अंतर्राष्ट्रीय संबंध
ब्रेक्ज़िट पर यूरोपीय संघ ने लगाई मुहर
- 27 Nov 2018
- 9 min read
चर्चा में क्यों?
25 नवंबर को बेल्जियम के ब्रसेल्स में हुए यूरोपीय संघ के विशेष शिखर सम्मेलन में 27 देशों के नेताओं ने ब्रिटेन के ‘ब्रेक्ज़िट’ प्रस्ताव को मंज़ूरी दे दी। अब अगले वर्ष 29 मार्च को यूरोपीय संघ से ब्रिटेन के बाहर आने की राह के लगभग सभी अवरोध दूर हो गए हैं।
क्या हुआ शिखर सम्मेलन में?
- ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे की अनुपस्थिति में यूरोपीय संघ के 27 नेताओं ने ब्रसेल्स में आयोजित यूरोपीय संघ के विशेष शिखर सम्मेलन में ब्रेक्ज़िट समझौते पर मुहर लगा दी। यह मंज़ूरी ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के बीच हुए ब्रेक्ज़िट समझौते का सबसे अहम परिणाम है।
ब्रेक्ज़िट क्या है?
आइये, सबसे पहले यह जान लेते हैं कि जिसकी आज दुनियाभर में चर्चा हो रही है, आखिर वह ब्रेक्ज़िट है क्या? दो शब्दों- Britain+Exit से मिलकर बना है Brexit, जिसका अर्थ है ब्रिटेन का बाहर निकलना। यूरोपीय संघ से बाहर निकलने या न निकलने के मुद्दे पर यूनाइटेड किंगडम में जून 2016 में जनमत संग्रह हुआ था। इसमें बहुत कम मतों के अंतर से लोगों ने यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के पक्ष में निर्णय दिया था। इसके पीछे ब्रिटेन की संप्रभुता, संस्कृति और पहचान बनाए रखने का तर्क दिया गया।
- आपको बता दें कि ग्रेट ब्रिटेन में तीन देश शामिल हैं- इंग्लैंड, वेल्स तथा स्कॉटलैंड...और जब हम बात यूनाइटेड किंगडम की करते हैं तो उत्तरी आयरलैंड भी इन तीनों के साथ शामिल हो जाता है।
मुद्दा क्या है?
ब्रिटेन में बहुत से लोग मानते हैं कि यूरोपीय संघ में शामिल होने के बाद इसका दखल ब्रिटेन में काफी बढ़ गया है। ब्रेक्ज़िट के समर्थक यह मानते हैं कि यूरोपीय संघ पहले जैसा नहीं रहा और यह ब्रिटेन वासियों के दैनिक जीवन को प्रभावित कर रहा है। दरअसल, ब्रेक्ज़िट ने ब्रिटेन में अनिश्चितता का माहौल बना दिया है। यूरोपीय संघ से बाहर आने (ब्रेक्ज़िट) के ब्रिटेन के फैसले से कई बड़े सवाल उठ खड़े हुए हैं। जैसे-
- ब्रिटेन जब अलग होगा तो क्या उसकी अर्थव्यवस्था कमज़ोर हो जाएगी?
- यूरोप के देशों से आकर ब्रिटेन में रहने वालों की नागरिकता क्या होगी?
- उन्हें ब्रिटेन में रहने की अनुमति होगी या नहीं? यूरोप में ब्रिटेन के नागरिकों को रहने की इज़ाज़त होगी या नहीं?
- क्या दोनों पक्षों के देशों के नागरिकों को बग़ैर वीज़ा के प्रवेश करने की आज़ादी होगी?
- आपसी व्यापार पहले की तरह फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के अंतर्गत होगा या नहीं?
इसके अलावा ब्रिटेन के हाई कोर्ट ने भी सरकार के सामने मुश्किलें खड़ी कर दी हैं। यूरोपीय संघ से अलग होने के पहले अब ब्रिटेन सरकार को इस मसले पर संसद में मतदान कराना होगा। हाई कोर्ट के निर्देशानुसार ब्रिटिश संसद को इस मसले पर मतदान करना होगा कि यूरोपीय संघ से अलग होने की प्रक्रिया आरंभ की जा सकती है या नहीं।
यूरोपीय संघ क्या है?
