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जैव विविधता और पर्यावरण

ई-कचरे का पुनर्नवीनीकरण

  • 05 Mar 2020
  • 4 min read

प्रीलिम्स के लिये

ई-कचरा

मेन्स के लिये:

ई-कचरा और उसके पुनर्नवीनीकरण से संबंधित मुद्दे

चर्चा में क्यों?

राज्यसभा में दिये गए विवरण के अनुसार, वर्ष 2017-18 की तुलना में वर्ष 2018-19 में पुनर्नवीनीकृत इलेक्ट्रॉनिक कचरे (ई-कचरे) की मात्रा दोगुने से भी अधिक हो गई है।

प्रमुख बिंदु

  • वित्तीय वर्ष 2017-2018 में 244 उत्पादकों के बिक्री आँकड़ों के आधार पर बिजली एवं इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के ई-कचरे (E-Waste) की अनुमानित मात्रा 7,08,445 टन थी जिसमें से 69,414 टन का पुनर्नवीनीकरण किया गया था।
  • जबकि वित्तीय वर्ष 2018-2019 में 1,168 कंपनियों के बिक्री आँकड़ों के आधार पर लगभग 7,71,215 टन ई-कचरे का उत्पादन हुआ, जिसमें से 1,64,663 टन ई-कचरे का पुनर्नवीनीकरण किया गया।
  • इस प्रकार वित्तीय वर्ष 2017-2018 में ई-कचरे की पुनर्नवीनीकरण दर 10 प्रतिशत थी, जबकि वित्तीय वर्ष 2018-19 में इसकी पुनर्नवीनीकरण दर 20 प्रतिशत थी।

क्या है ई-कचरा?

  • देश में जैसे-जैसे डिजिटलाइज़ेशन बढ़ा है, उसी अनुपात में ई-कचरा भी बढ़ा है। इसकी उत्पत्ति के प्रमुख कारकों में तकनीक तथा मनुष्य की जीवन शैली में आने वाले बदलाव शामिल हैं।
  • कंप्यूटर तथा उससे संबंधित अन्य उपकरण तथा टी.वी., वाशिंग मशीन व फ्रिज जैसे घरेलू उपकरण और कैमरे, मोबाइल फोन तथा उनसे जुड़े अन्य उत्पाद जब चलन/उपयोग से बाहर हो जाते हैं तो इन्हें संयुक्त रूप से ई-कचरे की संज्ञा दी जाती है।
  • ट्यूबलाइट, बल्ब, CFL जैसी वस्तुएँ जिन्हें हम दैनिक रूप से प्रयोग में लाते हैं, में भी पारे जैसे कई प्रकार के विषैले पदार्थ पाए जाते हैं, जो इनके निष्क्रिय हो जाने पर पर्यावरण और मानव स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं।
  • इस कचरे के साथ स्वास्थ्य और प्रदूषण संबंधी चुनौतियाँ तो जुड़ी हैं ही, इसके साथ ही चिंता का एक बड़ा कारण यह भी है कि इसने घरेलू उद्योग का स्वरूप ले लिया है और घरों में इसके निस्तारण का काम बड़े पैमाने पर होने लगा है।

भारत में ई-कचरा

  • सरकार द्वारा उपलब्ध किये गए आँकड़ों के अनुसार भारत में उत्पादित ई-कचरा अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं के अनुमान से काफी कम है।
  • ग्लोबल ई-वेस्ट मॉनिटर, 2017 के अनुसार, भारत प्रतिवर्ष लगभग 2 मिलियन टन ई-कचरे का उत्पन्न करता है तथा अमेरिका, चीन, जापान और जर्मनी के बाद ई-कचरा उत्पादक देशों में यह 5वें स्थान पर है।
  • भारत के अधिकांश ई-कचरे का पुनर्नवीनीकरण देश के अनौपचारिक क्षेत्र द्वारा किया जाता है।
  • केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय की वर्ष 2018 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि भारत में ई-कचरे के पुनर्नवीनीकरण की स्थिति बिल्कुल अच्छी नहीं है।

आगे की राह

  • भारत में ई-कचरे के संबंध में कई नियम कानून लागू किये गए हैं, जिनका स्पष्ट प्रभाव देखने को मिल रहा है। किंतु ई-कचरे के पुनर्नवीनीकरण को लेकर अभी भी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
  • आवश्यक है कि इस संबंध में निर्मित विभिन्न कानूनों को सही ढंग से लागू किया जाए, ताकि ई-कचरे के कारण उत्पन्न होने वाले खतरों को समाप्त किया जा सके।

स्रोत: द हिंदू

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