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भारतीय अर्थव्यवस्था

इलेक्ट्रिक पावर ट्रांसमिशन

  • 10 Nov 2023
  • 23 min read

प्रिलिम्स के लिये:

भाखड़ा नांगल बाँध, प्रत्यावर्ती धारा (AC), दिष्ट धारा (DC), वितरण उपकेंद्र, ट्रांसमिशन उपकेंद्र, परमाणु रिएक्टर

मेंस के लिये:

नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये बिजली उत्पादन एवं पारेषण को सुव्यवस्थित करने का महत्त्व।

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

समकालीन विश्व में बिजली की बढ़ती मांग के साथ, विशेष रूप से बढ़ती व्यक्तिगत तथा औद्योगिक ज़रूरतों के लिये, इलेक्ट्रिक पावर ट्रांसमिशन सिस्टम की दक्षता तथा विश्वसनीयता को बढ़ाना भी महत्त्वपूर्ण है।

पावर ट्रांसमिशन के मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • परिचय:
    • किसी भी विद्युत् आपूर्ति प्रणाली में तीन व्यापक घटक होते हैं: उत्पादन, पारेषण और वितरण। बिजली का उत्पादन विद्युत् संयंत्रों के साथ-साथ छोटे नवीकरणीय-ऊर्जा प्रतिष्ठानों में भी किया जाता है।
    • इसके पश्चात विद्युत् को अन्य तत्त्वों के बीच स्टेशनों, सबस्टेशनों, स्विचों, ओवरहेड एवं भूमिगत केबलों तथा ट्रांसफार्मर के वितरित नेटवर्क का उपयोग करके प्रसारित किया जाता है।
  • ट्रांसमिशन दक्षता: 
    • विद्युत धारा संचरण की दक्षता निम्न धारा और उच्च वोल्टेज पर अधिक होती है। इसका कारण यह है कि संचरण के दौरान ऊर्जा हानि धारा के वर्ग के समानुपाती होती है, जबकि वोल्टेज तथा धारा में 1:1 का संबंध होता है।
      • ट्रांसफार्मर का उपयोग बेहतर ट्रांसमिशन के लिये वोल्टेज बढ़ाने तथा करंट को कम करने के लिये किया जाता है।
  • केबलों में प्रतिरोध: 
    • ट्रांसमिशन के लिये उपयोग की जाने वाली केबलों में प्रतिरोध पाया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा हानि होती है। ऊर्जा हानि को नियंत्रित करने के लिये केबल की मोटाई को समायोजित किया जा सकता है, मोटे केबलों से ऊर्जा हानि कम होती है, लेकिन लागत बढ़ जाती है।
  • दूरी तथा ट्रांसमिशन लागत: 
    • कम ट्रांसमिशन टावरों, सबस्टेशनों तथा रखरखाव प्रयासों की आवश्यकता जैसे कारकों के कारण लंबी ट्रांसमिशन दूरी के परिणामस्वरूप आम तौर पर ट्रांसमिशन लागत कम हो जाती है।
  • प्रत्यावर्ती धारा (AC): 
    • ट्रांसमिशन के लिये AC करंट को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि इसे ट्रांसफॉर्मर का उपयोग करके आसानी से संशोधित किया जा सकता है और साथ ही इसकी दक्षता में भी वृद्धि होती है। हालाँकि उच्च AC आवृत्तियाँ सामग्री में प्रतिरोध बढ़ाती हैं।
      • AC करंट, पावर ट्रांसमिशन को स्थानांतरित करने का सबसे सामान्य तरीका है क्योंकि वोल्टेज लगातार ध्रुवीयता बदलता रहता है, जिससे करंट वैकल्पिक दिशाओं में प्रवाहित होता है। AC करंट आवृत्ति उस दर के समान है जिस पर वोल्टेज दिशा बदलता है।

मई 2023 तक स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता (ईंधनवार):

  • कुल स्थापित क्षमता (जीवाश्म ईंधन और गैर-जीवाश्म ईंधन) 417 गीगावॉट
  • कुल विद्युत उत्पादन में विभिन्न ईंधनों की हिस्सेदारी इस प्रकार है:
    • कुल जीवाश्म ईंधन (कोयला सहित) 56.8% है।
    • परमाणु 1.60% है तथा 
    • गैर-जीवाश्म ईंधन 41.4% है।

विद्युत शक्ति कैसे संचारित होती है?

