भारतीय अर्थव्यवस्था
इथेरियम विलय
- 20 Sep 2022
- 10 min read
प्रिलिम्स के लिये:एथेरियम विलय, एथेरियम ब्लॉकचेन प्लेटफॉर्म, 'प्रूफ-ऑफ-स्टेक, विकेंद्रीकृत एप (dApps), नॉन फंजिबल टोकन (NFT), विकेंद्रीकृत वित्त (DeFi), क्रिप्टोकरेंसी, ब्लॉकचैन, प्रूफ-ऑफ वर्क (PoW)। मेन्स के लिये:क्रिप्टोकरेंसी और संबंधित मुद्दे। |
चर्चा में क्यों?
हाल ही में एथेरियम ब्लॉकचैन प्लेटफॉर्म पूरी तरह से ''प्रूफ-ऑफ वर्क' से 'प्रूफ-ऑफ-स्टेक' सर्वसम्मति तंत्र में परिवर्तित हो गया है और इस सुधार को विलय के रूप में जाना जाता है।
वास्तविक परिवर्तन
- पुरानी पद्धति:
- प्रूफ-ऑफ वर्क: एक विकेंद्रीकृत मंच के रूप में एथेरियम के पास बैंक जैसे संस्थान नहीं हैं जो अपने नेटवर्क पर होने वाले लेन-देन को मंज़ूरी देते हैं, अनुमोदन पहले प्रूफ-ऑफ वर्क (PoW) सर्वसम्मति तंत्र के तहत हो रहे थे जो अनिवार्य रूप से खनिकों (Miners) द्वारा किया जाता था।
- इसके तहत खनिक अत्याधुनिक कंप्यूटर हार्डवेयर के विशाल बुनियादी ढाँचे का उपयोग करके जटिल गणितीय पहेली को हल करने के लिये प्रतिस्पर्द्धा करेंगे और पहेली को हल करने वाले पहले व्यक्ति को सत्यापनकर्त्ता के रूप में चुना जाएगा।
- यह विधि लगभग पूरी तरह से क्रिप्टो फार्मों पर निर्भर थी, जो कंप्यूटर के बड़े पैमाने पर उपयोग कर समस्याओं को हल करेंगे।
- मुद्दे:
- उच्च ऊर्जा खपत: ये माइनिंग फार्म, ऊर्जा की खपत करते थे और वे कभी-कभी देशों की तुलना में अधिक ऊर्जा की खपत करते थे और इसलिये पर्यावरणीय स्थिरता के मामले में एक बड़ी चिंता थी।
- क्रिप्टो की कुल वार्षिक ऊर्जा खपत फिनलैंड के बराबर है, जबकि इसका कार्बन फुट प्रिंट स्विट्ज़रलैंड के बराबर है।
- कुछ समय के लिये यूरोपीय देशों ने क्रिप्टो माइनिंग पर प्रतिबंध लगाने पर भी विचार किया, जबकि चीन ने वास्तव में क्रिप्टो खनिकों पर एक राष्ट्रव्यापी कार्रवाई की जिससे उन्हें विदेशों से भागना पड़ा।
- प्रूफ-ऑफ वर्क: एक विकेंद्रीकृत मंच के रूप में एथेरियम के पास बैंक जैसे संस्थान नहीं हैं जो अपने नेटवर्क पर होने वाले लेन-देन को मंज़ूरी देते हैं, अनुमोदन पहले प्रूफ-ऑफ वर्क (PoW) सर्वसम्मति तंत्र के तहत हो रहे थे जो अनिवार्य रूप से खनिकों (Miners) द्वारा किया जाता था।
- नई विधि:
- हिस्सेदारी का प्रमाण: यह उन क्रिप्टो खनिकों और विशाल माइनिंग फार्म की आवश्यकता को अलग कर देगा, जिन्होंने पहले ब्लॉकचेन को 'प्रूफ-ऑफ-वर्क' (PoW) नामक एक तंत्र के तहत संचालित किया था।
- इसके बजाय यह अब 'प्रूफ-ऑफ-स्टेक' (PoS) तंत्र में स्थानांतरित हो गया है जो लेन-देन की मंज़ूरी देने के लिये यादृच्छिक रूप से 'सत्यापनकर्त्ता' प्रदान करता है।
- सत्यापनकर्त्ता वे लोग होते हैं जो पहले ब्लॉक से आखिरी तक लिंकेज की लगातार गणना करके ब्लॉकचैन की अखंडता को बनाए रखने के लिये कंप्यूटर को स्वेच्छा से रखते हैं।
- इसके बजाय यह अब 'प्रूफ-ऑफ-स्टेक' (PoS) तंत्र में स्थानांतरित हो गया है जो लेन-देन की मंज़ूरी देने के लिये यादृच्छिक रूप से 'सत्यापनकर्त्ता' प्रदान करता है।
