कर्मचारी भविष्‍य निधि संगठन के महत्त्वपूर्ण निर्णय | 25 Nov 2017

चर्चा में क्यों?

हाल ही में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (Employees’ Provident Fund Organisation - EPFO) की केंद्रीय बोर्ड की 219वीं बैठक में कुछ महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर निर्णय लिये गए।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • केंद्रीय बोर्ड द्वारा 20 मई से 30 सितम्‍बर, 2017 की अवधि के दौरान हुई क्षति के संदर्भ में पात्रहीन प्रतिष्‍ठानों के संबंध में 10 निवेदनों पर विचार किया गया, जिन्‍हें ई.पी.एफ.ओ. द्वारा पहले ही रद्द कर‍दिया गया था।
  • विदित हो कि केंद्रीय बोर्ड द्वारा अगस्‍त 2015 से इक्विटी एक्‍सचेंज-ट्रेडेड फंड (Equity Exchange-Traded Funds - ETFs) में निवेश शुरू किया गया था। इसी इक्विटी निवेश के मूल्‍यांकन और हिसाब-किताब के लिये आई.आई.एम. बेंगलूरू के परामर्श से एक लेखांकन नीति तैयार की गई थी।
  • लेखांकन नीति में भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (सीएजी) की टिप्पणियों को भी शामिल किया गया। इन अभी टिप्पणियों एवं सुझावों को केंद्रीय बोर्ड द्वारा स्‍वीकार कर लिया गया है।
  • यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि ई.पी.एफ.ओ. की मौजूदा विकेन्‍द्रीकृत प्रणाली में (हितधारकों को भुगतान के संबंध में) जहाँ एक ओर लेन-देन की लागत काफी अधिक आती है, वहीं दूसरी ओर असफल लेन-देन के मामले में दोबारा निधि भेजने में भी काफी विलंब होता है। इसमें ‘आधार’ के स्‍तर पर भुगतान की सुविधा नहीं है।
  • यही कारण है कि ई.पी.एफ.ओ. द्वारा भारतीय राष्‍ट्रीय भुगतान निगम (National Payments Corporation of India - NPCI) के रूप में एक केन्‍द्रीयकृत भुगतान प्रणाली (Centralised Payment System) को अपनाने का प्रस्‍ताव पेश किया गया।

प्रस्‍तावित भुगतान प्रणाली के लाभ इस प्रकार हैं :-

► एन.पी.सी.आई. के ज़रिये लाभार्थियों को उसी दिन (भुगतान के ही दिन) धनराशि का अंतरण।
► कार्यालय टी+0 (T+0) आधार पर लेन-देन की स्थिति का समायोजन कर सकता है। असफल लेन-देन के मामले में लाभार्थियों के खातों में निधि को जल्‍द दोबारा भेजा जा सकता है।
► ‘आधार’ के स्‍तर पर धनराशि के अंतरण की सुविधा उपलब्‍ध कराई जाएगी।
►बैंक शुल्‍क के रूप में लेन-देन का खर्च भी कम होगा।

  • इसके अतिरिक्त केंद्रीय बोर्ड द्वारा हितधारकों को बेहतर सुविधाएँ प्रदान करने के लिये ई.पी.एफ.ओ. के तहत सूचना प्रौद्योगिकी की आवश्यकता एवं उपयोगिता के संदर्भ में भी विचार किया गया। इसके अंतर्गत निम्नलिखित मुद्दों पर भी प्रकाश डाला गया –
  • एकीकृत पोर्टल पर सभी नागरिकों के लिये ऑनलाइन ‘आधार’ प्रमाणित यू.ए.एन. आवंटन: 

► रिटर्न जमा करने और देयता संबंधी ब्यौरे के संबंध में सार्वभौमिक खाता संख्‍या (Universal Account Number - UAN) को अनिवार्य बना दिया गया है। हालाँकि, संस्थानों को कर्मचारियों के ‘आधार’ को अन्य विवरणों से संबद्ध करने में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है।
► वस्तुतः इस कठिनाई को दूर करने के लिये ही यह सुविधा दे दी गई है कि कोई भी नागरिक, मौजूदा/भावी कर्मचारी अपने ‘आधार’ की सहायता से यूएएन प्राप्‍त कर सकता है  साथ ही उसे के.वाई.सी. विवरण के साथ भी जोड़ सकता है।
► इस प्रकार की पंजीकरण सुविधा को एकीकृत पोर्टल (Unified Portal) पर उपलब्‍ध कराया गया है। यह एक ऑनलाइन सुविधा है, इसलिये इसके अंतर्गत किसी प्रकार का कोई दस्‍तावेज़ जमा करने की आवश्‍यकता नहीं है।

  • नाम, जन्‍म-तिथि और लिंग विवरण में सुधार हेतु ई.पी.एफ. सब्‍सक्राइबरों को ऑनलाइन सुविधा प्रदान करना : 

