कतर और मिस्र के संबंधों की पुनर्बहाली | 23 Jan 2021
चर्चा में क्यों?
हाल ही में मिस्र ने कतर के साथ अपने राजनयिक और आर्थिक संबंधों को पुनः बहाल करने की घोषणा की है।
- मिस्र उस अरब चौकड़ी या अरब क्वार्टेट (इसके अन्य सदस्य सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन थे) का हिस्सा था, जिसने कतर पर आतंकवाद का समर्थन करने और ईरान के अत्यधिक निकट होने का आरोप लगाया था तथा इसके कारण उन्होंने वर्ष 2017 में कतर की भू, वायु और जलीय/नौसैनिक नाकेबंदी कर दी थी।
प्रमुख बिंदु:
संबंधों की पुनर्बहाली का कारण:
- ‘एकजुटता और स्थिरता’ समझौता:
- हाल ही में खाड़ी देशों ने 41वें खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) शिखर सम्मेलन के दौरान 'एकजुटता और स्थिरता’समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- गौरतलब है कि बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब और यूएई खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्य हैं।
- इस शिखर सम्मेलन में खाड़ी सहयोग परिषद के सदस्यों ने कतर पर लगे सभी प्रतिबंधों को हटा दिया और कतर के लिये अपनी भूमि, समुद्री और हवाई सीमा को पुनः खोल दिया।
- अरब चौकड़ी (जिसके तीन सदस्य जीसीसी के सदस्य हैं) के साथ एकजुटता दिखाते हुए मिस्र ने भी कतर के साथ अपने संबंधों को फिर से बहाल कर दिया है।
- हाल ही में खाड़ी देशों ने 41वें खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) शिखर सम्मेलन के दौरान 'एकजुटता और स्थिरता’समझौते पर हस्ताक्षर किये।
- ईरान के खिलाफ एकजुटता:
- मिस्र ने कतर के साथ यह समझौता इसलिये किया है ताकि ईरान सरकार के परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल कार्यक्रम के खतरों के खिलाफ खाड़ी क्षेत्र को मज़बूत किया जा सके, गौरतलब है कि ईरान के इन मिसाइल कार्यक्रमों का अमेरिका और जीसीसी सदस्यों ने हमेशा विरोध किया है।
- कतर की बढ़ती शक्ति:
- कतर विश्व में प्राकृतिक गैस का सबसे बड़ा उत्पादक देश होने के साथ ही विश्व में सबसे अधिक प्रति व्यक्ति आय वाले देशों में से एक है और यह वर्ष 2022 के फुटबॉल विश्व कप के मेज़बानी भी करेगा।
- मोहम्मद मोर्सी (वर्ष 2012-13) की सरकार के दौरान कतर, मिस्र का सबसे बड़ा निवेशक था।
- अमेरिकी समर्थन:
- संयुक्त राज्य अमेरिका और कतर के बीच व्यापक आर्थिक संबंध हैं। अमेरिका, कतर का सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेशक के साथ ही कतर में सबसे बड़ा निर्यातक भी है।
- कतर और यूएसए के बीच अच्छे आपसी संबंधों के कारण संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के खिलाफ सभी खाड़ी देशों को एकजुट करने के लिये एकजुटता और स्थिरता समझौते की मध्यस्थता की, जिसने मिस्र के साथ सुलह के लिये भी प्रोत्साहित किया।
पूर्व मतभेद का कारण:
- मुस्लिम ब्रदरहुड के साथ संबंध:
- अरब स्प्रिंग और मोहम्मद मोर्सी (मिस्र के पूर्व राष्ट्रपति जिन्हें कतर का समर्थन प्राप्त था) के पतन के बाद कतर ने मिस्र में अपने प्रभुत्व को बढ़ाने और साथ ही घरेलू स्तर पर अन्य इस्लामी समूहों का समर्थन प्राप्त करने के लिये मिस्र में मुस्लिम ब्रदरहुड का समर्थन किया।
- हालाँकि मुस्लिम ब्रदरहुड को अब्देल फत्ताह अल-सिसी के नेतृत्व में वर्तमान प्रशासन द्वारा परास्त कर दिया गया था, गौरतलब है कि अल-सिसी सरकार को अरब क्वार्टेट का करीबी माना जाता है।
- खाड़ी देशों के सम्राट और तानाशाह मुस्लिम ब्रदरहुड के नेतृत्त्व में संचालित इस्लामवादी आंदोलनों के खिलाफ हैं क्योंकि ये राजनीतिक सुधारों की मांग करते हैं जो उनके शासन को खतरे में डाल सकता है।
- स्वतंत्र विदेश नीति दृष्टिकोण:
- पूर्व में कतर पर लंबे समय तक सऊदी अरब का प्रभुत्व रहा है। वर्ष 1995 के बाद से कतर ने एक स्वतंत्र विदेश नीति की शुरुआत की और इसने न केवल अमेरिका, यूरोप, इज़राइल व ईरान जैसे अन्य देशों के साथ बल्कि फिलिस्तीनी, हमास और इस्लामवादी दलों के साथ भी मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किये।
- क्षेत्रीय मध्यस्थता और सहयोग में कतर की इस तरह की हाई-प्रोफाइल भूमिका से जीसीसी सदस्य और मिस्र खुश नहीं थे।
- ईरान के साथ अच्छे संबंध:
- ईरान के साथ कतर एक विशाल गैस फील्ड साझा करता है, जो इसे ईरानी प्रशासन के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने का एक और कारण प्रदान करता है।
भारत के लिये महत्त्व:
- मिस्र के साथ-साथ कतर सहित जीसीसी समूह के सभी देशों के साथ भारत के अच्छे संबंध हैं। मध्य-पूर्व के देशों के बीच इस तरह की सुलह और मैत्री भारत के लिये अवसरों का विस्तार कर सकती है।
- खाड़ी क्षेत्र भारतीय वस्तुओं के लिये सबसे बड़े बाज़ारों में से एक है और यह हमारी अर्थव्यवस्था के लिये हाइड्रोकार्बन का सबसे महत्त्वपूर्ण आपूर्तिकर्त्ता है। इन गैस और तेल भंडार से समृद्ध देशों के बीच शांतिपूर्ण संबंध भारत की ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करने के लिये अनुकूल हैं।
- खाड़ी देशों में कई लाख प्रवासी भारतीय रहते या रोज़गार करते हैं, इनमें ज़्यादातर श्रमिक हैं जो विकास गतिविधियों में शामिल होते हैं और भारत को प्रेषित धन (Remittances) का प्रमुख स्रोत हैं।
- खाड़ी देशों और मिस्र के साथ बेहतर संबंध भारत को खाद्य प्रसंस्करण, स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा, संस्कृति, रक्षा और सुरक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में रोज़गार तथा निवेश के अवसर प्रदान कर सकता है।