  • प्रक्रिया:
    • विद्युत संचरण में तीन-चरणों वाला प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC circuit) शामिल होता है। प्रत्येक तार एक अलग चरण में AC करंट प्रवाहित करता है। पावर स्टेशन से तारों को ट्रांसफार्मर तक ले जाया जाता है जो उनके वोल्टेज को बढ़ाते हैं।
    • इसका बुनियादी ढाँचा सुरक्षा सुविधाओं से युक्त है, जैसे कि महोर्मि (Surges- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के दौरान समुद्र के स्तर में वृद्धि) के दौरान उच्च धारा को मोड़ने के लिये इंसुलेटर तथा ओवरलोड होने पर सर्किट को डिस्कनेक्ट करने के लिये सर्किट-ब्रेकर मौजूद हैं।
    • इसके अतिरिक्त बिजली गिरने जैसे बाहरी कारकों के कारण होने वाले वोल्टेज के उतार-चढ़ाव को रोकने के लिये ग्राउंडिंग एवं अरेस्टर का उपयोग किया जाता है। डैम्पर्स कंपन को कम करने में मदद करते हैं जो टावरों की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
  • सबस्टेशन नेटवर्क:
    • ट्रांसमिशन तार के अंत में विभिन्न प्रकार के सबस्टेशन मौजूद होते हैं, जिनमें से प्रत्येक की विद्युत वितरण प्रणाली में एक विशेष भूमिका होती है।
      • कनेक्टर विभिन्न स्रोतों से विद्युत को समेकित करते हैं तथा इसे ट्रांसमिशन सबस्टेशनों तक पहुँचाते हैं।
    • वितरण सबस्टेशन विद्युत लाइनों में वोल्टेज को कम करने तथा घरों एवं व्यवसायों में खपत के लिये विद्युत तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • ट्रांसमिशन सबस्टेशन हब के रूप में कार्य करते हैं, विभिन्न लाइनों को विलय अथवा शाखाबद्ध करते हैं व नेटवर्क के भीतर मौजूद समस्याओं का निदान करते हैं।
  • विविध कार्य एवं बुनियादी ढाँचा:
    • विविध कार्यों को करने के लिये इसके बुनियादी ढाँचे में, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विशेषज्ञता से लेकर उन्नत कम्प्यूटरीकृत संचालन तक, समर्थन प्रणालियों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
      • महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा के लिये अग्नि से सुरक्षा जैसे सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं।

इलेक्ट्रिक ग्रिड कैसे कार्य करता है?

  • ग्रिड संचालन एवं इसके घटक:
    • ग्रिड जटिल प्रणालियाँ हैं जो विद्युत शक्ति के वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनमें तीन मुख्य घटक शामिल हैं: उत्पादन, पारेषण (Transmission) और वितरण।
      • ट्रांसमिशन घटक विद्युत उत्पादन एवं अंतिम उपयोगकर्ताओं तक वितरण के बीच सेतु का कार्य करता है।
    • कुछ ऊर्जा स्रोत, जैसे कोयले से चलने वाले संयंत्र अथवा परमाणु रिएक्टर, ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति कर सकते हैं, जबकि वायु एवं सौर जैसे नवीकरणीय स्रोत अनिरंतर होते हैं।
      • ऐसे मामलों में ग्रिड उपयोगी हो जाते हैं क्योंकि ग्रिड अधिशेष विद्युत को संगृहीत करने तथा मांग आपूर्ति से अधिक होने पर इसे जारी करने के लिये भंडारण सुविधाओं से युक्त होते हैं।
  • ग्रिड लचीलापन/समुत्थानशक्ति और नियंत्रण:
    • नेटवर्क के विभिन्न हिस्सों में विफलताओं को दूसरों को प्रभावित करने से रोकने के लिये ग्रिड को लचीला/समुत्थानशील होना चाहिये। उन्हें अलग-अलग मांग को पूरा करने और स्थिर एवं विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु वोल्टेज स्तर का प्रबंधन करने की भी आवश्यकता है जिसमें AC विद्युत धारा को नियंत्रित करना व पावर फैक्टर में सुधार करना शामिल है।
  • वाइड-एरिया सिंक्रोनस ग्रिड और चुनौतियाँ:
    • वाइड-एरिया सिंक्रोनस ग्रिड एक नेटवर्क है जिसमें सभी संबद्ध जनरेटर एक ही आवृत्ति पर AC करंट उत्पन्न करते हैं। ऐसे ग्रिड का एक उदाहरण उत्तरी चीनी राज्य ग्रिड है जो 1,700 गीगावॉट की क्षमता के साथ विश्व का सबसे शक्तिशाली ग्रिड है। भारत का राष्ट्रीय ग्रिड एक विस्तृत क्षेत्र तुल्यकालिक ग्रिड के रूप में भी कार्य करता है।
    • साझा संसाधनों के कारण इन ग्रिडों को विद्युत की लागत कम करने का लाभ मिलता है, लेकिन स्थानीय विद्युत आपूर्ति विफलता की स्थिति में व्यापक विफलताओं को रोकने के लिये उपायों की आवश्यकता होती है।

