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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

सम्पूर्ण असम ‘अशांत’ क्षेत्र घोषित

  • 08 May 2017
  • 4 min read

 समाचारों में क्यों?

  • उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार अफस्पा (AFSPA) अधिनियम के तहत सम्पूर्ण असम राज्य को तीन माह के लिये अशांत क्षेत्र घोषित कर चुकी है।इसका कारण वहाँ उल्फा(ULFA), एनडीएफबी अथवा अन्य विद्रोही समूहों द्वारा की जाने वाली विभिन्न हिंसक गतिविधियाँ हैं।
  • केंद्र सरकार के अनुसार, मेघालय के सीमावर्ती क्षेत्रों को छोड़कर सम्पूर्ण राज्य को तीन माह के लिये अफस्पा के तहत अशांत क्षेत्र घोषित किया जा चुका है।ध्यातव्य है कि वर्ष 2016 में असम में 75 हिंसक घटनाएँ हुई थीं जिनमें 33 लोग मारे गए थे।

अफस्पा क्या है?

  • सरकार द्वारा घोषित किये गए अशांत क्षेत्रों में शांति व्यवस्था बहाल करने के उद्देश्य से सशस्त्र बल(विशेष शक्ति) अधिनियम (AFSPA) को वर्ष 1958 में लागू किया गया था।
  • हालाँकि, इस अधिनियम का मानवाधिकार समूहों द्वारा कई बार विरोध किया जा चुका है  क्योंकि यह संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में सशत्र बलों को व्यापक शक्तियाँ और प्रतिरक्षा प्रदान करता है।
  • सरकार(केंद्र अथवा राज्य सरकार) विभिन्न धर्मों, नस्ल, भाषा क्षेत्रीय समूह, जाति और समुदायों के मध्य होने वाले विवादों के आधार पर ही किसी क्षेत्र को अशांत घोषित करती है।

किसी क्षेत्र को आधिकारिक रूप से अशांत घोषित कैसे किया जाता है?

  • अफस्पा अधिनियम की धारा 3 राज्य तथा संघ शासित क्षेत्रों के राज्यपालों को भारत के राजपत्र पर एक आधिकारिक अधिसूचना जारी करने की शक्ति प्रदान करती है जिसके पश्चात केंद्र को असैन्य क्षेत्रों में सशस्त्र बलों को भेजने का अधिकार मिल जाता है।
  • परन्तु यह अभी भी अस्पष्ट है कि क्या राज्यपाल के पास केंद्र को सेना भेजने का संकेत देने की शक्ति है अथवा केंद्र स्वयं ही सशस्त्र बलों को भेजता है।
  • अशांत क्षेत्र(विशेष न्यायालय)अधिनियम 1976 के अनुसार, एक बार अशांत घोषित होने पर क्षेत्र में न्यूनतम तीन माह के लिये यथास्थिति बनाए रखनी होगी।

क्या है राज्य सरकारों की भूमिका?

  • राज्य सरकारें यह सुझाव दे सकती हैं कि इस अधिनियम को लागू किया जाना चाहिये अथवा नहीं।परन्तु इस अधिनियम की धारा 3 के तहत उनके सुझाव को संज्ञान में लेने अथवा न लेने की शक्ति राज्यपाल अथवा केंद्र के पास है।
  • वास्तव में इसे वर्ष 1958 में एक अध्यादेश के माध्यम से लाया गया था तथा तीन माह के भीतर ही इसे निरस्त कर एक अधिनियम के रूप में पारित कर दिया गया।विदित हो कि उस समय इसे केवल असम और मणिपुर के संदर्भ में ही बनाया गया था क्योंकि इन राज्यों में नागा उग्रवादियों द्वारा विद्रोह किया गया था।
  • परन्तु वर्ष 1971 में उत्तर-पूर्वी राज्यों का पुनर्गठन होने के पश्चात नए राज्यों जैसे मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, मिज़ोरम और अरुणाचल प्रदेश के उदय से अफस्पा अधिमियम में संशोधन की आवश्यकता महसूस हुई ताकि इसे प्रत्येक राज्य पर लागू किया जा सके।
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