अंतर्राष्ट्रीय संबंध
इथियोपिया का नृजातीय संकट
- 17 Nov 2020
- 11 min read
प्रिलिम्स के लियेइथियोपिया और एरीट्रिया की अवस्थिति, टाइग्रे क्षेत्र, हॉर्न ऑफ अफ्रीका मेन्स के लियेइथियोपिया का नृजातीय संकट और हॉर्न ऑफ अफ्रीका पर इसका प्रभाव |
चर्चा में क्यों?
इथियोपिया की सरकार ने बीते दिनों अपने ही देश के उत्तरी टाइग्रे क्षेत्र (Tigray region) के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष की घोषणा की थी, जिसके कारण अब तक सैकड़ों लोगों की मृत्यु हो चुकी है और यह क्षेत्र अभी भी हिंसा की आग में जल रहा है।
प्रमुख बिंदु
- इथियोपिया के उत्तरी टाइग्रे क्षेत्र में शुरू हुए विद्रोह को समाप्त करने के लिये की जा रही कार्यवाही के चलते अब तक हज़ारों लोगों को इस क्षेत्र से विस्थापित किया जा चुका है।
- इथियोपिया के प्रधानमंत्री और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता अबी अहमद के मुताबिक, यह सैन्य अभियान मुख्य तौर पर इस क्षेत्र में शासन करने वाले संगठन टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) पर केंद्रित है।
- यदि इथियोपिया में चल रहे इस संघर्ष को जल्द-से-जल्द समाप्त नहीं किया जाता है तो यह गृह युद्ध का रूप ले सकता है, जिससे इथियोपिया और इसके आस-पास के क्षेत्रों को अस्थिरता और सैन्य संघर्ष की स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट के बारे में
- टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) की स्थापना वर्ष 1975 में इथियोपिया की सैन्य तानाशाही सरकार के विरुद्ध टाइग्रे क्षेत्र में रहने वाले लोगों के हितों की रक्षा करने के लिये एक सैन्य संगठन के रूप में की गई थी।
- इस संगठन ने इथियोपिया की तत्कालीन सैन्य सरकार के विरुद्ध सशस्त्र संघर्ष किया और अंततः वर्ष 1991 में यह सैन्य तानाशाही सरकार को सत्ता से हटाने में कामयाब हो गया, जिसके बाद से इस संगठन को इथियोपिया में एक नायक के रूप में देखा जाने लगा।
- वर्ष 1991 में ही TPLF के नेता मेल्स ज़ेनावी (Meles Zenawi) ने अंतरिम राष्ट्रपति के रूप में पदभार संभाला और वर्ष 1995 में वे पहली बार प्रधानमंत्री चुने गए।
- मेल्स ज़ेनावी वर्ष 2012 तक सत्ता में रहे और उन्हें इथियोपिया की नृजातीय-संघीय व्यवस्था (Ethno-Federal System) के वास्तुकार के रूप में जाना जाता है।
पृष्ठभूमि
- सैन्य तानाशाही समाप्त होने के बाद इथियोपिया में सरकार चलाने के लिये मेल्स ज़ेनावी द्वारा इथियोपिया पीपुल्स रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (EPRDF) नाम से एक गठबंधन बनाया गया था, हालाँकि समय के साथ मेल्स ज़ेनावी और उनकी सरकार पर सत्तावादी होने के आरोप भी लगे और कई क्षेत्रों में सरकार विरोधी प्रदर्शन भी हुए। मेल्स ज़ेनावी के बाद भी ये प्रदर्शन जारी रहे।
- यद्यपि इथियोपिया पीपुल्स रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (EPRDF) के गठबंधन में कई सारे नृजातीय समूह शामिल थे, किंतु इसके बावजूद टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) इस गठबंधन में एक बड़ा राजनीतिक समूह बना हुआ था।
- वर्ष 2018 में बढ़ते विरोध और राजनीतिक गतिरोध के बीच इथियोपिया पीपुल्स रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (EPRDF) ने सरकार का नेतृत्त्व करने के लिये पूर्व सैन्य खुफिया अधिकारी अबी अहमद का चयन किया।
- वैसे तो इथियोपिया पीपुल्स रिवोल्यूशनरी डेमोक्रेटिक फ्रंट (EPRDF) ने कई वर्षों तक स्थायी सरकार प्रदान की और इथियोपिया के आर्थिक विकास में भी काफी वृद्धि हुई, किंतु इस दौरान इथियोपिया की नृजातीय-संघीय व्यवस्था की आलोचना काफी तेज़ हो गई।
इथियोपिया की नृजातीय-संघीय व्यवस्था
- आँकड़ों की मानें तो टाइग्रे लोग इथियोपिया की कुल आबादी का 6 प्रतिशत हैं, जबकि ओरोमो और अम्हार नृजातीय लोगों की संख्या कुल आबादी की क्रमशः 34 प्रतिशत और 27 प्रतिशत है। इस तरह इथियोपिया में ओरोमो और अम्हार नृजातीय (Ethnicity) लोगों की संख्या सबसे अधिक है।
- हालाँकि वर्ष 2018 से पूर्व इथियोपिया की शीर्ष सत्ता की बात करें तो टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के कारण उसमें टाइग्रे लोगों की संख्या सबसे अधिक थी। यही कारण है कि प्रायः ओरोमो लोगों द्वारा सरकार पर उन्हें हाशिये पर धकेलने का आरोप लगाया जाता था और बेहतर प्रतिनिधित्त्व की मांग की जाती थी।