भारत का इलेक्ट्रिक ग्रिड:

  • भारत का विद्युत ग्रिड, जिसे राष्ट्रीय ग्रिड के रूप में भी जाना जाता है, एक उच्च वोल्टेज विद्युत ट्रांसमिशन नेटवर्क है जो देश भर के विद्युत स्टेशनों और प्रमुख सबस्टेशनों को जोड़ता है। यह सुनिश्चित करता है कि भारत में कहीं भी उत्पादित विद्युत का अन्यत्र मांग को पूरा करने के लिये उपयोग किया जा सकता है।
  • नेशनल ग्रिड का स्वामित्व और रखरखाव राज्य के स्वामित्व वाली पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है तथा राज्य के स्वामित्व वाली पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन द्वारा संचालित किया जाता है। यह 31 मई 2023 तक 417.68 गीगावॉट स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता के साथ विश्व के सबसे बड़े परिचालन सिंक्रोनस ग्रिडों में से एक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

Q. भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)

  1. यह एक पब्लिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है।
  2. यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (c)


मेन्स

Q. "सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए सस्ती, विश्वसनीय, संधारणीय और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच अनिवार्य है।" इस संबंध में भारत में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)

स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

समकालीन विश्व में बिजली की बढ़ती मांग के साथ, विशेष रूप से बढ़ती व्यक्तिगत तथा औद्योगिक ज़रूरतों के लिये, इलेक्ट्रिक पावर ट्रांसमिशन सिस्टम की दक्षता तथा विश्वसनीयता को बढ़ाना भी महत्त्वपूर्ण है।

पावर ट्रांसमिशन के मुख्य बिंदु क्या हैं?

  • परिचय:
    • किसी भी विद्युत् आपूर्ति प्रणाली में तीन व्यापक घटक होते हैं: उत्पादन, पारेषण और वितरण। बिजली का उत्पादन विद्युत् संयंत्रों के साथ-साथ छोटे नवीकरणीय-ऊर्जा प्रतिष्ठानों में भी किया जाता है।
    • इसके पश्चात विद्युत् को अन्य तत्त्वों के बीच स्टेशनों, सबस्टेशनों, स्विचों, ओवरहेड एवं भूमिगत केबलों तथा ट्रांसफार्मर के वितरित नेटवर्क का उपयोग करके प्रसारित किया जाता है।
  • ट्रांसमिशन दक्षता: 
    • विद्युत धारा संचरण की दक्षता निम्न धारा और उच्च वोल्टेज पर अधिक होती है। इसका कारण यह है कि संचरण के दौरान ऊर्जा हानि धारा के वर्ग के समानुपाती होती है, जबकि वोल्टेज तथा धारा में 1:1 का संबंध होता है।
      • ट्रांसफार्मर का उपयोग बेहतर ट्रांसमिशन के लिये वोल्टेज बढ़ाने तथा करंट को कम करने के लिये किया जाता है।
  • केबलों में प्रतिरोध: 
    • ट्रांसमिशन के लिये उपयोग की जाने वाली केबलों में प्रतिरोध पाया जाता है, जिसके परिणामस्वरूप ऊर्जा हानि होती है। ऊर्जा हानि को नियंत्रित करने के लिये केबल की मोटाई को समायोजित किया जा सकता है, मोटे केबलों से ऊर्जा हानि कम होती है, लेकिन लागत बढ़ जाती है।
  • दूरी तथा ट्रांसमिशन लागत: 
    • कम ट्रांसमिशन टावरों, सबस्टेशनों तथा रखरखाव प्रयासों की आवश्यकता जैसे कारकों के कारण लंबी ट्रांसमिशन दूरी के परिणामस्वरूप आम तौर पर ट्रांसमिशन लागत कम हो जाती है।
  • प्रत्यावर्ती धारा (AC): 
    • ट्रांसमिशन के लिये AC करंट को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि इसे ट्रांसफॉर्मर का उपयोग करके आसानी से संशोधित किया जा सकता है और साथ ही इसकी दक्षता में भी वृद्धि होती है। हालाँकि उच्च AC आवृत्तियाँ सामग्री में प्रतिरोध बढ़ाती हैं।
      • AC करंट, पावर ट्रांसमिशन को स्थानांतरित करने का सबसे सामान्य तरीका है क्योंकि वोल्टेज लगातार ध्रुवीयता बदलता रहता है, जिससे करंट वैकल्पिक दिशाओं में प्रवाहित होता है। AC करंट आवृत्ति उस दर के समान है जिस पर वोल्टेज दिशा बदलता है।

