भारत, यूरोप और ओशिनिया देशों के बीच आर्थिक संबंध | 02 Apr 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में भारत ने यूरोप और ओशिनिया देशों के राजदूतों और उच्चायुक्तों के साथ व्यापार एवं आर्थिक सहयोग पर चर्चा की।
पृष्ठभूमि
- यूरोपीय और ओशिनिया देश प्रमुख व्यापारिक साझेदार होने के साथ ही भारत में निवेश के प्रमुख स्रोत भी हैं। इन देशों में बड़ी संभावनाएँ हैं जिनका लाभ आने वाले समय में उठाया जा सकता है।
- 2017-18 के दौरान यूरोप के साथ भारत का व्यापार 130.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर था, इसके निर्यात एवं आयात दोनों क्षेत्रों में दोहरे अंकों में वृद्धि दर्ज की गई।
- ओशिनियाई देशों में भारत ऑस्ट्रेलिया के लिये पाँचवा सबसे बड़ा निर्यातक बाज़ार है, भारत द्वारा आयात की जाने वाली कुछ प्रमुख वस्तुएँ जैसे- कोयला, सब्जी और सोना हैं।
- भारत से ऑस्ट्रेलिया को निर्यात की जाने वाली प्रमुख वस्तुओं में शोधित पेट्रोलियम, व्यवसायिक सेवाएँ और फ़ार्मास्यूटिकल्स शामिल हैं।
- ओशिनिया देशों में न्यूज़ीलैंड भी भारत के लिये एक महत्त्वपूर्ण बाजार है, निर्यात के लिये विशेष रूप से फार्मास्यूटिकल्स, रत्न, और गहने, मशीनरी और वस्त्र एवं परिधान शामिल हैं।
- अप्रैल 2000 से दिसंबर 2018 तक भारतीय बाज़ार में ओशिनिया की कंपनियों द्वारा लगभग 1.2 बिलियन अमेरिकी डालर से अधिक का निवेश किया गया था।
- ओशिनियाई क्षेत्रों में भारत के विदेशी एफडीआई का लगभग 1.7 प्रतिशत हिस्सा है, जिसमें ऑस्ट्रेलिया, फिजी, न्यूज़ीलैंड और वानुआतु प्रमुख निवेश करने वाले देश हैं।
भारत-यूरोपीय संघ के बीच आर्थिक संबंध
India-European Union Economic Relations
- 28 देशों के साथ यूरोपीय संघ भारत का सबसे बड़ा क्षेत्रीय व्यापार भागीदार है, जबकि 2015 में भारत यूरोपीय संघ का 9वाँ सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार था।
- 2007 के बाद से भारत और यूरोपीय संघ के बीच एक द्विपक्षीय ब्रॉड-आधारित व्यापार और निवेश समझौते (Broad-based Trade and Investment Agreement- BTIA) पर बातचीत करने की प्रक्रिया चल रही है।
यूरोपीय संघ
European Union
- यूरोपीय संघ 28 देशों की एक आर्थिक और राजनीतिक सहभागिता है। ये 28 देश संधि के द्वारा एक संघ के रूप में जुड़े हुए हैं जिससे कि व्यापार आसानी से हो सके और लोग एक-दूसरे से कोई विवाद न करें क्योंकि इकॉनमी का एक सिद्धांत है कि जो देश आपस में जितना ज़्यादा व्यापार करते हैं उनकी लड़ाई होने की संभावना उतनी ही कम हो जाती है।
- यही कारण है कि द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद यूरोप में यह कोशिश की गई कि सभी देश आर्थिक रूप से एक साथ आएँ और एकजुट होकर एक व्यापार समूह का हिस्सा बनें।
- इसी व्यापार समूह की वज़ह से आगे चलकर 1993 में यूरोपीय संघ का जन्म हुआ। 2004 में जब यूरो करेंसी लॉन्च की गई तब यह पूरी तरह से राजनीतिक और आर्थिक रूप से एकजुट हुआ।
- यूरोपीय संघ मास्ट्रिच संधि द्वारा बनाया गया था, जो 1 नवंबर, 1993 को लागू हुई थी।
- एकल बाज़ार सिद्धांत (Single Market Principle) अर्थात् किसी भी तरह का सामान और व्यक्ति बिना किसी टैक्स या बिना किसी रुकावट के कहीं भी आ-जा सकते हैं एवं लोग बिना रोक टोक के नौकरी, व्यवसाय तथा स्थायी तौर पर निवास कर सकते हैं। फ्री मूवमेंट ऑफ़ पीपल एंड गुड्स यूरोपीय संघ की खासियत है।
भारत-यूरोपीय संघ के व्यापार संबंधी मुद्दे
Issues in India-EU Trade Relations
