2000 वर्षों में सबसे गर्म रहा 20वीं सदी का अंत | 26 Jul 2019
चर्चा में क्यों?
हाल ही में स्विट्जरलैंड स्थित बर्न विश्वविद्यालय के शोधकर्त्ताओं द्वारा किये गए एक शोध में पाया गया है कि पिछले 2000 वर्षों में 20 सदी के अंत का समय ऐसा समय था जब विश्व के तापमान में सबसे तेज़ वृद्धि होनी शुरू हुई।
प्रमुख बिंदु :
- इस शोध के निष्कर्ष तक पहुँचाने के लिये शोधकर्त्ताओं ने पिछले 2000 वर्षों के वैश्विक तापमान के विशाल डेटाबेस का अध्ययन किया।
- अध्ययन के अनुसार, आधुनिक युग में जलवायु परिवर्तन का प्रभाव सार्वभौमिक है, जबकि इसके विपरीत इतिहास की जलवायु परिवर्तन घटनाएँ जैसे- हिमयुग और मध्यकालीन ग्रीष्म काल आदि वैश्विक अथवा सार्वभौमिक न होकर क्षेत्रीय थीं।
- उदाहरण के लिये प्रशांत महासागरीय क्षेत्र में हिमयुग 15वीं शताब्दी में आया जबकि यूरोप में यह युग 17वीं शताब्दी में आया।
- दुनिया ने कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) के सुरक्षित स्तर को 33 वर्ष पहले ही पार कर लिया था और वर्तमान में यह 412 PPM है।
- अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (International Energy Agency) के अनुसार, 2018 में वैश्विक ऊर्जा खपत में 2.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी, जिसके कारण CO2 उत्सर्जन में 1.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी।
- यह आश्चर्य की बात नहीं है कि जून 2019 पृथ्वी पर अब तक का सबसे गर्म जून महीना रिकॉर्ड किया गया था और जुलाई 2019 भी इतिहास में सबसे गर्म महीना बनने की राह पर है।
निष्कर्ष:
हरित गृह गैसों का उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन वैश्विक विकास में सबसे बड़ी बाधा हैं, यदि इन गैसों का उत्सर्जन इसी तरह लगातार बढ़ता रहा तो दुनिया जलवायु परिवर्तन के नए रिकॉर्ड बनती रहेगी और इनका समाधान करना बेहद आवश्यक है।