मई 2023 तक स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता (ईंधनवार):

  • कुल स्थापित क्षमता (जीवाश्म ईंधन और गैर-जीवाश्म ईंधन) 417 गीगावॉट
  • कुल विद्युत उत्पादन में विभिन्न ईंधनों की हिस्सेदारी इस प्रकार है:
    • कुल जीवाश्म ईंधन (कोयला सहित) 56.8% है।
    • परमाणु 1.60% है तथा 
    • गैर-जीवाश्म ईंधन 41.4% है।

विद्युत शक्ति कैसे संचारित होती है?

  • प्रक्रिया:
    • विद्युत संचरण में तीन-चरणों वाला प्रत्यावर्ती धारा परिपथ (AC circuit) शामिल होता है। प्रत्येक तार एक अलग चरण में AC करंट प्रवाहित करता है। पावर स्टेशन से तारों को ट्रांसफार्मर तक ले जाया जाता है जो उनके वोल्टेज को बढ़ाते हैं।
    • इसका बुनियादी ढाँचा सुरक्षा सुविधाओं से युक्त है, जैसे कि महोर्मि (Surges- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के दौरान समुद्र के स्तर में वृद्धि) के दौरान उच्च धारा को मोड़ने के लिये इंसुलेटर तथा ओवरलोड होने पर सर्किट को डिस्कनेक्ट करने के लिये सर्किट-ब्रेकर मौजूद हैं।
    • इसके अतिरिक्त बिजली गिरने जैसे बाहरी कारकों के कारण होने वाले वोल्टेज के उतार-चढ़ाव को रोकने के लिये ग्राउंडिंग एवं अरेस्टर का उपयोग किया जाता है। डैम्पर्स कंपन को कम करने में मदद करते हैं जो टावरों की स्थिरता को प्रभावित कर सकते हैं।
  • सबस्टेशन नेटवर्क:
    • ट्रांसमिशन तार के अंत में विभिन्न प्रकार के सबस्टेशन मौजूद होते हैं, जिनमें से प्रत्येक की विद्युत वितरण प्रणाली में एक विशेष भूमिका होती है।
      • कनेक्टर विभिन्न स्रोतों से विद्युत को समेकित करते हैं तथा इसे ट्रांसमिशन सबस्टेशनों तक पहुँचाते हैं।
    • वितरण सबस्टेशन विद्युत लाइनों में वोल्टेज को कम करने तथा घरों एवं व्यवसायों में खपत के लिये विद्युत तैयार करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
    • ट्रांसमिशन सबस्टेशन हब के रूप में कार्य करते हैं, विभिन्न लाइनों को विलय अथवा शाखाबद्ध करते हैं व नेटवर्क के भीतर मौजूद समस्याओं का निदान करते हैं।
  • विविध कार्य एवं बुनियादी ढाँचा:
    • विविध कार्यों को करने के लिये इसके बुनियादी ढाँचे में, इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विशेषज्ञता से लेकर उन्नत कम्प्यूटरीकृत संचालन तक, समर्थन प्रणालियों की एक विस्तृत शृंखला शामिल है।
      • महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा के लिये अग्नि से सुरक्षा जैसे सुरक्षा उपाय आवश्यक हैं।

इलेक्ट्रिक ग्रिड कैसे कार्य करता है?

