ईस्टर्न इकोनाॅमिक फोरम | 29 Aug 2019
चर्चा में क्यों?
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को व्लादिवोस्तोक (Vladivostok) में 5 सितंबर को आयोजित होने वाले ईस्टर्न इकोनाॅमिक फोरम (Eastern Economic Forum- EEF) की बैठक के मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित किया गया है। इस सम्मेलन के दौरान ही भारत और रूस के बीच द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन भी आयोजित किया जाएगा।
ईस्टर्न इकोनाॅमिक फोरम
(Eastern Economic Forum- EEF):
- ईस्टर्न इकोनॉमिक फोरम की स्थापना रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा वर्ष 2015 में की गई थी।
- इस फोरम की बैठक प्रत्येक वर्ष रूस के शहर व्लादिवोस्तोक (Vladivostok) में आयोजित की जाती है।
- यह फोरम विश्व अर्थव्यवस्था के प्रमुख मुद्दों, क्षेत्रीय एकीकरण, औद्योगिक तथा तकनीकी क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ रूस और अन्य देशों के सामने वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिये एक मंच के रूप में कार्य करता है।
- यह रूस और एशिया प्रशांत के देशों बीच राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को विकसित करने की रणनीति पर चर्चा करने के लिये एक अंतरराष्ट्रीय मंच के रूप में उभरा है।
- इस फोरम का मुख्यालय व्लादिवोस्तोक (Vladivostok) में स्थित है।
भारत-रूस बैठक के मुख्य बिंदु:
- भारत और रूस एक दीर्घकालिक, विश्वसनीय साझेदार रहे हैं इसलिये दोनों देशों के शीर्ष नेताओं के बीच व्लादिवोस्तोक के द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के बाद संबंधों के नए आयाम स्थापित होने की संभावना है।
- व्लादिवोस्तोक (Vladivostok) में शिखर सम्मेलन के दौरान रक्षा, परमाणु, अंतरिक्ष और ऊर्जा के पारंपरिक क्षेत्रों के साथ ही अंतर-क्षेत्रीय सहयोग बढ़ाने पर ज़ोर रहेगा।
- इस सम्मेलन के दौरान भारत और रूस के बीच मिलिट्री लॉजिस्टिक सपोर्ट एग्रीमेंट (Military Logistics Support Agreement), एग्रीमेंट ऑन रिसिप्रकल लॉजिस्टिक सपोर्ट (Agreement on Reciprocal Logistics Support- ARLS) जैसे समझौते होने की संभावना है। विदित है कि भारत और अमेरिका के बीच वर्ष 2016 में लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (Logistics Exchange Memorandum of Understanding- LEMOA) समझौता हुआ था।
- भारत और रूस के बीच सैन्य सामानों के साथ ही दोनों देशों द्वारा भारतीय सेना के प्रयोग हेतु बना बनाए जाने वाले Ka-226T हेलीकॉप्टर के निर्माण में भी तेज़ी आने की संभावना है।
रूस का उत्तर-पूर्वी क्षेत्र:
- भारत रूस के बीच रूस के उत्तर-पूर्वी भाग जैसे साइबेरिया, बैकाल झील के आसपास का क्षेत्र और ओखोस्टक सागर इत्यादि में सहयोग बढ़ाने की संभावना है। यह क्षेत्र ऊर्जा संभावनाओं की दृष्टि से अति महत्त्वपूर्ण है।
- भारत दीर्घकालिक गैस आपूर्ति के लिये इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किये हुए है।
- इस क्षेत्र की भौगोलिक सीमाएँ मंगोलिया, उत्तरी कोरिया, जापान, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन को स्पर्श करती हैं।
भारत-रूस संबंध:
भारत की स्वतंत्रता के बाद से ही भारत-रूस का संबंध सदैव सौहार्द्रपूर्ण रहा हैं। दोनों देशों के संबंधों में व्यापकता के साथ ही समग्रता भी समाविष्ट है, इसलिये पिछले 70 वर्षों की भू-राजनीतिक घटनाओं में उतार-चढ़ाव के बाद भी भारत-रूस के संबंध सदैव सामंजस्यपूर्ण बने रहे। भारत-रूस के संबंधों का स्वरूप निम्नलिखित है:
- अंतर्राष्ट्रीय भू-राजनीति:
- 1950 के दशक से ही रूस (तात्कालिक- USSR) के साथ भारत का मैत्रीपूर्ण संबंध रहा है तथा वर्ष 1971 की भारत-सोवियत मैत्री संधि द्वारा संबंधों को और अधिक मज़बूत किया गया।
- 9 अगस्त, 1971 को भारत ने रूस के साथ 20 वर्षीय सहयोग संधि पर हस्ताक्षर किये थे। इनमें संप्रभुता के प्रति सम्मान, एक-दूसरे के हितों का ध्यान रखना और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व कायम करना शामिल है। रूस और भारत ने वर्ष 1993 में शांति, मैत्री और सहयोग के क्षेत्र में नई संधि की, लेकिन उसका आधार भी इन्हीं बुनियादी सिद्धांतों को बनाया गया।