- लाभ:
- यह इथेरियम नेटवर्क पर खनिकों की आवश्यकता को पूरी तरह से समाप्त कर देगा।
- यह इथेरियम की ऊर्जा खपत को लगभग 99.95% कम कर देगा।
- यह इथेरियम नेटवर्क पर लेन-देन को बेहद सुरक्षित बना देगा।
- हिस्सेदारी का प्रमाण: यह उन क्रिप्टो खनिकों और विशाल माइनिंग फार्म की आवश्यकता को अलग कर देगा, जिन्होंने पहले ब्लॉकचेन को 'प्रूफ-ऑफ-वर्क' (PoW) नामक एक तंत्र के तहत संचालित किया था।
इथेरियम:
- इथेरियम डेवलपर्स द्वारा विकेंद्रीकृत एप (DAP), स्मार्ट कॉन्ट्रैक्ट और यहाँ तक कि क्रिप्टो टोकन बनाने के लिये सबसे अधिक उपयोग किये जाने वाले प्लेटफार्मों में से एक है। प्लेटफॉर्म की मुद्रा, ईथर बाज़ार पूंजीकरण के मामले में बिटकॉइन के बाद दूसरे स्थान पर है।
- क्रिप्टोकरेंसी के कुछ सबसे लोकप्रिय एप्लीकेशन जैसे कि अपूरणीय टोकन/नॉन-फंजिबल टोकन (NFT) और विकेंद्रीकृत वित्त (DFI) इथेरियम नेटवर्क पर आधारित हैं।
क्रिप्टोकरेंसी:
- क्रिप्टोकरेंसी, जिसे कभी-कभी क्रिप्टो-मुद्रा या क्रिप्टो कहा जाता है, मुद्रा का एक रूप है जो डिजिटल या वस्तुतः मौजूद होती है और यह लेन-देन को सुरक्षित करने के लिये क्रिप्टोग्राफी का उपयोग करती है।
- क्रिप्टोकरेंसी में मुद्रा जारी करने या विनियमित करने वाला कोई केंद्रीय प्राधिकरण नहीं है। यह लेन-देन को रिकॉर्ड करने और नई इकाइयों को जारी करने के लिये विकेंद्रीकृत प्रणाली का उपयोग करती है।
- यह एक विकेंद्रीकृत पीयर-टू-पीयर नेटवर्क द्वारा संचालित होता है जिसे ब्लॉकचेन कहा जाता है।
ब्लॉकचेन तकनीक:
- ब्लॉकचेन तकनीक सुनिश्चित करती है कि क्रिप्टोकरेंसी में सभी लेन-देन एक सार्वजनिक वित्तीय लेन-देन डेटाबेस में दर्ज किये जाते हैं।
- बिटकॉइन, इथेरियम और रिपल क्रिप्टोकरेंसी के कुछ उल्लेखनीय उदाहरण हैं।
- ब्लॉकचेन का नाम डिजिटल डेटाबेस या लेजर से लिया गया है जहाँ जानकारी "ब्लॉक" के रूप में संग्रहीत की जाती है जो "चेन" बनाने के लिये एक साथ मिलती हैं।
- यह स्पष्ट रिकॉर्ड-कीपिंग, रियल-टाइम लेन-देन पारदर्शिता और ऑडिटेबिलिटी का एक विलक्षण संयोजन प्रदान करता है।
- ब्लॉकचेन की एक सटीक प्रति कई कंप्यूटरों या उपयोगकर्त्ता ओं में से प्रत्येक के लिये उपलब्ध है जो एक नेटवर्क में एक साथ जुड़े हुए हैं।
- नए ब्लॉक के माध्यम से जोड़ी या बदली गई किसी भी नई जानकारी का कुल उपयोगकर्त्ता ओं के आधे से अधिक द्वारा जँांच और अनुमोदन किया जाना है।
UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्षों के प्रश्न (PYQs):प्रिलिम्स के लिये:प्रश्न:“ब्लॉकचेन टेक्नोलॉजी” के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिये: (वर्ष 2020)
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं? (a) केवल 1 उत्तर: (d) व्याख्या:
अतः विकल्प (d) सही है। मेन्स:प्रश्न. क्रिप्टोकरेंसी क्या है? यह वैश्विक समाज को कैसे प्रभावित करता है? क्या यह भारतीय समाज को भी प्रभावित कर रहा है? (2021) |