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सामाजिक न्याय

इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट

  • 12 Oct 2021
  • 6 min read

प्रिलिम्स के लिये:

इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट

मेन्स के लिये:

जलवायु परिवर्तन और विस्थापन से संबंधित मुद्दे  

चर्चा में क्यों? 

हाल ही में एक अंतर्राष्ट्रीय थिंक टैंक इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक्स एंड पीस (IEP) ने इकोलॉजिकल थ्रेट रिपोर्ट (ETR) 2021 : पारिस्थितिक खतरों, लचीलापन और शांति को समझना, जारी की।

  • यह ETR का दूसरा संस्करण है, जिसमें 178 देशों को शामिल किया गया है।
  • ETR में जनसंख्या वृद्धि, जल तनाव, खाद्य असुरक्षा, सूखा, बाढ़, चक्रवात और बढ़ते तापमान पर सबसे हालिया वैज्ञानिक अनुसंधान शामिल हैं।

प्रमुख बिंदु

  • संघर्ष और पारिस्थितिक खतरे:
    • 30 देशों में लगभग 1.26 बिलियन लोग अत्यधिक पारिस्थितिक जोखिम और निम्न स्तर के लचीलेपन से पीड़ित हैं।
      • इन देशों के नए पारिस्थितिक खतरों को कम करने और अनुकूल बनने की संभावना काफी कम है, जिससे बड़े पैमाने पर विस्थापन हो सकता है।
    • कम-से-कम 13 देशों को अत्यधिक उच्च और 34 अन्य देशों को उच्च पारिस्थितिक खतरों का सामना करना पड़ा।
    • सबसे कमज़ोर देश मध्य-पूर्व और उत्तरी अफ्रीका, उप-सहारा अफ्रीका और दक्षिण एशिया में समूहबद्ध हैं।
    • जलवायु परिवर्तन का एक व्यापक प्रभाव प्रदर्शित होगा, जिसके कारण आगे चलकर पारिस्थितिक क्षरण होगा और कुछ देशों में हिंसक गतिविधियाँ  हो सकती हैं। 
  • खाद्य जोखिम:
    • वर्ष 2014 के बाद से वैश्विक खाद्य असुरक्षा में 44% की वृद्धि हुई है, जिसके कारण  वर्ष 2020 में दुनिया की आबादी के 30.4% लोग प्रभावित हुए तथा इसके और बढ़ने की संभावना है।
    • जल और खाद्य जोखिम में औसत ETR स्कोर के साथ दक्षिण एशिया सबसे खराब क्षेत्रों में से एक है।
    • कोविड-19 ने खाद्य असुरक्षा को और बढ़ा दिया है तथा स्थिर आर्थिक विकास के कारण विश्व में भुखमरी के साथ ही लंबे समय तक नकारात्मक प्रभाव पड़ने की संभावना है।
  • जल जोखिम:
    • वर्ष 2040 तक 5.4 अरब से अधिक लोगों के अत्यधिक जल संकट का सामना करने की आशंका।
      • लेबनान और जॉर्डन सबसे अधिक जोखिम वाले देश हैं।
    • उप-सहारा अफ्रीका सबसे अधिक जनसंख्या वृद्धि के साथ संयुक्त रूप से सामाजिक लचीलेपन के निम्नतम स्तर वाला देश है।
      • इस क्षेत्र की 70% आबादी सुरक्षित और प्रबंधित जल की पहुँच से दूर है, यह स्थिति उच्च जनसंख्या वृद्धि के कारण और जटिल हो सकती है।
  • तीव्र जनसंख्या वृद्धि:
    • वर्ष 2021 और 2050 के बीच ग्यारह देशों की जनसंख्या दोगुनी होने का अनुमान है। ये सभी उप-सहारा अफ्रीका में हैं।
    • जनसंख्या में सबसे अधिक अनुमानित वृद्धि वाले तीन देश- नाइजर, अंगोला और सोमालिया हैं, जहाँ जनसंख्या में क्रमशः 161, 128 और 113% की वृद्धि होगी।
  • तापमान विसंगतियाँ और प्राकृतिक आपदाएँ:
    • 1990 से 2020 तक वैश्विक स्तर पर कुल 10,320 प्राकृतिक आपदाएँ घटित हुईं। बाढ़ सबसे आम प्राकृतिक आपदा रही है, जो कुल आपदा संख्या का 42% है।
    • वर्ष 2020 में 177 देशों और क्षेत्रों ने अपने ऐतिहासिक औसत तापमान की तुलना में अधिक औसत तापमान दर्ज किया।
  • सिफारिशें:
    • रिपोर्ट ने स्वास्थ्य, भोजन, पानी, शरणार्थी राहत, वित्त, कृषि और व्यवसाय विकास को उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में एक एकीकृत एजेंसी में संयोजित करने और स्थानीय समुदायों को सशक्त बनाने की नीति की सिफारिश की।.

भारत में आंतरिक विस्थापन 

  • यूनाइटेड नेशन चिल्ड्रन फंड (यूनिसेफ) द्वारा पिछले वर्ष प्रकाशित 'लॉस्ट एट होम' शीर्षक नामक रिपोर्ट के अनुसार, 2019 में प्राकृतिक आपदाओं, संघर्ष और हिंसा के कारण भारत में पाँच मिलियन से अधिक लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए थे, जो इस अवधि के दौरान दुनिया में फिलीपींस, बांग्लादेश और चीन के बाद सबसे अधिक थे। 
    • वर्ष 2019 में विस्थापन के लगभग 33 मिलियन नए मामले दर्ज किये गए- लगभग 25 मिलियन प्राकृतिक आपदाओं के कारण और 8.5 मिलियन संघर्ष और हिंसा के परिणामस्वरूप विस्थापित हुए।

स्रोत: डाउन टू अर्थ

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