इलास्टोकेलोरिक प्रभाव | 14 Oct 2019
प्रीलिम्स के लिये:
इलास्टोकेलोरिक प्रभाव
मुख्य परीक्षा के लिये:
पर्यावरण संरक्षण हेतु किये गए प्रयास
चर्चा में क्यों?
जर्नल साइंस में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, इलास्टोकेलोरिक प्रभाव रेफ्रिजरेटर और एयर-कंडीशनर में उपयोग किये जाने वाले द्रव रेफ़्रिजरेंट की आवश्यकता को पूरा करने में सक्षम है।
इलास्टोकेलोरिक प्रभाव क्या होता है?
- जब किसी रबर बैंड को घुमाया (Twisted) जाता है और फिर छोड़ (Untwisted) दिया जाता है तो यह शीतलन का प्रभाव उत्पन्न करती है इस प्रभाव को ‘इलास्टोकोलिक प्रभाव’ कहा जाता है।
- इलास्टोकेलोरिक प्रभाव ऐसे परिवर्तन हैं जो किसी बाहरी तनाव, बिजली या चुंबकीय क्षेत्र के कारण होते हैं।
- वर्तमान में कुशल और पर्यावरण के अनुकूल प्रशीतन प्रौद्योगिकियों (Refrigeration Technologies) की अधिक मांग के कारण इलास्टोकेलोरिक तथा विशाल केलोरिक प्रभाव वाले पदार्थों के विषय में व्यापक स्तर पर शोध कार्य किये जा रहे हैं।
इलास्टोकलोरिक प्रभाव ईंधन की जगह ले रहा है।
- रेफ्रिजरेटर में प्रयोग किये जाने वाले तरल पदार्थों का रिसाव पर्यावरण के प्रति अतिसंवेदनशील होता है तथा ये ग्लोबल वार्मिंग की वृद्धि के कारक हो सकते हैं।
- इलास्टोकेलोरिक प्रभाव में हीट एक्सचेंज उसी तरह से होती है जैसे द्रव रेफ्रिजरेंट को संकुचित और विस्तारित करने पर होता है।
- जब एक रबर बैंड को बढ़ाया जाता है, तो यह अपने वातावरण से गर्मी को अवशोषित करता है और जब इसे छोड़ा जाता है, तो यह धीरे-धीरे ठंडा हो जाता है।
- यह पता लगाने के लिये कि ट्विस्टेड क्रियाविधि (Twisted Mechanism) एक रेफ्रिजरेटर को कार्य सक्षम बनाने में कितनी सक्षम है, शोधकर्त्ताओं ने शीतलन के लिये रबर फाइबर, नायलॉन, पॉलीइथाइलीन, मछली पकड़ने के तार और निकल-टाइटेनियम जैसे तारों का प्रयोग किया।
- इसके लिये कुंडलित और सुपरकोलाइड फाइबर के मोड़ (Twisted) में परिवर्तन से उच्च शीतलन का अवलोकन किया गया।
- इस अवलोकन से प्राप्त जानकारी के अनुसार, रबर बैंड में हीट एक्सचेंज की दक्षता का स्तर मानक रेफ्रिजरेंट की तुलना में अधिक पाया गया।
- इन निष्कर्षों से ज्ञात होता है कि हरित, उच्च दक्षता और कम लागत वाली शीतलन प्रौद्योगिकी का विकास किया जा सकता है।