ई-रूपी: वाउचर आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली | 02 Aug 2021
प्रिलिम्स के लिये:ई-रूपी, आभासी मुद्रा, एकीकृत भुगतान इंटरफेस मेन्स के लिये:ई-रूपी का उपयोग और महत्त्व |
चर्चा में क्यों ?
भारत सरकार इलेक्ट्रॉनिक वाउचर आधारित डिजिटल भुगतान प्रणाली ई-रूपी (e-RUPI) लॉन्च करने जा रही है।
- इस वाउचर सिस्टम का उपयोग पहले से ही कई दशों द्वारा किया जा रहा है, उदाहरण के लिये अमेरिका, कोलंबिया, चिली, स्वीडन, हॉन्गकॉन्ग आदि।
e-RUPI
प्रमुख बिंदु:
ई-रूपी:
- डिजिटल पेमेंट हेतु यह एक कैशलेस और कॉन्टैक्टलेस तरीका है। यह एक त्वरित प्रतिक्रिया (QR) कोड या एसएमएस स्ट्रिंग-आधारित ई-वाउचर है, जो उपयोगकर्त्ताओं के मोबाइल पर भेजा जाता है।
- उपयोगकर्त्ता कार्ड, डिजिटल भुगतान एप या इंटरनेट बैंकिंग एक्सेस की आवश्यकता के बिना इस वाउचर को भुनाने में सक्षम होंगे।
- यह सेवाओं के प्रायोजकों को बिना किसी भौतिक इंटरफेस के डिजिटल मोड में लाभार्थियों और सेवा प्रदाताओं के साथ जोड़ता है।
- तंत्र यह भी सुनिश्चित करता है कि लेन-देन पूरा होने के बाद ही सेवा प्रदाता को भुगतान किया जाए।
- सिस्टम प्री-पेड प्रकृति का है और इसलिये किसी भी मध्यस्थ के बिना सेवा प्रदाता को समय पर भुगतान का आश्वासन देता है।
आभासी मुद्रा से भिन्न:
- वास्तव में ई-रूपी अभी भी मौजूदा भारतीय रुपए द्वारा समर्थित है क्योंकि अंतर्निहित परिसंपत्ति और इसके उद्देश्य की विशिष्टता इसे एक आभासी मुद्रा से अलग बनाती है और इसे वाउचर-आधारित भुगतान प्रणाली के करीब रखती है।
जारीकर्त्ता संस्थाएंँ और लाभार्थी की पहचान:
- वित्तीय सेवा विभाग, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय तथा राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के सहयोग से भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम द्वारा अपने एकीकृत भुगतान इंटरफेस (UPI) प्लेटफॉर्म पर एकमुश्त भुगतान तंत्र विकसित किया गया है।
- यह बैंकों का एक बोर्ड होगा जो इसे जारी करने वाली संस्थाएंँ होंगी। किसी भी कॉरपोरेट या सरकारी एजेंसी को साझेदार बैंकों से संपर्क करना होगा, जो निजी और सार्वजनिक दोनों क्षेत्र में ऋण प्रदान करते हैं, विशिष्ट व्यक्तियों के विवरण तथा उस उद्देश्य हेतु जिसके लिये भुगतान किया जाना है।
- लाभार्थियों की पहचान उनके मोबाइल नंबर का उपयोग करके की जाएगी तथा बैंक द्वारा किसी दिये गए व्यक्ति के नाम पर सेवा प्रदाता को आवंटित वाउचर केवल उस व्यक्ति को ही प्रदान किया जाएगा।
उपयोग:
- सरकारी क्षेत्र:
- इससे कल्याण सेवाओं की लीक-प्रूफ डिलीवरी (Leak-Proof Delivery) सुनिश्चित होने की उम्मीद है और इसका उपयोग आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना, उर्वरक सब्सिडी आदि योजनाओं के तहत मातृ एवं बाल कल्याण योजनाओं, दवाओं व निदान के तहत दवाएँ तथा पोषण सहायता प्रदान करने हेतु योजनाओं के तहत सेवाएँ देने के लिये भी किया जा सकता है।
- निजी क्षेत्र:
- यहाँ तक कि निजी क्षेत्र भी अपने कर्मचारी कल्याण और कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) कार्यक्रमों के हिस्से के रूप में इन डिजिटल वाउचर का लाभ उठा सकता है।
महत्त्व:
- सरकार पहले से ही एक केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित ‘डिजिटल मुद्रा’ विकसित करने की दिशा में कार्य कर रही है और ‘ई-रूपी’ का शुभारंभ संभावित रूप से डिजिटल भुगतान अवसंरचना में मौजूद अंतराल को उजागर कर भविष्य की डिजिटल मुद्रा की सफलता में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है।
भारत में डिजिटल मुद्रा का भविष्य:
- भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुसार, भारत में डिजिटल मुद्राओं के बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद है, जिसके निम्नलिखित चार कारण हो सकते हैं:
- डिजिटल भुगतान की पहुँच में बढ़ोतरी: देश में डिजिटल भुगतान में बढ़ोतरी हो रही है, साथ ही नकदी का उपयोग, विशेष रूप से छोटे मूल्य के लेन-देन के लिये अभी भी महत्त्वपूर्ण रूप से बरकार है।
- उच्च करेंसी-जीडीपी अनुपात: भारत का उच्च करेंसी-जीडीपी अनुपात देश की ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ की दृष्टि से महत्त्वपूर्ण है।
- नकद-जीडीपी अनुपात या उच्च करेंसी-जीडीपी अनुपात, सकल घरेलू उत्पाद के अनुपात के रूप में प्रचलन में नकदी के मूल्य को दर्शाता है।
- वर्चुअल करेंसी का प्रसार: बिटकॉइन और एथेरियम जैसी निजी वर्चुअल मुद्राओं का प्रसार ‘केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा’ की प्रसिद्धि का एक अन्य कारण हो सकता है।
- आम जनता के लिये महत्त्वपूर्ण: केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा, अस्थिर निजी वर्चुअल मुद्राओं के विरुद्ध आम जनता के लिये काफी महत्त्वपूर्ण होगी।