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विश्व इतिहास

विश्वविद्यालयों में महिला पीठों की स्थापना

  • 25 Jan 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये:

पीठों के लिये प्रस्तावित नाम

मेन्स के लिये:

सरकार द्वारा महिला सशक्तीकरण हेतु उठाए गए कदम

संदर्भ

24 जनवरी, 2020 को राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (Ministry of Women and Child Development) द्वारा देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों में विभिन्न क्षेत्रों से जुड़ी 10 पीठों के गठन की घोषणा की गई। 

उद्देश्य:

इसका उद्देश्य अनुसंधान गतिविधियों में महिलाओं को प्रोत्साहित करना है।

प्रमुख बिंदु:

  • इस पहल को ‘विश्वविद्यालयों में पीठों की स्थापना’ का नाम दिया गया है।
  • इसके तहत प्रशासन, कला, विज्ञान और सामाजिक सुधार के क्षेत्रों में प्रसिद्ध महिलाओं के नाम पर पीठों की स्थापना की जाएगी।
  • इसके अलावा इस पहल का उद्देश्य देश की बालिकाओं और महिलाओं को उच्च शिक्षा की प्राप्ति के लिये  प्रेरित करना है।
  • इसके लिये विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (University Grants Commission- UGC) वित्तीय  सहायता प्रदान करेगा।
  • इसके तहत प्रति पीठ के लिये प्रतिवर्ष 50 लाख रुपए का वित्तीय प्रस्ताव रखा गया है।
  • UGC के दिशा-निर्देशों के अनुसार, आरंभ में 5 वर्षों के लिये पीठों की स्थापना की जाएगी।

UGC द्वारा प्रस्तावित और मंत्रालय द्वारा स्वीकृत पीठों का विवरण इस प्रकार है:

क्र.सं. विषय पीठ का प्रस्तावित नाम
1. प्रशासन देवी अहिल्याबाई होल्कर (अहिल्याबाई को एक दार्शनिक रानी के रूप में जाना जाता है।)
2. साहित्य महादेवी वर्मा (हिंदी भाषा की प्रख्यात कवयित्री)
3. स्वतंत्रता सेनानी (पूर्वोत्तर) रानी गैडिनल्यु (स्वतंत्रता सेनानी)
4. औषधि एवं स्वास्थ्य आनंदीबाई गोपालराव जोशी (पहली भारतीय महिला चिकित्सक)
5. मंचकला एम. एस. सुब्बुलक्ष्मी ( भारत की पहली गायिका जिन्हें सर्वोच्च नागरिक अलंकरण भारत रत्न से सम्मानित किया गया)
6. वन/वन्यजीव संरक्षण अमृता देवी बेनीवाल (चिपको आंदोलन से संबंधित) 
7. गणित लीलावती (प्राचीन काल की गणितज्ञ)
8. विज्ञान कमला सोहोनी (विज्ञान के क्षेत्र में पीएचडी करने वाली पहली भारतीय महिला)
9. कविता एवं रहस्यवाद लल्ल-दय्द (लल्लेश्वरी, 14वीं सदी की प्रसिद्ध कवयित्री)
10. शैक्षिक सुधार हंसा मेहता (भारत में एक सह-शिक्षा विश्वविद्यालय की कुलपति नियुक्त होने वाली पहली महिला)

 कार्य:

  • पीठों का मुख्य कार्य अकादमिक गतिविधियों में अनुसंधान को शामिल करना तथा जन-नीति बनाने में विश्वविद्यालय/अकादमिक संस्थानों की भूमिका को मज़बूत करना।
  • उच्च शिक्षा में अध्यापकों के लिये अल्पकालीन क्षमता निर्माण कार्यक्रम (Short-term Capacity Building Programme) तैयार करना और इसको क्रियान्वित करना।

मूल्यांकन: 

  • विश्वविद्यालय वार्षिक स्तर पर पीठ की प्रगति की समीक्षा करेंगे और 5 वर्षों के बाद UGC को पीठ की गतिविधियों तथा परिणाम के बारे में अंतिम रिपोर्ट सौंपेंगे।
  • इसके अतिरिक्त UGC किसी भी स्तर पर पीठ को कायम रखने के विषय में समीक्षा कर सकता है।

स्रोत: PIB

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