यूरोपीय संघ की शुरुआत छह सदस्य देशों के साथ 1957 में हुई थी। तब रोम की संधि के तहत ये छह देश आर्थिक भागीदारी करने के लिये इकठ्ठा हुए थे। आज यूरोपीय संघ में यूनाइटेड किंगडम सहित कुल 28 सदस्य देश हैं। यह सदस्य देशों को एकल बाज़ार (Single Market) के रूप में मान्यता देता है। यूरोपीय संघ की 23 आधिकारिक भाषाएँ हैं और इसके कानून यूरोप के सभी देशों पर लागू होते हैं।
यूरोपीय संघ में यूनाइटेड किंगडम
- यूनाइटेड किंगडम 1973 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय का सदस्य बना था।
- इसके बावजूद ब्रिटेन ने पाउंड को ही अपनी मुद्रा के रूप में अपनाया, जबकि अधिकांश यूरोपीय संघ के देशों में बतौर मुद्रा (Currency) यूरो का चलन है।
- शेंगेन सीमा मुक्त क्षेत्र (Schengen Border-free Zone) में भी ब्रिटेन शामिल नहीं हुआ, जो यूरोपीय संघ में पासपोर्ट मुक्त यात्रा की सुविधा देता है।
पहले भी हो चुका है जनमत संग्रह
जून 2016 में ब्रेक्ज़िट पर हुए जनमत संग्रह से पहले भी यूनाइटेड किंगडम में इस मुद्दे पर जनमत संग्रह हो चुका है। 1975 में यूरोपीय आर्थिक समुदाय (तब यूरोपीय संघ का यही नाम था) के साथ बने रहने के मुद्दे पर देश में विरोधी स्वर उठने पर तत्कालीन प्रधानमंत्री हैरोल्ड विल्सन ने जनमत संग्रह कराया था। इस जनमत संग्रह में 67 प्रतिशत लोगों ने इसमें बने रहने के पक्ष में राय दी थी।
- ब्रेक्ज़िट समझौते के अनुसार, अगले साल 29 मार्च को ब्रिटेन औपचारिक रूप से ईयू से अलग हो जाएगा।
- इसके बाद 21 महीने तक दोनों पक्षों के बीच Transition Period होगा यानी इस अवधि के दौरान ब्रिटेन एकल बाज़ार में बना रहेगा।
- इस अवधि में ब्रिटेन यूरोपीय साझा बाज़ार और यूरोपीय सीमा शुल्क संघ में ज़ीरो टैरिफ का लाभ ले सकेगा।
भारत पर क्या असर पड़ेगा?
- ब्रिटेन भारत को एक बड़े बाज़ार की तरह से देखता है। वर्ष 2000 से अब तक ब्रिटेन की कंपनियों ने भारत में लगभग 16 अरब डॉलर का निवेश किया है, जिसके कारण लाखों लोगों को रोज़गार मिला है।
- भारत की लगभग 800 कंपनियों ने ब्रिटेन में निवेश किया है, जिनसे बड़ी संख्या में ब्रिटेन में लोगों को रोज़गार के अवसर उपलब्ध हुए हैं।
ब्रेक्ज़िट के बाद इन पर क्या प्रभाव पड़ेगा और इनका बिज़नेस किस प्रकार चलेगा, विशेषकर उन कंपनियों का जो यूरोपीय संघ के देशों के साथ व्यापार कर रही हैं। ब्रेक्ज़िट के बाद यदि यूरो और पाउंड का अवमूल्यन होता है तो भारत के शेयरबाज़ार और मुद्रा बाज़ार पर भी इसका असर पड़ेगा।
- ब्रिटेन में भारतीय मूल के लगभग 30 लाख लोग रहते हैं, जिनके बारे में चिंतित होना भारत की बड़ी चिंताओं में से एक है।
- भारत से बड़ी संख्या में लोग हर साल ब्रिटेन जाते हैं, जिनमें पर्यटक, बिज़नेसमैन, प्रोफेशनल्स, स्टूडेंट्स तो होते ही हैं, साथ ही वहाँ रहने वाले भारतीयों के रिश्तेदार भी बड़ी संख्या में होते हैं।
लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है। विशेषज्ञ यह मानते हैं कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से अलग होने के बाद जो अस्थिरता का माहौल बनेगा उसमें भारत जैसे देशों के लिये और अधिक अवसरों की संभावना बन सकती है। ऐसे में एक बड़े बाज़ार के नाते भारत को नज़रअंदाज़ करना ब्रिटेन के लिये आसान नहीं होगा, बल्कि उसके लिये भारत से बेहतर संबंध रखना पहले से अधिक अहम होगा।