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अंतर्राष्ट्रीय संबंध

एनएससीएन (खापलांग) के साथ युद्ध विराम समाप्त करने का प्रयास।

  • 27 Jun 2017
  • 5 min read

संदर्भ

  • भारत-म्याँमार  सीमा के उस पार स्थित कई उग्रवादी समूह भारत विरोधी गतिविधियाँ  करते हैं। इन समूहों से निपटने के लिये भारत म्याँमार  को नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल नागालैंड-(खापलांग) के साथ अपने युद्ध विराम संधि को रद्द करने को कह सकता है। 

 प्रमुख घटनाक्रम

  • भारत ने अपने सुरक्षा बलों के खिलाफ विभिन्न हमलों के लिये जिम्मेदार नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल नागालैंड-(खापलांग)  पर 2015 में प्रतिबंध लगा दिया था। 
  • गौरतलब है कि भारत ने अपनी सीमा से कुछ किलोमीटर दूर म्याँमार  में स्थित  20 से अधिक विद्रोही शिविरों की सूची म्याँमार  को सौंपा था, परन्तु म्याँमार  सेना ने अपने क्षेत्र में किसी भी विद्रोही शिविर के अस्तित्व को नकार दिया था। 
  • एसएस खापलांग नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल नागालैंड-(खापलांग)  के नेता थे। वे भारत में सर्वाधिक वांछित लोगों की सूची में शामिल थे। उनका निधन  6 जून को हो गया था। उनकी मृत्यु के बाद, नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल नागालैंड-(खापलांग)  के वाइस चेयरमैन खांगो कोनीक को इस प्रतिबंधित संगठन का नया प्रमुख चुना गया है।
  • म्याँमार और भारत दोनों जगहों पर नागा समुदाय का  एक बड़ा हिस्सा एसएस खापलांग का सम्मान करता था। अत: उनके निधन का उनके संगठन के संचालन पर निश्चित रूप से प्रभाव पड़ेगा। 

संघर्ष विराम समझौता 

  • नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल नागालैंड-(खापलांग)  तथा म्याँमार  के बीच संघर्ष विराम समझौता है। भारत म्याँमार  से इस समझौते को रद्द करने और उनके नेताओं को भारत को  सौंपने का अनुरोध करना चाहता है। 
  • म्याँमार  में न केवल एनएससीएन-के, बल्कि अन्य विद्रोही समूह भी अपने शिविरों का संचालन कर रहे हैं। इन विद्रोही समूहों ने सीमा के दोनों किनारों पर एक नेटवर्क का गठन किया है, जो हथियारों की तस्करी और भारत विरोधी गतिविधियों को संचालित करते हैं। भारत चाहता है कि म्याँमार उनके शिविरों को नष्ट कर दे, इसके लिए भारत उनके ठिकानों कि जानकारी देने को तैयार है।  
  • मार्च 2015 में नेशनल सोशलिस्ट काउंसिल नागालैंड-(खापलांग)  ने एकतरफा युद्ध विराम का उल्लंघन किया था, जिसमें 4 जून को मणिपुर के चंदेल ज़िले में सेना के काफिले पर हमले सहित कई हिंसक घटनाएँ  हुई थी, जहाँ सेना के 18 जवान मारे गए थे। उसके प्रतिशोध में भारतीय सेना ने म्याँमार सीमा पर एक अभियान चलाया था और बड़ी संख्या में उग्रवादियों के शिविरों को नष्ट कर दिया था। 

पैनल का गठन

  • भारत के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने म्याँमार  सीमा पर मुक्त आवाजाही के दुरुपयोग को रोकने के विभिन्न तरीकों की जाँच के लिये एक समिति गठित की है।  दोनों देशों की सीमा पर मुक्त आवाजाही का सीमापार के उग्रवादियों और अपराधियों द्वारा दुरुपयोग किया जाता है। वे भारत में प्रवेश कर अपराध करते हैं एवं पुनः अपने सुरक्षित ठिकानों पर भाग जाते हैं। 
  • भारत और म्याँमार  के बीच 1,643 किलोमीटर की खुली सीमा है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश (520 किमी), नागालैंड (215 किमी), मणिपुर (398 किमी) और मिजोरम (510 किमी) की सीमा सटी हुई है। दोनों देशों की सीमा के आर-पार 16 किलोमीटर तक स्वतंत्र आवाजाही  की अनुमति है।
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