लखनऊ शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 23 दिसंबर से शुरू :   अभी कॉल करें
ध्यान दें:



डेली अपडेट्स

सामाजिक न्याय

आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयाँ

  • 11 Feb 2020
  • 11 min read

प्रीलिम्स के लिये:

आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाई, PEMSR ACT 2013, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग

मेन्स के लिये:

मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित मुद्दे, मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने की दिशा में उठाए गए कदम

चर्चा में क्यों?

हाल ही में महाराष्ट्र सरकार ने राज्य के सभी नगर निकायों (Civic Bodies) को मैनहोल (Manhole) और सीवर की सफाई करने वाले स्वच्छता कर्मचारियों हेतु सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करने के लिये आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाईयाँ (Emergency Response Sanitary Units- ERSU) स्थापित करने का निर्देश दिया है।

महत्त्वपूर्ण बिंदु

  • महाराष्ट्र सरकार ने कई मामलों में श्रमिकों के दम घुटने, खतरनाक गैसों के कारण साँस लेने में समस्या या मृत्यु की सूचना के बाद यह महत्त्वपूर्ण कदम उठाया है।
  • इससे पहले भी हाथ से मैला ढ़ोने की प्रथा को रोकने के लिये समय-समय पर विभिन्न संस्थाओं द्वारा प्रयास किये गए एवं विभिन्न दिशा-निर्देश जारी किये गए हैं।

क्या है मैनुअल स्कैवेंजिंग?

  • किसी व्यक्ति द्वारा स्वयं के हाथों से मानवीय अपशिष्टों (Human Excreta) की सफाई करने या सर पर ढोने की प्रथा को हाथ से मैला ढोने की प्रथा या मैनुअल स्कैवेंजिंग (Manual Scavenging) कहते हैं।
  • मैनुअल स्कैवेंजिंग की यह प्रथा प्राचीन काल से चली आ रही भारत की जाति व्यवस्था से संबंधित है, जिसमें यह माना जाता है कि यह तथाकथित निचली जातियों का कार्य है।

आपातकालीन प्रतिक्रिया स्वच्छता इकाइयाँ (ERSU)

  • ERSU की स्थापना संबंधी निर्देश में राज्य सरकार ने संबंधित निकाय के नगर आयुक्त को उत्तरदायी स्वच्छता प्राधिकरण (Responsible Sanitation Authority- RSA) की ज़िम्मेदारी सौंपी है।
  • ERSU का नेतृत्व एक वरिष्ठ नागरिक अधिकारी द्वारा किया जाएगा और ERSU सलाहकार बोर्ड में भी अन्य नागरिक अधिकारी होंगे जो सफाई उद्देश्यों के लिये मैनहोल में प्रवेश करने वाले श्रमिकों हेतु मानक संचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedure- SoP) तय करेंगे।
  • राज्य सरकार द्वारा जारी निर्देश के अनुसार, नागरिक निकाय को ERSU के लिये एक समर्पित टोल-फ्री नंबर भी शुरू करना होगा।
  • यह इकाई स्वच्छता कर्मचारियों को प्रशिक्षण प्रदान करेगी तथा केवल ERSU द्वारा प्रशिक्षित एवं प्रमाणित श्रमिक ही सीवर की सफाई करने के लिये पात्र होंगे। हालाँकि इस तरह के काम को करने के लिये मशीनों के उपयोग करने को प्राथमिकता दी जाएगी।
  • यदि किसी कर्मचारी की सीवर की सफाई करते समय मृत्यु हो जाती है तो नागरिक निकाय उस घटना की जाँच के जाएगी और पुलिस शिकायत दर्ज की जाएगी।

PEMSR ACT, 2013

  • मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोज़गार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम (The Prohibition of Employment as Manual Scavengers and their Rehabilitation Act) वर्ष 2013 से प्रभाव में आया।
  • यह कानून सुरक्षा उपकरण और इंसेंटरी शौचालय के निर्माण के बिना सीवर एवं सेप्टिक टैंकों की हाथ से सफाई करने वालों को नियोजित करने पर रोक लगाता है।
  • इस कानून का उल्लंघन करने और बिना सुरक्षा उपकरण के सीवर और सेप्टिक टैंक साफ करवाने वालों को दो साल तक की कैद या दो लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।
  • दोबारा अपराध की स्थिति में अपराधियों को पाँच साल तक की कैद या 5 लाख रुपए तक का जुर्माना या दोनों हो सकता है।

