
- इसके अतिरिक्त मालदीव ने राष्ट्रमंडल की सदस्यता त्याग दी है और सार्क संगठन भी अपनी अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतर पा रहा है। अत: मालदीव में भारत का प्रभाव और सीमित हो गया है।
- इसके समाधान के लिये अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से ठोस कार्रवाई किये जाने की अपेक्षा है ताकि मालदीव को इस संवैधानिक संकट से बचाया जा सके। इसके अलावा इस वर्ष होने वाले चुनाव ही इस संकट का स्थायी समाधान हो सकते है।