- दिसंबर 2010 में सामरिक साझेदारी को विशेष एवं विशेषाधिकार प्राप्त सामरिक साझेदारी के स्तर तक बढ़ा दिया गया।
- इसके अतिरिक्त रूस ने संयुक्त राष्ट्र में सदैव भारत का ही साथ दिया, वह सुरक्षा परिषद् में भारत की स्थायी सदस्यता का समर्थन भी करता रहा है।
- आतंकवाद, अफगानिस्तान और मध्य-पूर्व के संघर्षों के मुद्दे पर रूस ने सदैव भारत का समर्थन किया है।
- रक्षा क्षेत्र:
- भारत की स्वतंत्रता के बाद से भारत को सबसे ज़्यादा हथियार रूस निर्यात करता था तात्कालिक भू-राजनीतिक परिस्थितियों में भारत हथियारों के लिये पूर्णतः रूस पर ही निर्भर था।
- वर्तमान समय में बदलती वैश्विक परिस्थितियों में भारत, इज़राइल और अमेरिका से भी रक्षा उपकरण खरीद रहा है लेकिन आज भी रूस से भारी मात्रा में भारत हथियारों का आयात जारी है।
- सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल ब्रह्मोस का निर्माण दोनों देशों के बीच सैन्य संबंधों में विश्वास का परिचायक है।
- दोनों देशों के बीच वर्ष 2007 में पाँचवीं पीढ़ी के युद्धक विमान (Fifth Generation Fighter Aircraft- FGFA) बनाने के लिये अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किये गए थे। इस परियोजना पर प्रगति काफी धीमी है क्योंकि यह बेहद जटिल मामला है। बहुउद्देशीय हथियारों और सैन्य उपकरणों के उत्पादन के लिये में दोनों देशों के बीच सघन सहयोग हैं।
- अंतरिक्ष:
- भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (Indian Space Research Organisation) और फेडेरल स्पेस एजेंसी ऑफ रूस (Roscosmos) ने भारत के मानव अंतरिक्ष मिशन परियोजना गगनयान पर सहयोग के लिये ‘समझौता ज्ञापन’ पर हस्ताक्षर किये हैं।
- रेलवे:
- भारतीय और रूसी रेलवे के बीच सहयोग हेतु ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये गए थे जिसके तहत रूसी रेलवे कंपनी आधुनिक रेल मार्ग बनाने में भारत की मदद कर रहा है।
- परमाणु ऊर्जा
- रूस और भारत के बीच वर्ष 2014 में स्ट्रैटेजिक विज़न (Strategic Vision) पर हस्ताक्षर के बाद रूस, तमिलनाडु में कुडनकुलम परमाणु रिएक्टर की छह इकाइयों का निर्माण कर रहा है। इस परमाणु रिएक्टर की दो इकाइयाँ पहले से ही सक्रिय हैं और चार कार्यान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। भारत भविष्य में रूस द्वारा डिज़ाइन की जाने परमाणु ऊर्जा परियोजनाओं में प्रयुक्त उपकरणों के भारत में विनिर्माण पर ज़ोर दे रहा है।
- अन्य क्षेत्र:
- भारत और रूस के बीच छोटे उद्योग, उर्वरक और विदेशी मंत्रालयों के मध्य समन्वय हेतु समझौता हुआ है।
- भारत और रूस कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence- AI), ब्लॉकचेन प्रणाली (Blockchain System), स्वास्थ्य, पर्यटन, डिजिटलीकरण, वित्तीय तकनीक और क्वांटम कंप्यूटिंग के क्षेत्र में सहयोग कर रहे हैं।
वर्तमान में रूस-भारत संबंधों हेतु चुनौतियाँ:
- नई भू-राजनीतिक परिस्थितियों में भारत का अमेरिका के करीब आना रूसी दृष्टिकोण से काफी नकारात्मक है
- रूस शीतयुद्ध के बाद चीन को अपने लिये खतरे के रूप में नही देखता है इसलिये वह चीन के साथ सीमा विवादों का निपटारा और आर्थिक तथा कारोबारी संबंधों का विस्तार कर रहा है।
- चीन रूसी हथियारों और रक्षा प्रौद्योगिकियों का प्रमुख आयातक हो गया है जिससे चीन आसानी से भारतीय सैन्य शक्ति को संतुलित कर रहा है।
- भारत और रूस के बीच मुख्यतः रक्षा व्यापार ही होता है इसलिये अन्य क्षेत्र उपेक्षित है इससे संबंधों में भी असंतुलन पैदा हो रहा है।
- रूस का पाकिस्तान के साथ करीबी संबंध बनाना भी भारत के लिये चिंता का विषय है क्योंकि रूस ने पाकिस्तान के विरुद्ध भारत का सदैव समर्थन किया है।
उपरोक्त चुनौतियों के बाद भी भारत और रूस के संबंध लगातार सौहार्द्र बने हुए हैं इसका सबसे प्रमुख उदाहरण ईस्टर्न इकोनाॅमिक फोरम की बैठक में भारत के प्रधानमंत्री को मुख्य अतिथि बनाना है। भारत अमेरिका के साथ विभिन्न समझौते करने के बाद भी रूस के साथ कहीं भी तुष्टिकरण का भाव नही दिखा रहा है।
भारत ने अमेरिका के साथ काउंटरिंग अमेरिकाज़ एडवर्सरीज़ थ्रू सेंक्शन एक्ट (Countering America’s Adversaries Through Sanctions Act- CAATSA) समझौते के बाद भी रूस से S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली की खरीद कर रहा है।