  • ग्रिड संचालन एवं इसके घटक:
    • ग्रिड जटिल प्रणालियाँ हैं जो विद्युत शक्ति के वितरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इनमें तीन मुख्य घटक शामिल हैं: उत्पादन, पारेषण (Transmission) और वितरण।
      • ट्रांसमिशन घटक विद्युत उत्पादन एवं अंतिम उपयोगकर्ताओं तक वितरण के बीच सेतु का कार्य करता है।
    • कुछ ऊर्जा स्रोत, जैसे कोयले से चलने वाले संयंत्र अथवा परमाणु रिएक्टर, ऊर्जा की निरंतर आपूर्ति कर सकते हैं, जबकि वायु एवं सौर जैसे नवीकरणीय स्रोत अनिरंतर होते हैं।
      • ऐसे मामलों में ग्रिड उपयोगी हो जाते हैं क्योंकि ग्रिड अधिशेष विद्युत को संगृहीत करने तथा मांग आपूर्ति से अधिक होने पर इसे जारी करने के लिये भंडारण सुविधाओं से युक्त होते हैं।
  • ग्रिड लचीलापन/समुत्थानशक्ति और नियंत्रण:
    • नेटवर्क के विभिन्न हिस्सों में विफलताओं को दूसरों को प्रभावित करने से रोकने के लिये ग्रिड को लचीला/समुत्थानशील होना चाहिये। उन्हें अलग-अलग मांग को पूरा करने और स्थिर एवं विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति सुनिश्चित करने हेतु वोल्टेज स्तर का प्रबंधन करने की भी आवश्यकता है जिसमें AC विद्युत धारा को नियंत्रित करना व पावर फैक्टर में सुधार करना शामिल है।
  • वाइड-एरिया सिंक्रोनस ग्रिड और चुनौतियाँ:
    • वाइड-एरिया सिंक्रोनस ग्रिड एक नेटवर्क है जिसमें सभी संबद्ध जनरेटर एक ही आवृत्ति पर AC करंट उत्पन्न करते हैं। ऐसे ग्रिड का एक उदाहरण उत्तरी चीनी राज्य ग्रिड है जो 1,700 गीगावॉट की क्षमता के साथ विश्व का सबसे शक्तिशाली ग्रिड है। भारत का राष्ट्रीय ग्रिड एक विस्तृत क्षेत्र तुल्यकालिक ग्रिड के रूप में भी कार्य करता है।
    • साझा संसाधनों के कारण इन ग्रिडों को विद्युत की लागत कम करने का लाभ मिलता है, लेकिन स्थानीय विद्युत आपूर्ति विफलता की स्थिति में व्यापक विफलताओं को रोकने के लिये उपायों की आवश्यकता होती है।

भारत का इलेक्ट्रिक ग्रिड:

  • भारत का विद्युत ग्रिड, जिसे राष्ट्रीय ग्रिड के रूप में भी जाना जाता है, एक उच्च वोल्टेज विद्युत ट्रांसमिशन नेटवर्क है जो देश भर के विद्युत स्टेशनों और प्रमुख सबस्टेशनों को जोड़ता है। यह सुनिश्चित करता है कि भारत में कहीं भी उत्पादित विद्युत का अन्यत्र मांग को पूरा करने के लिये उपयोग किया जा सकता है।
  • नेशनल ग्रिड का स्वामित्व और रखरखाव राज्य के स्वामित्व वाली पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया द्वारा किया जाता है तथा राज्य के स्वामित्व वाली पावर सिस्टम ऑपरेशन कॉरपोरेशन द्वारा संचालित किया जाता है। यह 31 मई 2023 तक 417.68 गीगावॉट स्थापित विद्युत उत्पादन क्षमता के साथ विश्व के सबसे बड़े परिचालन सिंक्रोनस ग्रिडों में से एक है।

  UPSC सिविल सेवा परीक्षा, विगत वर्ष के प्रश्न  

प्रिलिम्स:

Q. भारतीय नवीकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी लिमिटेड (आईआरईडीए) के संदर्भ में निम्नलिखित में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं? (2015)

  1. यह एक पब्लिक लिमिटेड सरकारी कंपनी है।
  2. यह एक गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी है।

नीचे दिये गए कूट का प्रयोग करके सही उत्तर चुनिये:

(a) केवल 1
(b) केवल 2
(c) 1 और 2 दोनों
(d) न तो 1, न ही 2

उत्तर: (c)


मेन्स

Q. "सतत् विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को प्राप्त करने के लिए सस्ती, विश्वसनीय, संधारणीय और आधुनिक ऊर्जा तक पहुँच अनिवार्य है।" इस संबंध में भारत में हुई प्रगति पर टिप्पणी कीजिये। (2018)

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