13 दौर की वार्ता के बाद भी BTIA ने अब तक समझौते पर हस्ताक्षर नहीं किये हैं।
बौद्धिक संपदा अधिकार: बौद्धिक संपदा सुरक्षा मानकों पर असहमति है। यूरोपीय संघ का मानना है कि भारत को बौद्धिक संपदा संरक्षण के कठोर मानदंडो को अपनाना चाहिये।
- ऐसा कदम भारत के लोगों के स्वास्थ्य को बड़े स्तर पर प्रभावित कर सकता है क्योंकि इससे सबसे ज़्यादा प्रभावित भारतीय दवा क्षेत्र हो सकता है।
टैरिफ में कमी: यूरोपीय संघ की प्रमुख मांग के अनुसार, भारत को यूरोपीय डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों, वाइन तथा अल्कोहल पर अपनी टैरिफ दरों को कम करना चाहिये।
- डेयरी क्षेत्र और पोल्ट्री उद्योग में शुल्कों में कमी करने से भारतीय डेयरी उद्योग पर मुख्य रूप से रोज़गार पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
सेवा क्षेत्र: भारत ने अपने हितों को ध्यान में रखकर लचीले नियमों, भारतीय सेवाओं तक अधिक पहुँच और भारतीय पेशेवरों के लिये एक आसान वीज़ा आवश्यकता की मांग की है। लेकिन यूरोप अपने क्षेत्र की बढ़ती बेरोज़गारी की समस्या को ध्यान में रखते हुए ऎसी अनुमति देने के बारे में सतर्क है।
भारत-ओशिनिया संबंध
India-Oceania Relations
- ओशिनिया के साथ भारत के व्यापार संबंधों पर ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड का वर्चस्व रहा है।
- 2016 में वस्तुओं और सेवाओं के मामले में ऑस्ट्रेलिया के साथ भारत का व्यापार लगभग 15.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- 2017 में भारत, न्यूज़ीलैंड का 11वाँ सबसे बड़ा द्विपक्षीय व्यापारिक साझेदार देश था, जिसका सामान और सेवाओं दोनों में कुल व्यापार 1.91 बिलियन अमेरिकी डॉलर था।
- इन दोनों के अलावा भारत के भी फिजी और पापुआ न्यू गिनी सहित प्रशांत द्वीपीय देशों के साथ महत्त्वपूर्ण व्यापारिक संबंध हैं।
- 2012 में प्रशांत द्वीपसमूह के साथ भारत का व्यापार 228 मिलियन अमेरिकी डॉलर का था।
पैसिफिक आइलैंड फोरम
Pacific Island Forum (PIF)
- भारत प्रशांत द्वीप फोरम (PIF) का गठन 1999 में 1971 में स्थापित पहले दक्षिण प्रशांत फोरम के उत्तराधिकारी के रूप में किया गया था।
- PIF के तत्त्वावधान में क्षेत्रीय सहयोग लगातार बढ़ा है।
- भारत, प्रशांत द्वीप फोरम (PIF) का एक संवाद भागीदार है।
भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग के लिये फोरम
Forum for India–Pacific Islands Cooperation (FIPIC)
- नवंबर 2014 में भारत के प्रधानमंत्री की फिजी यात्रा के दौरान भारत-प्रशांत द्वीप सहयोग (FIPIC) के लिये फोरम का शुभारंभ किया गया था।
- सदस्य देश - भारत और 14 प्रशांत द्वीप के देश, जैसे कि फिजी, कुक आइलैंड्स, किरिबाती, मार्शल आइलैंड्स, माइक्रोनेशिया, नाउरू, नीयू, पलाऊ, पापुआ न्यू गिनी, समोआ, सोलोमन आइलैंड्स, टोंगा, तुवालु और वानुआतु।
भारत और प्रशांत द्वीप देशों (PICs) के व्यापार संबंधी मुद्दे
- भारत और PIC के बीच व्यापार मे कमी का कारण इन द्वीपों में छोटी आबादी और बाज़ार के आकार के साथ-साथ भारत से उनकी दूरी है।
- व्यापार संबंधों में सुधार के लिये भारत द्वारा उठाए गए कदम
♦ भारत ने देश में प्रशांत द्वीप फोरम देशों के लिये व्यापार कार्यालय की स्थापना की है।
♦ नई दिल्ली में FIPIC व्यापार कार्यालय सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों के विकास का समर्थन करेगा। यह कार्यालय प्रशांत द्वीपसमूह के लिये बाजार पहुँच में सुधार हेतु सहायता करेगा।