इस संदर्भ में सर्वोच्च न्यायालय के दिशा-निर्देश

  • वर्ष 2014 में मैनुअल स्कैवेंजिंग से संबंधित एक मामले की सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने कहा था कि यदि मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा को समाप्त करना है और साथ ही आने वाली पीढ़ियों को इस अमानवीय प्रथा से बचाना है तो सीवर से होने वाली मौतों को कम करने के साथ-साथ हाथ से मैला ढोने वालों के पुनर्वास के लिये बेहतर प्रबंध करना होगा।
  • न्यायालय के अनुसार, आपात स्थितियों में भी सुरक्षा उपकरणों के बिना एक सफाई कर्मचारी को सीवर लाइनों में प्रवेश करने को अपराध माना जाना चाहिए।
  • न्यायालय के अनुसार, यदि असुरक्षित परिस्थितियों के कारण किसी सफाई कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो मृतक के परिवार को 10 लाख रुपए का मुआवज़ा दिया जाना चाहिये।
  • न्यायालय ने अधिकारियों को वर्ष 1993 से ही मैनहोल और सेप्टिक टैंक की सफाई के दौरान मरने वाले स्वच्छता कर्मचारियों के परिवार के सदस्यों की पहचान करने तथा उन्हें 10 लाख रुपए का मुआवजा देने का भी निर्देश दिया था।

इस संदर्भ में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के निर्देश

मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून के प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिये आयोग ने विभिन्न निर्देश जारी किये हैं:

  • आयोग के अनुसार, हाथ से सीवर को साफ करते समय श्रमिकों को सुरक्षा उपकरण और ऑक्सीजन मास्क के साथ पूरी तरह से सुसज्जित होना चाहिये।
  • एक कर्मचारी को उचित उपकरण के बिना हाथ से सीवर को साफ करने के लिये भेजने हेतु ज़िम्मेदार अधिकारियों या ठेकेदारों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज़ की जानी चाहिये।
  • आयोग ने उच्चतम न्यायालय के निर्देशों के अनुसार, सभी नगर निगमों के लिये प्रति मज़दूर 10 लाख रुपए की बीमा पॉलिसी प्राप्त करना अनिवार्य कर दिया है। ध्यातव्य है कि पॉलिसी प्रीमियम का भुगतान नियोक्ताओं या नागरिक निकायों को करना होगा।

इस संदर्भ में राज्य सरकार के प्रयास

  • सर्वोच्च न्यायालय के आदेश और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के निर्देशों को ध्यान में रखते हुए राज्य के शहरी विकास विभाग ने नागरिक निकायों को निर्देश दिया है कि मैनुअल स्कैवेंजिंग पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून को प्रभावी ढंग से लागू किया जाना चाहिये और हाथ से मैला ढ़ोने की प्रथा में शामिल लोगों का पुनर्वास सुनिश्चित किया जाना चाहिये।
  • साथ ही राज्य सरकार ने नागरिक निकायों को निर्देश दिया है कि वे सेप्टिक टैंक या मैनहोल को साफ करने वाले श्रमिकों की मृत्यु को रोकने के लिये सभी संभव कदम उठाए जाने चाहिये।

मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने के लिये किये जा रहे अन्य प्रयास

  • सभी नागरिक निकायों को अपने-अपने क्षेत्राधिकार में इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने के लिये कार्यशाला आयोजित करने के लिये निर्देशित किया गया है। ध्यातव्य है कि ये कार्यशालाएँ सीवर और सेप्टिक टैंक की सफाई के लिये नवीनतम तकनीक पर ध्यान केंद्रित करने पर जोर देंगी तथा इनका मुख्य उद्देश्य मशीनों के द्वारा सेप्टिक टैंक या मैनहोल को साफ करने का एक तरीका खोजना है।
  • इन कार्यशालाओं में स्वच्छता कर्मचारियों से संबंधित कानूनों, ERSU की स्थापना और उनकी भूमिकाओं, नवीनतम उपकरणों, मशीनों एवं सुरक्षात्मक उपकरणों से संबंधित जानकारियाँ भी प्रदान की जाएँगी।
  • इन कार्यशालाओं में स्वच्छता कार्यकर्त्ता, गैर सरकारी संगठन, सामाजिक संगठन, हाउसिंग सोसायटी के सदस्य और सरकारी अधिकारी भाग लेंगे।

आगे की राह

  • ध्यातव्य है कि सरकार एवं अन्य संस्थाओं द्वारा मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने की दिशा में अनेक प्रयास किये गए हैं किंतु सबसे बड़ी समस्या उनके क्रियान्वयन की है इसलिये मैनुअल स्कैवेंजिंग को रोकने की दिशा में किये गए प्रयासों के सही क्रियान्वयन की आवश्यकता है।
  • मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा पुरातन काल से चली आ रही है और इसमें जातीय विभेद प्रमुख तत्त्व है। अतः सामाजिक सुधारों एवं शिक्षा के माध्यम इन कुरीतियों एवं रूढ़िवादी विचारों को दूर किये जाने की आवश्यकता है।
  • मैनुअल स्कैवेंजिंग की प्रथा पर रोक लगाने हेतु आमजन को इस संदर्भ में जागरूक करने के साथ ही आधुनिक उपकरणों के उपयोग को अनिवार्य बनाए जाने की आवश्यकता है।

स्रोत: द इंडियन एक्सप्रेस

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2