संघर्ष की शुरुआत
- वर्ष 2018 में जब अबी अहमद को इथियोपिया का प्रधानमंत्री बनाया गया तो उन्होंने इथियोपिया के शीर्ष प्रशासन से टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के प्रभाव को समाप्त करने के लिये कई महत्त्वपूर्ण कदम उठाए।
- अबी अहमद जो कि इथियोपिया के पहले ओरोमो नेता हैं, ने टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के सदस्यों को प्रमुख सरकारी पदों से हटा दिया और ऐसे सभी राजनीतिक कैदियों को रिहा कर दिया उन्हें टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) द्वारा कैद किया गया था।
- साथ ही उन्होंने मीडिया को स्वतंत्रता प्रदान करने का भी वादा किया।
- इसके अलावा उन्होंने एरीट्रिया के साथ भी शांति स्थापित की, जिसके संबंध टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के साथ कुछ अच्छे नहीं थे। ज्ञात हो कि एरीट्रिया, इथियोपिया के टाइग्रे क्षेत्र के साथ एक लंबी सीमा साझा करता है।
- अबी अहमद के मुताबिक, उनके द्वारा उठाए गए कदमों का उद्देश्य किसी एक समूह को नुकसान पहुँचाना नहीं है, बल्कि उनका उद्देश्य इथियोपिया में शक्ति संतुलन स्थापित करना है और पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध स्थापित करना है।
- हालाँकि कई टाइग्रे लोग और स्वयं टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) अबी अहमद के इन कदमों को शत्रुतापूर्ण दृष्टि से देखते हैं और इसी कारण नृजातीय संघर्ष देखने को मिल रहा है, जिसके कारण यह क्षेत्र काफी अशांत हो गया है।
इस संघर्ष का प्रभाव
- यदि इथियोपिया की सरकार और टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के बीच चल रहा सैन्य संघर्ष लंबे समय तक जारी रहता है तो इससे हॉर्न ऑफ अफ्रीका में इथियोपिया के पड़ोसी देशों पर भी काफी प्रभाव देखने को मिल सकता है।
- टाइग्रे क्षेत्र से अपनी निकटता के कारण इस संघर्ष का सबसे अधिक प्रभाव इथियोपिया के पड़ोसी देश पर हो सकता है।
- टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट के कई वरिष्ठ अधिकारी, जिन्होंने वर्ष 1998 और वर्ष 2000 के बीच एरीट्रियाई-इथियोपियाई युद्ध में भाग लिया था, अब एरीट्रिया के साथ समझौते से खुश नहीं हैं।
- चूँकि इथियोपिया का मिस्र और सूडान जैसे कई देशों के साथ तनाव चल रहा है, इसलिये यदि यह संघर्ष आगे बढ़ता है और इन देशों द्वारा टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के विद्रोहियों को पनाह दी जाती है तो इसके कारण इस क्षेत्र में खासतौर पर हॉर्न ऑफ अफ्रीका में अस्थिरता आ सकती है।
इथियोपिया के बारे में
- अफ्रीका महाद्वीप के उत्तर में स्थित इथियोपिया हॉर्न ऑफ अफ्रीका का एक देश है, जो कि चारों ओर से भू-सीमा से घिरा हुआ है।
- इथियोपिया हॉर्न ऑफ अफ्रीका के सभी देशों जैसे- एरीट्रिया, जिबूती और सोमालिया तथा केन्या और सूडान के साथ अपनी सीमा साझा करता है।
- पूर्वोत्तर अफ्रीका के प्रायद्वीप को हॉर्न ऑफ अफ्रीका कहा जाता है या कभी-कभी सोमालिया प्रायद्वीप कहा जाता है। यह दक्षिणी अरब प्रायद्वीप के सामने स्थित है।
- इसमें मुख्य रूप से एरीट्रिया, जिबूती, इथियोपिया और सोमालिया शामिल हैं तथा कभी-कभी सूडान और केन्या के कुछ हिस्से भी शामिल किये जाते हैं।
- इथियोपिया, अफ्रीका का सबसे पुराना स्वतंत्र देश है और जनसंख्या के मामले में यह अफ्रीका का दूसरा सबसे बड़ा देश है।
आगे की राह
- संभव है कि इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबी अहमद इस सैन्य कार्यवाही के माध्यम से टाइग्रे क्षेत्र के विद्रोही नेताओं को एक कड़ा संदेश देने की कोशिश कर रहे है, लेकिन अधिकांश विश्लेषक मानते हैं कि सैन्य अभियान के माध्यम से नृजातीय और क्षेत्रीय संघर्ष को दबाया ज़रूर जा सकता है, किंतु उसे समाप्त नहीं किया जा सकता है।
- अपने ही देश के लोगों के विरुद्ध सैन्य कार्यवाही के बजाय इथियोपिया की सरकार को वहाँ के क्षेत्रीय प्रतिनिधियों खासतौर पर टाइग्रेन पीपुल्स लिबरेशन फ्रंट (TPLF) के साथ बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिये और देश में शक्ति संतुलन स्थापित करते हुए शांति बहाल करने का प्रयास करना चाहिये।