► डिजिटल भारत के संबंध में सरकार के फैसले के अनुरूप एक अन्य सुविधा विकसित की गई है, जहाँ कोई भी सदस्‍य नाम, जन्‍म-तिथि और लिंग विवरण में सुधार के लिये अपने नियोक्‍ता को ऑनलाइन निवेदन कर सकता है। इस सुविधा को भी एकीकृत पोर्टल पर उपलब्‍ध कराया गया है।

पेंशनरों द्वारा जीवित प्रमाण-पत्रको आसानी से भरने के लिए नई व्यवस्था

  • कर्मचारी पेंशन योजना, 1995 में निहित प्रावधानों के अनुसार कर्मचारियों को प्रत्येक वर्ष नवंबर माह में जीवन प्रमाण-पत्र जमा करना होता है।
  • वर्ष 2016 से पेंशनरों के लिये व्यक्तिगत रूप से पहचान प्रमाण के सत्यापन के लिये जीवित प्रमाण-पत्र को डिजिटल जमा करने की सुविधा उपलब्ध कराई गई है। इस संबंध में संगठन द्वारा निम्नलिखित महत्त्वपूर्ण निर्णय लिये गए हैं –

► जिन पेंशनरों ने गत वर्ष जीवित प्रमाण-पत्र डिजिटली रूप में जमा किया है उन्हें चालू वर्ष में इसे जमा करना आवश्यक नहीं है।
► यदि उन्हें इसे जमा करने में किसी परेशानी का सामना करना पड़ता है तो वो भरा हुआ जीवित प्रमाण-पत्र फोर्म उस बैंक में जमा कर सकते हैं जहाँ से वे पेंशन प्राप्त कर रहे है अथवा अपनी सुविधानुसार डिजिटल रूप में भी जमा करा सकते हैं।
► जिन पेंशनरों ने डिजिटल जीवित प्रमाण-पत्र कभी नहीं भरा है, उन्हें इसे नवंबर माह में जमा करना होगा।
► डिजिटल जीवित प्रमाण-पत्र जमा करने की यह सुविधा ई.पी.एफ.ओ., पेंशन संवितरित बैंक और सार्वजनिक सेवा केंद्र के सभी कार्यालयों में उपलब्ध है। डिजिटल जीवित प्रमाण-पत्र की सुविधा को ई.पी.एफ.ओ. की उमंग (UMANG) एप पर उपलब्ध कराया गया है।
► जीवित प्रमाण-पत्र को उन पेंनशरों से स्वीकार किया जा सकता है जिनके पास इसे डिजिटल जमा न करने का यथार्थ कारण मौजूद है। स्पष्ट रूप से पेंशनरों को जीवित प्रमाण-पत्र जमा करते समय उक्त कारण को स्पष्ट करना आवश्यक होगा।

उमंग एप

  • हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक नया मोबाइल एप उमंग (यूनीफाइड मोबाइल एप्लीकेशन फॉर न्यू-एज़ गवर्नेंस) लॉन्च किया गया है।
  • इस एप की सहायता से सभी बड़ी सरकारी सेवाओं को एक प्लेटफॉर्म पर एक्सेस करने में आसानी होगी। वर्तमान में इस कार्य के लिये वेब, एस.एम.एस. एवं आई.वी.आर. जैसी व्यवस्थाओं का प्रयोग किया जा रहा है।
  • इस एप में आधार, डिजीलॉकर, भारत बिल पेमेंट सिस्टम (BBPS) जैसी बहुत सी महत्त्वपूर्ण सुविधाएँ भी शामिल की गई हैं।
  • इतना ही नहीं उमंग एप को कर का भुगतान करने, एल.पी.जी. सिलेंडर की बुकिंग करने तथा पी.एफ. एकाउंट इत्यादि डिजिटल सुविधाओं के संदर्भ में इस्तेमाल किया जा सकता है।

वर्तमान स्थिति क्या है?

  • स्पष्ट रूप से हितधारकों को बेहतर सुविधा प्रदान करने तथा इस समस्त प्रक्रिया में अधिक से अधिक पारदर्शिता लाने के लिये ई.पी.एफ.ओ. द्वारा ई-शासन प्रणाली को दृढ़ करने पर अधिक बल दिया जा रहा है।
  • संभवतः इसी बात को मद्देनज़र रखते हुए ई.पी.एफ.ओ. द्वारा कई ई-शासन पहलों की शुरुआत की गई है। इन पहलों में इलेक्‍ट्रॉनिक चालान एवं रिटर्न, सदस्‍य ई-पासबुक, राष्‍ट्रीय इलेक्‍ट्रॉनिक निधि अंतरण के ज़रिये भुगतान, प्रतिष्‍ठानों के लिये ऑनलाइन पंजीकरण, मोबाइल गवर्नेंस, दावों की ऑनलाइन रसीद, खातों का स्‍वमेव अंतरण इत्‍यादि को शामिल किया गया हैं।