भूगोल
विषुवतीय हिंद महासागर दोलन (Oscillation)
- 11 Sep 2019
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चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारतीय विज्ञान संस्थान बेंगलूरु ने विषुवतीय हिंद महासागर दोलन (Equatorial Indian Ocean Monsoon Oscillation- EQUINOO) और भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून पर इसके प्रभावों के बारे में एक अध्ययन जारी किया है।
प्रमुख बिंदु:
- विषुवतीय हिंद महासागर दोलन (EQUINOO) का सकारात्मक होना भारतीय ग्रीष्मकालीन मानसून के अनुकूल माना जाता है। वर्ष 2019 के ग्रीष्मकालीन मानसून के देरी से आने के बाद भी प्रभावशाली होने में EQUINOO की सकारात्मक भूमिका रही है।
- EQUINOO के दौरान पश्चिमी विषुवतीय हिंद महासागर (Western Equatorial Indian Ocean- WEIO) में बादलों के निर्माण और वर्षा पर सकारात्मक प्रभाव तथा सुमात्रा के पश्चिम में स्थित पूर्वी विषुवतीय हिंद महासागर (Eastern Equatorial Indian Ocean- EEIO) में नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- पश्चिमी विषुवतीय हिंद महासागर में तापमान 27.5 डिग्री सेल्सियस से ऊपर होने पर यहाँ सकारात्मक EQUINOO होता है और ठीक इसी समय पूर्वी विषुवतीय हिंद महासागर में मानसून पर विपरीत प्रभाव पड़ता है।
- पश्चिमी विषुवतीय हिंद महासागर में EQUINOO के सक्रिय होने के कारण अफ्रीकी तट के पूर्वी भाग और भारत में अच्छी वर्षा होती है।
भारत के मानसून को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक:
- एल नीनो और ला नीना: ये प्रशांत महासागर के पेरू तट पर होने वाली परिघटनाएँ है । एल नीनो के वर्षों के दौरान समुद्री सतह के तापमान में बढ़ोतरी होती है और ला नीना के वर्षों में समुद्री सतह का तापमान कम हो जाता है। सामान्यतः एल नीनो के वर्षों में भारत में मानसून कमज़ोर जबकि ला नीना के वर्षों में मानसून मज़बूत होता है।
- हिंद महासागर द्विध्रुव: हिंद महासागर द्विध्रुव के दौरान हिंद महासागर का पश्चिमी भाग पूर्वी भाग की अपेक्षा ज़्यादा गर्म या ठंडा होता रहता है। पश्चिमी हिंद महासागर के गर्म होने पर भारत के मानसून पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जबकि ठंडा होने पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
- मेडेन जुलियन दोलन (OSCILLATION): इसकी वजह से मानसून की प्रबलता और अवधि दोनों प्रभावित होती हैं। इसके प्रभावस्वरूप महासागरीय बेसिनों में उष्ण कटिबंधीय चक्रवातों की संख्या और तीव्रता भी प्रभावित होती है, जिसके परिणामस्वरूप जेट स्ट्रीम में भी परिवर्तन आता है। यह भारतीय मानसून के संदर्भ में एल नीनो और ला नीना की तीव्रता और गति के विकास में भी योगदान देता है।
- चक्रवात निर्माण: चक्रवातों के केंद्र में अति निम्न दाब की स्थिति पाई जाती है जिसकी वजह से इसके आसपास की पवनें तीव्र गति से इसके केंद्र की ओर प्रवाहित होती हैं। जब इस तरह की परिस्थितियाँ सतह के नज़दीक विकसित होती हैं तो मानसून को सकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। अरब सागर में बनने वाले चक्रवात, बंगाल की खाड़ी के चक्रवातों से अधिक प्रभावी होते हैं क्योंकि भारतीय मानसून का प्रवेश प्रायद्वीपीय क्षेत्रों में अरब सागर की ओर होता है।
- जेट स्ट्रीम: जेट स्ट्रीम पृथ्वी के ऊपर तीव्र गति से चलने वाली हवाएँ हैं, ये भारतीय मानसून को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करती हैं।